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अपभ्रंश महाकवि स्वयंभू विरचित पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
dain Education Internatio
निर्देशन
डॉ. कमलचन्द सोगाणी
संकलनकार श्रीमती सीमा ढींगरा
जैनविद्या संस्थान श्री महावीरजी
अपभ्रंश साहित्य अकादमी
जैनविद्या संस्थान
दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी
राजस्थान
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अपभ्रंश महाकवि स्वयंभू विरचित पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त - संकलन
निर्देशन
डॉ. कमलचन्द सोगाणी निदेशक
जैनविद्या संस्थान, अपभ्रंश साहित्य अकादमी
संकलनकर श्रीमती सीमा ढींगरा सहायक निदेशक
अपभ्रंश साहित्य अकादमी
प्रकाशक अपभ्रंश साहित्य अकादमी
जैनविद्या संस्थान
दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी,
राजस्थान
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प्रकाशक अपभ्रंश साहित्य अकादमी, जैनविद्या संस्थान, दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी, श्री महावीरजी-322220 (राजस्थान)
प्राप्तिस्थान 1. जैनविद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी 2. साहित्य विक्रय केन्द्र दिगम्बर जैन नसियाँ भट्टारकजी, सवाई रामसिंह रोड़, जयपुर - 302 004
प्रथम संस्करण : मई, 2012
• ISBN No. : 978-81-921276-8-2
• मूल्य : 450/• सर्वाधिकार प्रकाशकाधीन
पृष्ठ संयोजन फ्रेण्ड्स कम्प्यूटर्स जौहरी बाजार, जयपुर – 302 003
मुद्रक जयपुर प्रिन्टर्स प्रा. लि. एम. आई. रोड जयपुर - 302 001
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अनुक्रमणिका
क्र.सं.
विषय
पृष्ठ संख्या
प्रकाशकीय
3.
कृदन्त - परिचय संबंधक कृदन्त (क) अकर्मक क्रियाओं से बने हुए संबंधक कृदन्त
एवं उनके वाक्य-प्रयोग (ख) सकर्मक क्रियाओं से बने हुए संबंधक कृदन्त
एवं उनके वाक्य-प्रयोग हेत्वर्थक कृदन्त सकर्मक क्रियाओं से बने हुए संबंधक कृदन्त एवं उनके वाक्य-प्रयोग वर्तमान कृदन्त (क) अकर्मक क्रियाओं से बने हुए वर्तमान कृदन्त (ख) सकर्मक क्रियाओं से बने हुए वर्तमान कृदन्त (ग) वर्तमानं कृदन्त के सभी विभक्तियों के वाक्य-प्रयोग भूतकालिक कृदन्त (क) अकर्मक क्रियाओं से बने हुए नियमित भूतकालिक
. कृदन्त एवं उनके वाक्य-प्रयोग (ख) सकर्मक क्रियाओं से बने हुए नियमित भूतकालिक
कृदन्त एवं उनके वाक्य-प्रयोग अनियमित भूतकालिक कृदन्त (क) अकर्मक क्रियाओं से बने हुए अनियमित भूतकालिक
कृदन्त एवं उनके वाक्य-प्रयोग
5.
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7.
8.
9.
(ख) सकर्मक क्रियाओं से बने हुए अनियमित भूतकालिक कृदन्त एवं उनके वाक्य - प्रयोग
विधि कृदन्त
अकर्मक व सकर्मक क्रियाओं से बने हुए विधि कृदन्त
एवं उनके वाक्य प्रयोग
विभिन्न कृदन्तों के प्रेरणार्थक प्रयोग
परिशिष्ट
(क) कृदन्तों में प्रयुक्त अकर्मक क्रियाएँ.
(ख) कृदन्तों में प्रयुक्त सकर्मक क्रियाएँ सहायक पुस्तकें एवं कोश
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888
85
89
89
96
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100
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प्रकाशकीय
'पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन' पाठकों के हाथों में समर्पित करते हुए हमें हर्ष का अनुभव हो रहा है।
आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं के अध्ययन में अपभ्रंश का अध्ययन आवश्यक है। अपभ्रंश को सभी नव्य भारतीय भाषाओं का मूलस्रोत होने का गौरव प्राप्त है। अपभ्रंश की कोख से ही सिन्धी, गुजराती, पंजाबी, मराठी, राजस्थानी, उड़िया, बंगाली, हिन्दी आदि आधुनिक भाषाओं का जन्म हुआ है। अतः राष्ट्रभाषा हिन्दी सहित अन्य सभी भारतीय भाषाओं के इतिहास के अध्ययन के लिए अपभ्रंश भाषा का अध्ययन आवश्यक है।
अपभ्रंश साहित्य के अध्ययन-अध्यापन एवं प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी द्वारा संचालित जैनविद्या संस्थान के अर्न्तगत अपभ्रंश साहित्य अकादमी' की स्थापना सन् 1988 में की गई। अकादमी का प्रयास है - अपभ्रंश के अध्ययन–अध्यापन को सशक्त करके उसके सही रूप को सामने रखना जिससे प्राचीन साहित्यिक निधि के साथ-साथ आधुनिक आर्यभाषाओं के स्वभाव और उनकी संभावनाएं भी स्पष्ट हो सकें।
अपभ्रंश भाषा के सीखने-सिखाने की दृष्टि को ध्यान में रखकर ही ' अपभ्रंश रचना सौरभ', ' प्राकृत रचना सौरभ', 'प्रौढ़ प्राकृत रचना सौरभ', 'प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ', 'अपभ्रंश काव्य सौरभ', 'प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ' आदि पुस्तकों का प्रकाशन किया जा चुका है। इसी क्रम में 'पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन' प्रकाशित है।
