Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 115
________________ 187. तास : सन्त्रस्त करना 188. तुल - तौलना,उठाना 189. तोड : तोड़ना 190. थंभ - रोकना 191. थव : रोकना,स्थापना करना 192. दक्खव - दिखाना 193. दम : दमन करना 194. दरमल : चूर-चूर करना 195. दरिस - देखना,प्रदर्शन करना 196. दरिसाव - दिखाना 197. दल : दलन करना 198. दलवट्ट - चूर-चूर करना 199. दह : जलाना 200. दा - देना 201. दाअ - दिखलाना 202. दार : फाड़ना 203. दुह : दुहना 204. दोच्छ - तिरस्कृत करना 205. धर : धारण करना,पकड़ना, 206. धवल - धवल करना रखना 207. धा : दौड़ना 208. धाव : दौड़ना 209. धाहाव - चिल्लाना 210. धिक्कार : धिक्कारना 211. धीर : धीरज देना 212. धुण - पीटना,आहत करना 213. पइस - प्रवेश करना 214. पइसर - प्रवेश करना 215. पउंज : प्रवृत्त करना, 216. पंगुर : आच्छादन करना व्यवहार करना 217. पक्खाल : धोना 218. पखाल : प्रक्षालन करना 219. पगास - प्रकट करना 220. पच - पकाना 221. पच्चार : ललकारना 222. पच्छाअ : ढकना 223. पजंप - बोलना 224. पजोअ = देखना 225. पट्ठव - भेजना 226. पडिच्छ : स्वीकार करना, ग्रहण करना 227. पडिपूर - समाप्त करना 228. पडिबोह - प्रतिबोधित करना 108] [पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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