Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 84
________________ 11. सव्वेहिँ णिय-णिय विण्णाणु पयासिउ। 2/4/घ. - सबके द्वारा अपना-अपना विज्ञान प्रदर्शित किया गया। 12. आइ-पुराण-महेसरेण परमेसरेण तहिँ विसय–सेण्णु संचूरिउ। 3/2/1 - आदि पुराण के परमेश्वर के द्वारा वहाँ स्थित होकर विषयरूपी सेना नष्ट की गई। 13. दसरह-सुएहिँ मुणि व दुम सइँ भुएहिँ अहिणन्दिउ। 27/15/घ. - दशरथ पुत्रों के द्वारा मुनि के समान वृक्ष का अपनी भुजाओं से अभिनन्दन किया गया। 14. मन्तिहिँ सो उवसमिउ। 6/9/5 ___ - मन्त्रियों के द्वारा वह शान्त किया गया। 15. अमरेण वि अमर-गइ दरिसिंय। 6/13/1 ___- अमर के द्वारा भी अमर गति दिखाई गई। 16. तेण वि वामंगुढे चप्पिउ। 11/7/4 ___- उसके द्वारा भी बायें अंगूठे से दबा दिया गया। 17. पहिलउ कलसु अमरिन्दे लइउ । 2/5/1 - पहला कलश देवेन्द्र द्वारा लिया गया। 18. वन्दिण-वन्देहिँ गुरु पोमाइउ।। 32/13/10 - चारण-समूहों के द्वारा गुरु की प्रशंसा की गई। 19. जें सुलोयणहो जीविउ हरिउ । 5/6/3 ___- जिसके द्वारा सुलोचना का जीवन हरण किया गया। 20. महिन्देण वायवो मेल्लिओ। 46/7/5 ___- राजा महेन्द्र के द्वारा वायुबाण छोड़ा गया। 21. तं णिसुणेवि भरहें दोणु पुज्जियउ। 68/4/8 ___- उसे सुनकर भरत के द्वारा द्रोण का सम्मान किया गया। पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन] [77 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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