महाकवि स्वयंभू रचित 'पउमचरिउ' लोकभाषा में रचित रामकथात्मक काव्य है। साहित्य जगत में स्वयंभू अपभ्रंश के आदिकवि माने जाते हैं। इन्होंने जनसामान्य की भाषा में रचना कर साहित्य के क्षेत्र में अपभ्रंश को गौरवपूर्ण स्थान दिलाया। किसी भी भाषा को
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सीखने-समझने के लिए उसका व्याकरण का ज्ञान आवश्यक है । व्याकरण की विभिन्न इकाइयों में से एक इकाई 'कृदन्त' है। साहित्य को समझने के लिए कृदन्तों का ज्ञान आवश्यक है। इस पुस्तक में कृदन्तों का विवेचन किया गया है। आशा है अपभ्रंश के जिज्ञासु पाठक लाभान्वित होंगे।
पुस्तक - प्रकाशन के लिए अपभ्रंश साहित्य अकादमी के विद्वानों विशेषतया श्रीमती सीमा ढींगरा के आभारी हैं, जिन्होंने बड़े परिश्रम से अपभ्रंश महाकवि स्वयंभू के 'पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्तं - संकलन' तैयार किया है। अतः वे हमारी बधाई की पात्र हैं ।
पृष्ठ - संयोजन के लिए फ्रेण्ड्स कम्प्यूटर्स एवं मुद्रण के लिए जयपुर प्रिण्टर्स धन्यवादार्ह हैं।
नगेन्द्र कुमार जैन प्रकाशचन्द्र जैन डॉ. कमलचन्द सोगाणी मंत्री संयोजक प्रबन्धकारिणी कमेटी
अध्यक्ष
जैनविद्या संस्थान समिति
दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी
श्रुत पंचमी
ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी, वीर निर्वाण सं. 2538
26.05.2012
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1. कृदन्त - परिचय
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, समाज में रहते हुए वह एक-दूसरे से परस्पर व्यवहार करता है। परस्पर व्यवहार के साधनों में विचारों की अभिव्यक्ति प्रधान है। विचारों की अभिव्यक्ति के माध्यमों में जिस माध्यम का सर्वाधिक उपयोग होता है, वह है 'भाषा' | भाषा मनुष्य को मिला हुआ वह शब्दमय वरदान है, जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर या लिखकर अपने विचार दूसरों पर सरलता, स्पष्टता, विस्तार तथा पूर्णता से व्यक्त कर सकता है। इसलिए 'भाषा' जगत के व्यवहार का मूल है।
___भाषा निरन्तर परिवर्तनशील है, उसमें समय एवं स्थान के परिवर्तन से स्वतः परिवर्तन होते रहते हैं। प्रत्येक भाषा के निरन्तर प्रवाह में समय -समय पर कुछ नये शब्द आते रहते हैं और कुछ प्रचलित शब्दों का प्रयोग छूटता जाता है। भाषा में होते रहनेवाले परिवर्तनों के बाद भी उसका जो साहित्यिक रूप रहता है उसको सही रूप में लिखने, पढ़ने और बोलने के लिए उसके व्याकरण की आवश्यकता होती है।
व्याकरण वह शास्त्र है जिसके अध्ययन द्वारा हम किसी भाषा का सूक्ष्म ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं तथा उससे भाषा के प्रयोग में कुशलता प्राप्त कर सकते हैं। व्याकरण भाषा का विश्लेषण करके उसके स्वरूप को प्रकट करता है और भाषा को स्व-रूप में पढ़ने, समझने और लिखने की विधि सिखाता है।
____ व्याकरण की विभिन्न इकाइयों में से एक इकाई है - 'कृदन्त' । कृदन्त भाषा को सौन्दर्य प्रदान करते हैं। किसी भाषा को तथा उसके साहित्य को समझने के लिए कृदन्तों का ज्ञान आवश्यक है। क्रिया में विशिष्ट प्रत्ययों को जोड़ने से विभिन्न कृदन्तों का निर्माण किया जाता है। जो शब्दांश स्वयं कुछ भी अर्थ नहीं रखते हुए शब्दों के अन्त में जुड़कर नया अर्थ प्रकट कर देते हैं, उन्हें 'प्रत्यय' कहते हैं। चूंकि क्रिया में जोड़े जानेवाले प्रत्यय भिन्न – भिन्न प्रकार के हैं, उसी के अनुसार कृदन्त भी भिन्न – भिन्न प्रकार के हैं। व्याकरण शास्त्र में पाँच प्रकार के कृदन्त माने गये हैं -
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
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1.
2.
3.
4.
5.
संबंधक कृदन्त
हेत्वर्थक कृदन्त
वर्तमान कृदन्त
1. संबंधक कृदन्त
जब कर्ता एक क्रिया समाप्त करके दूसरा कार्य करता है तो पहले किये गये कार्य के लिए 'संबंधक कृदन्त ' का प्रयोग किया जाता है । इसमें कृदन्तवाचक शब्द और सामान्य क्रिया दोनों का संबंध कर्ता से होता है। जैसे - वह 'हँसकर सोता है, इसमें हँसने और सोने का संबंध कर्ता 'वह' से है। संबंधक कृदन्तवाचक शब्द अव्यय होते हैं इसलिए इनका वाक्य-प्रयोग में रूप-परिवर्तन नहीं होता है। 'लिंग, विभक्ति और वचन के अनुसार जिनके रूपों में घटती-बढ़ती न हो, वह अव्यय है ।'
भूतकालिक कृदन्त
विधि कृदन्त
संबंधक कृदन्त अकर्मक क्रियाओं और सकर्मक क्रियाओं में प्रत्यय जोड़कर बनाये जाते हैं। जब प्रत्यय सकर्मक क्रियाओं में जोड़े जाते हैं तब उनके साथ कर्म का प्रयोग अनिवार्य होता है । जैसे वह जल 'पीकर' जाता है। इस वाक्य में 'पीकर' सकर्मक क्रिया से बना हुआ 'संबंधक कृदन्त' है जिसके लिए 'जल' कर्म के रूप में प्रयुक्त हुआ है।
अपभ्रंश भाषा में क्रिया में निम्नलिखित प्रत्यय जोड़कर संबंधक कृदन्त बनाये जाते हैं
इ
इउ
इवि
2]
संबंधक कृदन्त क्रिया + प्रत्यय
के प्रत्यय
—
हस + इ
हस + इउ
हस + इवि
कृदन्तवाचक शब्द हिन्दी अर्थ
हसि
हसिउ
हसिवि
हँसकर
हँसकर
हँसकर
[ पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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अवि
एप्पि
एप्पिणु
एवि
एविणु
हस + अवि
हस + एप्पि
हस + एप्पिणु
हस + एवि
हस + एविणु
2. हेत्वर्थक कृदन्त
'हँसने के लिए', 'नाचने के लिए', 'जीने के लिए' आदि भावों को प्रकट करने के लिए हेत्वर्थक कृदन्त का प्रयोग किया जाता है। जैसे वह 'हँसने के लिए' जीता है। संबंधक कृदन्त की ही भांति ये कृदन्त भी अव्यय होते हैं अर्थात इनके वाक्य-प्रयोग में लिंग, विभक्ति और वचन के अनुसार रूप - परिवर्तन नहीं होता है।
ये कृदन्त भी अकर्मक क्रियाओं और सकर्मक दोनों प्रकार की क्रियाओं में प्रत्यय जोड़कर बनाये जाते हैं। जब प्रत्यय सकर्मक क्रियाओं में जोड़े जाते हैं तब उनके साथ कर्म का प्रयोग अनिवार्य होता है। जैसेवह जल पीने के लिए' जाता है। इस वाक्य में 'पीने के लिए' सकर्मक क्रिया से बना हुआ 'हेत्वर्थक कृदन्त' है जिसके लिए 'जल' कर्म के रूप में प्रयुक्त हुआ है।
अण
अणहं
अणहिं
हसवि
हसेप्पि
हसेप्पणु
हसेवि
हसे विणु
अपभ्रंश भाषा में क्रिया में निम्नलिखित प्रत्यय जोड़कर हेत्वर्थक कृदन्त बनाये जाते हैं
हेत्वर्थक कृदन्त क्रिया + प्रत्यय कृदन्तवाचक शब्द हिन्दी अर्थ के प्रत्यय
एवं
हस + एवं
हस + अण
हस + अणहं
हस + अणहिं
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त - संकलन ]
हँसकर
हँसकर
हँसकर
हँसकर
हँसकर
हसे वं
हसण
हसणहं
हसणहिं
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हँसने के लिए
हँसने के लिए
हँसने के लिए
हँसने के लिए
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एप्पि हस + एप्पि हसेप्पि हँसने के लिए एप्पिणु
हस + एप्पिणु हसेप्पिणु हँसने के लिए एवि हस + एवि हसेवि हँसने के लिए एविणु हस + एविणु हसेविणु हँसने के लिए
3. वर्तमान कृदन्त 'हँसता हुआ', 'नाचता हुआ', 'सोता हुआ' आदि भावों को प्रकट करने के लिए वर्तमान कृदन्त का प्रयोग किया जाता है। जैसे - वह 'हँसता हुआ' उठता है। ये कृदन्त विशेषण का कार्य करते हैं। इनके रूप विशेष्य की भांति तीनों लिंगों व दोनों वचनों में परिवर्तित होते हैं। अर्थात विशेष्य पुल्लिंग/नपुंसकलिंग/स्त्रीलिंग तथा एकवचन/बहुवचन में है उसी के अनुसार वर्तमान कृदन्त के रूपों में परिवर्तन होता है। आगे के पृष्ठों में दिखाये गये वाक्य – प्रयोगों से यह बात अच्छी तरह स्पष्ट हो जाएगी।
अपभ्रंश भाषा में क्रिया में निम्नलिखित प्रत्यय जोड़कर वर्तमान कृदन्त बनाये जाते हैं - वर्तमान कृदन्त क्रिया + प्रत्यय कृदन्तवाचक शब्द हिन्दी अर्थ के प्रत्यय न्त हस + न्त
हँसता हुआ माण
हस + माण हसमाण हँसता हुआ चूंकि वर्तमान कृदन्त विशेषण की भांति कार्य करते हैं इसीलिए इनके रूप पुल्लिंग व नपुंसकलिंग में तो अकारान्त शब्दों की ही भाँति प्रयुक्त हो जाते हैं किन्तु स्त्रीलिंग बनाने के लिए कृदन्त में 'आ/ई' प्रत्यय जोड़ दिये जाते हैं तब कृदन्तवाचक शब्द स्त्रीलिंग बन जाता है और उसके रूप आकारान्त, ईकारान्त शब्दों की भांति प्रयुक्त हो जाते हैं। जैसेहसन्ता, हसन्ती, हसमाणा, हसमाणी (हँसती हुई)।
हसन्त
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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4. भूतकालिक कृदन्त
अपभ्रंश भाषा में भूतकाल का भाव प्रकट करने के लिए भूतकालिक कृदन्त का ही प्रयोग किया जाता है। क्रिया में भूतकालिक कृदन्त के प्रत्यय जोड़कर भूतकालिक कृदन्त बना लिये जाते हैं। ये कृदन्त भी वर्तमान कृदन्त की ही भाँति विशेषण का कार्य करते हैं । अर्थात विशेष्य पुल्लिंग / नपुंसकलिंग / स्त्रीलिंग तथा एकवचन / बहुवचन में है उसी के अनुसार भूतकालिक कृदन्त प्रयुक्त होता है ।
अपभ्रंश भाषा में क्रिया में निम्नलिखित प्रत्यय जोड़कर भूतकालिक कृदन्त बनाये जाते हैं
भूतकालिक कृदन्त क्रिया + प्रत्यय
के प्रत्यय
हस + अ / य हसिअ / हसिय' हँसा
अ / य 1. अ/य प्रत्यय लगने पर अन्त्य 'अ' का 'इ' हो जाता है ।
भूतकालिक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग अकर्मक व सकर्मक दोनों प्रकार की क्रियाओं में किया जाता है। जब अकर्मक क्रियाओं में इन प्रत्ययों को जोड़ा जाता है तो इनका प्रयोग कर्तृवाच्य व भाववाच्य में किया जाता है । और सकर्मक क्रियाओं में जब इन प्रत्ययों को जोड़ा जाता है तब इनका प्रयोग केवल कर्मवाच्य में किया जाता है ।
1
कृदन्तवाचक शब्द हिन्दी अर्थ
जब भूतकालिक कृदन्त का प्रयोग कर्तृवाच्य में किया जाता है तब इसके रूप कर्ता के अनुसार चलेंगे। जैसे
S
सो हसिओ वह हँसा (अकारान्त पुल्लिंग की तरह प्रयुक्त) साहसिआ = वह हँसी (आकारान्त स्त्रीलिंग की तरह प्रयुक्त)
जब भूतकालिक कृदन्त के प्रत्यय का प्रयोग भाववाच्य में किया जाता है तब कर्ता में तृतीया (एकवचन अथवा बहुवचन) तथा कृदन्त में सदैव 'नपुंसकलिंग प्रथमा एकवचन' ही रहेगा। जैसे
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त - संकलन ]
नरिंदेण हसिउ = राजा के द्वारा हँसा गया नरिंदेहिं हसिउ = राजाओं के द्वारा हँसा गया
