Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 114
________________ 139. जिण : जीतना 140. जिम - भोजन करना 141. जुज्ज : जोड़ना 142. जेम : भोजन करना 143. जोअ - देखना 144. जोक्कार : जयकार करना 145. जोक्ख - देखना 146. जोत्त : जोतना 147. झाअ : ध्यान करना 148. टाल : टालना,हटाना 149. ठव - प्रतिष्ठित करना 150. डंक : डॅसना 151. डस - काटना 152. डह : जलाना 153. ढंक = ढकना 154. दुक्क - पहुँचना 155. ढोअ : लाना 156. णड - प्रवंचित करना 157. णम : नमन करना 158. णमंस : नमस्कार करना 159. णव : प्रणाम करना 160. णास : नाश करना 161. णिंद - निंदा करना 162. णिक्खण : खोदना 163. णिज्जिण : जीतना 164. णिज्झाअ - देखना 165. णिट्ठव समाप्त करना 166. णिद्दल : नष्ट करना 167. णिद्दार : चीरना 168. णिब्मच्छ : तिरस्कार करना 169. णिम्म - बनाना 170. णिय : देखना 171. णियच्छ : देखना 172. णियत्त - लौटना 173. णिरिक्ख : देखना 174. णिरुंभ : अवरुद्ध करना 175. णिवार : निवारण करना,हटाना 176. णिव्वण्ण : देखना 177. णिव्वाड - चुनना 178. णिसुंभ : मारना 179. णिसुण - सुनना 180. णिहाल - देखना 181. णी - ले जाना 182. णीसार : निकालना 183. तज्ज : डाँटना,भर्त्सना करना 184. तर : पार करना 185. तव - तप करना 186. ताड : ताड़न करना,बजाना पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन ] [107 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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