-
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जब भूतकालिक कृदन्त के प्रत्यय का प्रयोग सकर्मक क्रिया में किया जाता है तब यह कर्तृवाच्य में प्रयुक्त न होकर सिर्फ कर्मवाच्य में प्रयुक्त होता है। कर्मवाच्य में कर्ता तृतीया (एकवचन अथवा बहुवचन) में रखा जाता है। कर्म जो द्वितीया (एकवचन अथवा बहुवचन) में होता है, उसको प्रथमा (एकवचन अथवा बहुवचन) में परिवर्तित किया जाता है तथा भूतकालिक कृदन्त के रूप प्रथमा में परिवर्तित कर्म के अनुसार चलते हैं। जैसे
--
नरिंदे सो कोकिओ = राजा के द्वारा वह बुलाया गया नरिंदेण ते कोकिआ = राजा के द्वारा वे बुलाये गये
चूंकि भूतकालिक कृदन्त विशेषण की भाँति कार्य करते हैं इसीलिए इनके रूप पुल्लिंग व नपुंसकलिंग में तो अकारान्त शब्दों की ही भाँति प्रयुक्त हो जाते हैं किन्तु स्त्रीलिंग बनाने के लिए कृदन्त में 'आ' प्रत्यय जोड़ दिया जाता है तब कृदन्तवाचक शब्द स्त्रीलिंग बन जाता है और उसके रूप आकारान्त की भाँति प्रयुक्त हो जाते हैं। जैसे -
—
नरिंदेण सा कोकिआ 3 नरिंदेण ताउ कोकिआउ =
6]
अनियमित भूतकालिक कृदन्त -
अ/य प्रत्यय के योग से बने हुए भूतकालिक कृदन्त 'नियमित भूतकालिक कृदन्त कहलाते हैं। इसमें मूलक्रिया को प्रत्यय से अलग करके समझा जा सकता है। किन्तु जब अ / य प्रत्यय जोड़े बिना ही साहित्य में भूतकालिक कृदन्त का प्रयोग पाया जाता है तो वे 'अनियमित भूतकालिक कृदन्त कहलाते हैं। इसमें मूलक्रिया व प्रत्यय को अलग नहीं किया जा सकता है। इतना होने पर भी ये विशेषण की भाँति कार्य करते हैं और इनके रूप पुल्लिंग, नपुंसकलिंग अथवा स्त्रीलिंग अर्थात विशेष्य की तरह चलते हैं। जैसे दिण्णो दिया गया, दिण्णी - दी गई। गत्यार्थक क्रियाओं से बने हुए भूतकालिक कृदन्त कर्तृवाच्य व कर्मवाच्य/भाववाच्य दोनों में प्रयुक्त होते हैं।
राजा के द्वारा वह बुलायी गयी राजा के द्वारा वे बुलायी गयीं
-
[ पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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5. विधि कृदन्त
'हँसा जाना चाहिए', 'खेला जाना चाहिए' आदि भावों को प्रकट करने के लिए विधि कृदन्त का प्रयोग किया जाता है। अकर्मक क्रिया से बने हुए विधि कृदन्त का प्रयोग भाववाच्य में किया जाता है। जैसे- उसके द्वारा 'हँसा जाना चाहिए' और सकर्मक क्रिया से बने हुए विधि कृदन्त का प्रयोग कर्मवाच्य में किया जाता है। जैसे- 'मेरे द्वारा पानी पिया जाना चाहिए' । कर्तृवाच्य में विधि कृदन्त का प्रयोग नहीं किया जाता ।
अपभ्रंश भाषा में क्रिया में दो प्रकार के प्रत्यय जोड़कर विधि कृदन्त बनाये जाते हैं ।
1. परिवर्तनीय प्रत्यय - अव्व । 2. अपरिवर्तनीय प्रत्यय - इएव्वउं, एव्वउं, एवा ।
विधि कृदन्त क्रिया + प्रत्यय कृदन्तवाचक शब्द
के प्रत्यय
अव्व
इएव्व ं
एव्वउं
हसिअव्व / हसे अव्व' हँसा जाना चाहिए
हसिएव्वउं
हँसा जाना चाहिए
हसेव्वउं
हँसा जाना चाहिए
एवा
हस+एवा
हसेवा
हँसा जाना चाहिए
1. 'अव्व' प्रत्यय लगने पर अन्त्य 'अ' का 'इ' और 'ए' हो जाता है ।
परिवर्तनीय प्रत्ययों से निर्मित विधि कृदन्त जब भाववाच्य में प्रयुक्त
किया जाता है तब कर्ता में तृतीया (एकवचन अथवा बहुवचन) तथा कृदन्त में सदैव ‘नपुंसकलिंग प्रथमा एकवचन' ही रहेगा। जैसे
राजा के द्वारा हँसा जाना चाहिए
हस+अव्व
हस+इएव्व ं
हस+एव्वउं
नरिंदेण हसिअव्वु नरिंदेहिं हसिअव्वु = अपरिवर्तनीय प्रत्ययों से निर्मित विधि कृदन्त जब भाववाच्य में
राजाओं के द्वारा हँसा जाना चाहिए
प्रयुक्त किया जाता है तब कर्ता में तृतीया (एकवचन अथवा बहुवचन) होगा किन्तु कृदन्तरूप में कोई परिवर्तन नहीं होगा ।
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त - संकलन ]
हिन्दी अर्थ
こ
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हँसा जाना,
जैसे - नरिंदेण हसिएव्वउं/हसेव्वउं/हसेवा - राजा के द्वारा हँसा
जाना चाहिए नरिंदेहिं हसिएव्वउं/हसेव्वउं/हसेवा - राजाओं के द्वारा
हँसा जाना चाहिए परिवर्तनीय प्रत्ययों से निर्मित विधि कृदन्त जब कर्मवाच्य में प्रयुक्त किया जाता है तब कर्ता तृतीया (एकवचन अथवा बहुवचन) में होता है। कर्म जो द्वितीया (एकवचन अथवा बहुवचन) में होता है, उसको प्रथमा (एकवचन अथवा बहुवचन) में परिवर्तित किया जाता है तथा कृदन्त के रूप प्रथमा में परिवर्तित कर्म के अनुसार प्रयुक्त होते हैं। जैसे -
नरिंदेण सो कोकिअव्वो - राजा के द्वारा वह बुलाया जाना चाहिए नरिंदेण सा कोकिअव्वा - राजा के द्वारा वह बुलायी जानी चाहिए
अपरिवर्तनीय प्रत्ययों से निर्मित विधि कृदन्त जब कर्मवाच्य में प्रयुक्त किया जाता है तब कर्ता तृतीया (एकवचन अथवा बहुवचन) में, कर्म प्रथमा विभक्ति में होगा किन्तु कृदन्तरूप में कोई परिवर्तन नहीं होगा। जैसे
नरिंदेण सो कोकिएव्वउं/कोकेव्वउं/कोकेवा : राजा के द्वारा वह बुलाया जाना चाहिए
___ नरिंदेण सा कोकिएव्वउं/कोकेव्वउं/कोकेवा : राजा के द्वारा वह बुलायी जानी चाहिए
यहाँ विभिन्न प्रकार के कृदन्तों की परिभाषा व उनमें प्रयुक्त प्रत्ययों की प्रयोगविधि स्पष्ट करने के बाद आगे के पृष्ठों में विभिन्न प्रकार के कृदन्तों की सूची व उनके वाक्य-प्रयोग दिये जा रहे हैं। कृदन्त काव्य में जिस विभक्ति/रूप में प्रयुक्त हुए हैं , उन्हें उसी रूप में दिया जा रहा है। कृदन्तों के अर्थ व सन्दर्भ भी साथ ही दिये जा रहे हैं। सन्दर्भ संधि/कडवक/पंक्ति के क्रम में दिये गये हैं। . संकलित कृदन्त व उनके वाक्य-प्रयोग अपभ्रंश के आदिकवि
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[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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स्वयंभूरचित 'पउमचरिउ' में से लिये गये हैं। "पउमचरिउ' लोकभाषा अपभ्रंश में रचित रामकथात्मक महाकाव्य है। चूंकि पउमचरिउ एक काव्यात्मक/ पद्यात्मक ग्रन्थ है, इसलिए संकलित वाक्यों को कुछ शब्दों के परिवर्तन के साथ प्रस्तुत किया गया है। जैसाकि पूर्व में लिखा जा चुका है कि सभी प्रकार के कृदन्त अकर्मक/सकर्मक क्रियाओं में प्रत्यय जोड़कर बनाये जाते हैं, इसीलिए पउमचरिउ के विभिन्न प्रकार के कृदन्तों में प्रयुक्त अकर्मक व सकर्मक क्रियाओं की सूची परिशिष्ट में दी गई है। साहित्य को भली-भाँति समझने, पढ़ने के लिए कृदन्तों का ज्ञान अपेक्षित है। प्रस्तुत संकलन इस अपेक्षा की पूर्ति हेतु एक लघु प्रयास है। आशा है पाठक लाभान्वित होंगे।
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
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2. संबंधक कृदन्त जब कर्ता एक क्रिया समाप्त करके दूसरा कार्य करता है तो पहले किये गये कार्य के लिए 'संबंधक कृदन्त' का प्रयोग किया जाता है। जैसेवह "हँसकर' सोता है। संबंधक कृदन्तवाचक शब्द अव्यय होते हैं इसलिए इनका वाक्य-प्रयोग में रूप-परिवर्तन नहीं होता है। 'लिंग, विभक्ति और वचन के अनुसार जिनके रूपों में घटती-बढ़ती न हो, वह अव्यय है।'
संबंधक कृदन्त अकर्मक क्रियाओं और सकर्मक क्रियाओं में प्रत्यय जोड़कर बनाये जाते हैं। जब प्रत्यय सकर्मक क्रियाओं में जोड़े जाते हैं तब उनके साथ कर्म का प्रयोग अनिवार्य होता है। जैसे - वह जल 'पीकर' जाता है। इस वाक्य में 'पीकर' सकर्मक क्रिया से बना हुआ 'संबंधक कृदन्त' है जिसके लिए 'जल' कर्म के रूप में प्रयुक्त हुआ है। आगे अकर्मक क्रियाओं से बने हुए संबंधक कृदन्त एवं उनके वाक्य-प्रयोग तथा सकर्मक क्रियाओं से बने हुए संबंधक कृदन्त एवं उनके वाक्य-प्रयोगों को दर्शाया जा रहा है
__ (क) अकर्मक क्रियाओं से बने हुए संबंधक कृदन्त क्र. कृदन्तयुक्त क्रिया + कृदन्त- हिन्दी अर्थ सन्दर्भ सं. क्रिया प्रत्यय 1. अच्छेवि अच्छ + एवि रहकर 40/16/1 2. आऊरेवि आऊर + एवि उतरकर 39/3/6 3. उच्छलेवि उच्छल + एवि उछलकर 17/6/घ. 4. उडेवि उट्ठ + एवि उठकर 8/9/7
उड्डवि उड्ड + अवि उड़कर 36/1/5 6. उत्थरेवि उत्थर + एवि उछलकर 9/9/घ. 7. उप्पज्जवि उप्पज्ज + अवि उत्पन्न होकर 6/3/6 8. ओयरेवि ओयर + एवि उतरकर 1/8/1 9. ओरालेवि ओराल + एवि गरजकर 38/9/5
10]
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10. ओरुम्मेवि ओरुम्म + एवि 11. कलहेवि कलह + एवि 12. गज्जेवि गज्ज + एवि 13. गलगज्जेवि गलगज्ज + एवि 14. गलेवि गल + एवि 15. गुलगुलेवि गुलगुल + एवि
गरजकर
ut l
20.
16. घुलेप्पिणु घुल + एप्पिणु 17. झुज्झेवि झुज्झ + एवि 18. णासेवि णास + एवि 19. णिउड्डे वि णिउड्ड + एवि
णिवसेप्पिणु णिवस + एप्पिणु 21. णिवडे प्पिणु णिवड + एप्पिणु 22. णिलुक्केवि णिलुक्क + एवि 23. णीसरेवि णीसर +एवि 24. तुट्टेवि तुट्ट + एवि 25. तूसेवि तूस + एवि
थक्केवि थक्क + एवि 27. थाएविं था + एवि 28. पडिखलवि पडिखल + अवि 29. परिअत्तेवि परिअत्त + एवि 30. फिरेवि फिर + एवि 31. फुट्टवि फुट्ट + अवि
रुककर 9/9/घ. युद्ध करके 55/12/3 गरजकर 10/10/घ.
20/3/6 गलकर 14/7/7 गुलगुल की 10/10/घ. आवाज करके घूमकर 38/17/7 लड़कर 84/5/2 नष्ट होकर 2/12/5 डूबकर 14/5/1 निवास करके 26/4/10 गिरकर 2/13/8 छिपकर 84/17/7 निकलकर 6/3/3 टूटकर 13/5/7 संतुष्ट होकर 32/8/4 बैठकर 77/15/2 स्थिर होकर 2/11/3 लौटकर 74/14/प्रा. लौटकर 18/11/8 घूमकर 33/9/1 फूटकर 8/5/घ.
illa
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन ]
[11
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Page #19
--------------------------------------------------------------------------
________________
32. बइसरेवि
33.
भवेवि
भिडेवि
34.
35. मरेवि
36.
37. रहे वि
38.
वलेवि
39.
वसेवि
40.
विणिग्गेवि
41. विहसे विणु
42.
सेवि
43. होइवि
44.
होवि
12]
मिले वि
बइसर + एवि
भव + एवि
भिड + एवि
मर + एवि
मिल + एवि
रह + एवि
वल + एवि
वस + एवि
विणिग्ग + एवि
विहस + एविणु
हस + एवि
हो + इवि
हो + अवि
बैठकर
होकर
भिड़कर
6/1/5
90/9/10
72/4/4
22/6/5
4/5/2
77/8/2
2/15/2
रहकर
81/3/2
निकलकर 90/7/घ.
हँसकर
1/16/1
हँसकर
25/3/1
होकर
87/4/3
होकर
32/6/4
मरकर
मिलकर
रहकर
लौटकर
[ पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त - संकलन
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Page #20
--------------------------------------------------------------------------
________________
अकर्मक क्रियाओं से बने हुए संबंधक कृदन्त के वाक्य-प्रयोग 1. सहसक्खें उद्वेवि चक्कु मुक्कु।
8/9/7 - सहस्राक्ष के द्वारा उठकर चक्र छोड़ा गया। 2. सरियउ महीहरहो णीसरेवि रयणायरे सलिलु ढोयन्ति। 6/3/3
- नदियाँ पहाड़ों से निकलकर समुद्र में पानी ले जाती हैं। 3. गज्जेवि गुलगुलेवि णं गयवरहो महग्गउ भिडिउ। 10/10/घ.
- गरजकर और गुलगुल की आवाज करके मानो महागज
महागज से भिड़ गया हो। 4. महा-सरहो मज्झे उप्पज्जवि णलिणिउ वियसन्ति। 6/3/6
- महासरोवर के मध्य में उत्पन्न होकर कमलिनियाँ खिलती हैं। 5. णं काम-वेणि गलेवि पइट्ठी।
14/7/7 - मानो काम वेणी गलकर प्रविष्ट हुई। 6. वेण्णि वि विहि चलणेहिं णिवडेप्पिणु जिणु पासे थिय। 2/13/8
- दोनों ही दोनों चरणों में गिरकर जिनवर के पास बैठ गये। 7. हिं उववणे थोवन्तरु थाएवि पयागे णिक्खवणु किउ। 2/11/3
- उस उपवन में थोड़ी देर स्थिर होकर प्रयाग में संन्यास
ग्रहण किया। ___8. पुणु एक्कासणे वइसरेवि थिउ।
6/1/5 - फिर एक आसन पर बैठकर स्थित हुए। 9. जं जाणहु तं मिलेवि महु करहु।
4/5/2 - जैसा समझो वैसा मिलकर मेरे लिए कर दो। 10. तेण विहसेविणु एम वुत्तु।
1/16/1 ___- उसके द्वारा हँसकर इस प्रकार कहा गया।
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
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Page #21
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________________
11. वज्जयणेण हसेवि पुच्छिउ ।
12.
13.
14.
15.
16.
17.
18.
19.
20.
21.
22.
14]
—
-
• राम गरुड़ बनकर (होकर) स्थित हो गये ।
सो वि मरेवि कहिमि सुरत्तणु पत्तु ।
वह भी मरकर कहीं देवत्व को प्राप्त हुआ ।
एत्थ अच्छेवि अम्हे किं करेसहुँ ?
यहाँ रहकर हम क्या करेंगे ?
वज्रकर्ण के द्वारा हँसकर पूछा गया।
राहउ गरुडु होवि थिउ ।
-
-
णं अडविहे पाण उड्डवि गय ।
मानो अटवी के प्राण उड़कर गये हों ।
सीहु जेम ओरालेवि सो धावइ ।
- सिंह के जैसे गरजकर वह भागता है ।
-
जण्हुव-जोत्तेहिं घुलेप्पिणु सो पडिउ ।
- घुटनों के जोड़ों से घूमकर वह गिर पड़ा।
जा पूयण - जक्खें तुसेवि दिण्णी ।
-
—
-
25/3/1
32/6/4
22/6/5
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40/16/1
जो पूतन यक्ष के द्वारा संतुष्ट होकर गिर पड़ी। तहिँ रवण्णए णयरे णिवसेप्पिणु वल - नारायण गय
26/4/10
उस सुन्दर नगर में निवास करके लंकासुंदरी से विवाह किया।
पुणु कलहेवि लंकासुन्दरि परिणिय ।
55/12/3
36/1/5
38/9/5
38/17/5
—
- फिर युद्ध करके लंकासुन्दरी से विवाह किया ।
कमलायर-तीरन्तरे थक्केवि रहुवइ पभणइ |
कमल महासरोवर के किनारे पर बैठकर राम कहते हैं । अवरोप्परु झुज्झेवि मरणु पत्त ।
-
- एक-दूसरे से लड़कर मरण को प्राप्त हुए ।
32/8/4
77/15/2
84/5/2
[ पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त - संकलन
Page #22
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्र.
सं. क्रिया
1. अइकमेवि
अंचे वि
2.
3. अणुहरेवि
4.
अप्पेवि
अप्फाले वि
5.
(ख) सकर्मक क्रियाओं से बने हुए संबंधक कृदन्त
कृदन्तयुक्त - क्रिया + कृदन्त - हिन्दी अर्थ
प्रत्यय
6.
अप्फाल + एवि
अवगण्णेवि अवगण्ण + एवि
अवठम्भेवि
अवठम्भ + एवि
अवयरेवि
अवयर + एवि
अवयारेवि
अवयार + एवि
10.
अवरुण्डेवि अवरुण्ड + एवि
11. अवलोएवि अवलोअ + एवि
12. अवहत्थेवि
अवहत्थ + एवि
13.
अवहरे वि
अवहर + एवि
14.
अवहरे वि
अवहर + एवि
15. अवहारेवि
अवहार + एवि
16.
अहिणन्देवि अहिणन्द + एवि
17. अहिसारेवि अहिसार + एवि
7.
8.
9.
अइकम + एवि
अंच + एवि
अणुहर + वि
अप्प + एवि
अतिक्रमण करके 89/8/4
अर्चना करके
14/9/3
अनुभव करके
90/10/1
अर्पित करके
16/11/3
37/2/घ.
23/2/3
65/3/7
9/13/6
24/6/4
14/5/1
2/15/8
1/4/1
5/3/7
28/11/7
23/2/2
85/7/2
5/16/7
5/16/7
9/1/2
68/3/घ.
41/11/10
चांपकर
अवहेलना करके
पकड़कर
अवतरित होकर
उतारकर
आलिंगन करके
देखकर
छोड़कर
अपहरण करके
उपेक्षा करके
परित्याग करके
अभिनंदन करके
अभिषेक करके
अभिषेक करके
18. अहिसिंचेवि अहिसिंच + एवि
19.
पूछकर
आउच्छेवि आउच्छ + एवि 20. आणेप्पिणु आण + एप्पिणु 21. आपेक्खेवि आपेक्ख + एवि देखकर
लाकर
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन ]
सन्दर्भ
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[15
Page #23
--------------------------------------------------------------------------
________________
22. आमेल्लेवि आमेल्ल + एवि छोड़कर 2/12/घ. 23. आयण्णेवि आयण्ण + एवि सुनकर 37/5/1 24. आयामेवि आयाम + एवि बल लगाकर 7/7/घ. 25. आराहेवि आराह + एवि आराधना करके 56/15/घ.
आरुसेवि आरुस + एवि क्रोध करके 13/11/10 आरुहेवि आरुह + एवि चढ़कर 19/17/5
आलिंगेवि आलिंग + एवि आलिंगन करके 23/5/11 29. आवज्जेवि आवज्ज + एवि प्राप्त करके 84/19/7 30. आसंकेवि आसंक + एवि आशंका करके 73/11/5 31. आहणेवि आहण + एवि मारकर 64/3/3 32. आहिण्डेवि आहिण्ड + एवि परिक्रमा करके 63/12/घ. 33. इच्छेवि इच्छ + एवि चाहकर 36/4/8 34. उच्चारेप्पिणु उच्चार + एप्पिणु उच्चारण करके 35/16/4 35. उच्छिन्देवि उच्छिन्द + एवि छिन्न-भिन्न करके46/5/घ. 36. उज्झेवि उज्झ + एवि छोड़कर 85/6/5
उत्थरेवि उत्थर + एवि आक्रमण करके । 15/7/8
उद्दालेवि उद्दाल + एवि उखाड़कर 9/6/5 39. उद्दालेवि उद्दाल + एवि छीनकर 77/8/3 40. उप्पाडेवि उप्पाड + एवि उखाड़ कर 8/9/2 41. उब्मेवि उभ + एवि ऊँची करके 10/10/घ. 42. उम्मूलेवि उम्मूल + एवि उखाड़कर 13/3/घ. 43. ओसारेवि ओसार + एवि दूर हटाकर 16/8/3 44. कड्ढे प्पिणु कड्ढ + एप्पिणु निकालकर 28/2/6 45. कमेप्पिणु कम + एप्पिणु लांघकर 25/3/5 16]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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Page #24
--------------------------------------------------------------------------
________________
46. करेवि कर + एवि बनाकर
1/8/1 47. कहेवि कह + एवि कहकर
28/9/1 48. खंचेवि खंच + एवि खींचकर
3/7/3 49. खंडेवि खंड + एवि टुकड़े करके 11/1/9 50. खीले वि खील + एवि अवरुद्ध करके 82/2/घ. 51. खुडेवि खुड + एवि काटकर
16/7/2 52. खुण्टेवि खुण्ट + एवि काटकर 40/9/घ. 53. गणेप्पिणु गण + एप्पिणु गिनकर 21/13/8 54. गणेवि गण + एवि समझकर 22/11/घ. 55. गम्पिणु गम + एप्पिणु जाकर 1/15/घ. 56. गमेप्पिणु गम + एप्पिणु बिताकर 85/12/8 57. गरहेवि गरह + एवि निंदा करके 89/8/1 58. गवेसेवि गवेस + एवि खोज करके 39/12/8 59. गाएवि गा + एवि गाकर
30/4/2 60. गिलेप्पिणु गिल + एप्पिणु निगलकर । 26/19/6 61. गेण्हेवि गेण्ह + एवि ग्रहण करके 2/6/8 62. घडेवि घड + एवि मिलाकर 16/6/2 63. घत्तेवि घत्त + एवि फेंककर 28/7/घ. 64. घाएवि घा + एवि मारकर
35/4/6 65. घिवेवि घिव + एवि फैककर 28/7/घ. 66. घोसेप्पिणु घोस + एप्पिणु घोषणा करके 18/4/घ. 67. चडेप्पिणु चड + एप्पिणु आरूढ़ होकर 3/12/6 68. चप्पिउ चप्प + इउ दबाकर 32/12/6 69. चरेप्पिणु चर + एप्पिणु आचरण करके 35/10/घ. पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
1111111er1
[17
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--------------------------------------------------------------------------
________________
70. चवेप्पिणु चव + एप्पिणु कहकर 6/15/6 71. चिन्तेप्पिणु चिन्त + एप्पिणु चिन्तन करके 13/4/2 72. चोएवि चोअ + एवि प्रेरित करके 28/2/घ. 73. छंडेवि छंड + एवि छोड़कर 11/1/7 74. छड्डे वि छड्ड + एवि छोड़कर 33/9/5 75. छलिय छल + इय अपहरण करके 50/3/7 76. छाएवि छा + एवि छाया करके 55/11/7 77. छिन्देवि छिन्द + एवि छेद करके 38/6/5 78. छुहवि छुह + अवि छिपाकर
12/3/5 79. छुहेवि छुह + एवि डालकर 7/8/3 80. जज्जवि जज्ज + अवि जीतकर 9/9/घ. 81. जम्पेवि जम्प + एवि कहकर 50/10/5
जयकारेवि जयकार + एवि जयकार करके। मंगलाचरण जाणवि जाण + अवि जानकर 84/22/5
जिणेवि जिण + एवि जीतकर 4/11/1 85. जोक्कारेवि जोक्कार + एवि अभिवादन करके 45/3/11 86. जोत्तेप्पिणु जोत्त + एप्पिणु जोतकर 74/6/6 87. जोयवि जोय + अवि देखकर 86/6/1
झाएवि झा + एवि ध्यान करके 40/18/घ. 89. टालेवि टाल + एवि निकालकर 81/9/घ. 90. ठवेप्पिणु ठव + एप्पिणु प्रतिष्ठित करके 42/10/3 91. डहेवि डह + एवि जलाकर 88/10/3 92. ढंकेवि ढंक + एवि ढककर 23/11/घ. 93. णमंसेवि णमंस + एवि नमस्कार करके 23/15/घ.
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
18]
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Page #26
--------------------------------------------------------------------------
________________
94. णवेप्पिणु णव + एप्पिणु नमन करके 1/1/प्रा. 95. णासेवि णास + एवि भागकर 32/11/8 96. णिएवि णिअ + एवि देखकर 2/9/1 97. णिक्खणेवि णिक्खण + एवि खोदकर 56/15/2 98. णिज्जिणेवि णिज्जिण + एवि जीतकर 56/15/2 99. णिद्दारेवि णिद्दार + एवि चीरकर
2/7/4 100. णिहलेवि णिद्दल + एवि उखाड़ कर 18/2/6 101. णिन्देवि णिन्द + एवि निन्दा करके 28/8/8 102. णिब्मच्छेवि णिभच्छ + एवि निन्दा करके 72/8/4 103. णियत्तेवि णियत्त + एवि नियन्त्रित करके 31/3/1 104. णिरुंभेवि णिरुंभ + एवि अवरुद्ध करके 28/4/4 105. णिवारेवि णिवार + एवि निवारण करके 42/8/6 106. णिव्वाडेप्पिणु णिव्वाड + एप्पिणु चुनकर 6/4/घ. 107. णिसुणेवि णिसुण + एवि सुनकर 1/12/7 108. णेवि णी + एवि ले जाकर 82/7/8 109. तज्जेवि तज्ज + एवि भर्त्सना करके 17/3/घ. 110. तरेप्पिणु तर + एप्पिणु पार करके 27/12/1 111. तवेप्पिणु तव + एप्पिणु तप करके 35/10/घ. 112. ताडेवि ताड + एवि ताड़ित करके 48/3/घ. 113. तुलेप्पिणु तुल + एप्पिणु तौलकर 77/5/घ. 114. तोडेप्पिणु तोड + एप्पिणु तोड़कर 2/12/8 115. थंभेवि थंभ + एवि रोककर 14/13/8 116. थवेप्पिणु थव + एप्पिणु स्थापित करके 2/2/7 117. दरमलेवि दरमल + एवि चूर-चूर करके 18/2/6 पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
[19
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Page #27
--------------------------------------------------------------------------
________________
118. दले वि दल + एवि दलित करके 48/1/7 119. दरिसेप्पिणु दरिस + एप्पिणु देखकर 26/19/6 120. दहेवि दह + एवि जलाकर 77/12/2 121. दारेवि दार + एवि फाड़कर 41/12/घ. 122. दुहेवि दुह + एवि दुहकर 72/12/8 123. देप्पिणु दा + एप्पिणु दिखलाकर 2/2/7 124. देवि दा+ एवि देकर
'2/11/2 125. धरेवि धर + एवि पकड़कर 6/7/1 126. धाइउ धा + इउ दौड़कर 64/12/1 127. धीरेप्पिणु धीर + एप्पिणु धीरज देकर 13/2/घ. 128. धुणेवि धुण + एवि आहत करके 11/8/6 129. पईसवि पईस + अवि प्रवेश करके 14/11/घ. 130. पउंजेवि पउंज + एवि जानकर 2/14/6 131. पंगुरेवि पंगुर + एवि आच्छादन करके 76/5/घ. 132. पच्चारेवि पच्चार + एवि ललकार कर 51/7/6 133. पच्छाएवि पच्छाअ + एवि ढककर 48/8/6 134. पजम्पेवि पजम्प + एवि कहकर 87/6/7 135. पडिच्छेवि पडिच्छ + एवि स्वीकार करके 42/2/7 136. पढुक्केवि पढुक्क + एवि पहुंचकर 84/9/2 137. पणवेप्पिणु पणव + एप्पिणु प्रणाम करके 1/1/1 138. पणासेवि पणास + एवि भागकर 5/4/1 139. पभणेप्पिणु पभण + एप्पिणु कहकर 85/6/7 140. पयंचेवि पयंच + एवि पूजा करके 34/12/10 141. परअंचेवि परिअंच + एवि घुमाकर 7/14/6 20]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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Page #28
--------------------------------------------------------------------------
________________
142. परिअत्तेवि
143. परिचिंतेवि
144. परिणेप्पिणु
145. परिभमेवि
146. परिमण्णेवि
147. परियाणेवि
148. परियच्छेवि
149. परियप्पेवि
150. परिसेसवि
151. परिहेवि
152. परिहरेवि
153. पलोएवि
154. पव्वज्जेवि
155. पवोलेवि
156. पसरेप्पिणु
157. पसाहेवि
158. पहरेवि
159. पाले वि
160. पावेवि
161. पिएवि
162. पुज्जेवि
163. पूरिउ
164. पेक्खे वि
165. पेल्लेवि
पउमचरिउ
परिअत्त + एवि
परिचिंत + एवि
परिण + एप्पिणु
परिभम + एवि
परिमण्ण + एवि
परियाण + एवि
परियच्छ + एवि
परियप्प + एवि
परिसेस + अवि
परिह + एवि
परिहर + एवि
पलोअ + एवि
पव्वज्ज + एवि
पवोल + एवि
पसर + एप्पिणु
पसाह + एवि
पहर + एवि
पाल. + एवि
पाव + एवि
पिअ + एवि
पुज्ज + एवि
पूर + इउ
पेक्ख + एवि
पेल्ल + एवि
प्रयुक्त कृदन्त-संकलन ]
लौटकर
चिन्तन करके
विवाह करके
परिभ्रमण करके
मानकर
पहचानकर
समझकर
कल्पना करके
त्यागकर
पहनकर
छोड़कर
देखकर
प्रव्रज्या लेकर
अतिक्रमण करके
फैलाकर
सजाकर
प्रहार करके
पालन करके
प्राप्त करके
पीकर
आदर करके
बजाकर
देखकर
दबाकर
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18/11/8
4/12/5
10/7/1
33/10/1
23/2/3
38/9/1
58/14/3
9/4/2
3/10/8
76/5/8
4/3/8
84/8/8
17/18/घ.
23/9/9
23/5/11
2/16/2
57/5/3
84/23/6
90/9/8
5/4/5
4/3/5
17/10/5
3/5/घ.
17/5/1
[21
Page #29
--------------------------------------------------------------------------
________________
166. पेसेवि
167. पोमाएवि
168. फाडेण्पिणु
169. फेडेवि
170. बंधेवि
171. बुज्झेवि
172. भंजेवि
173. भज्जेवि
174. भणेवि
175. भमेवि
176. भरेप्पिणु
177. भावेवि
पेस + एवि
पोमाअ + एवि
फाड + एप्पिणु
फेड + एवि
बंध + एवि
बुज्झ + एवि
भंज + एवि
भज्ज + एवि
भण + एवि
भम + एवि
भर + एप्पिणु
भाव + एवि
भिन्द + एवि
भुंज + एवि
भूस + एवि
मण + एवि
178. भिन्देवि
179. भुंजेवि
180. भूसेवि
181. मणेवि
182. मण्णेवि
मण्ण + एवि
183. मण्डेवि
मण्ड + एवि
184. मलेवि
मल + एवि
185. माणेवि
माण + एवि
186. मारेवि
मार + एवि
187. मुएवि
मुअ + एवि
188. मुणेवि मुण + एवि 189. मुण्डेवि मुण्ड + एवि
22]
भेजकर
प्रशंसा करके
फाड़कर
हटाकर
बाँधक
समझकर
नाश करके
भग्न करके
कहकर
प्रदक्षिणा देकर
भरकर
ध्यान देकर
भेदकर
भोजन करके
विभूषित करके
समझकर
समझकर
रचकर
मर्दन करके
20/7/5
13/9/1
9/2/घ.
35/5/1
24/5/घ.
85/6/5
12/5/12
6/15/5
2/12/8
12/1/घ.
2/5/8
5/16/6
13/4/1
25/12/2
25 / 15 / घ.
2/7/8
25/12/घ.
4/5/9
12/10/घ.
84/13/घ.
61/2/घ.
6/15/घ.
3/12/1
30/1/3
अनुभव करके
मारकर
छोड़कर
समझकर
मूंडकर
[ पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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Page #30
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________________
190. मुसुमूरिउ मुसुमूर + इउ कुचलकर 191. मेलवेवि मेलव + एवि इकट्ठी कर 192. मेल्ले प्पिणु मेल्ल + एप्पिणु छोड़कर 193. रएप्पिणु रअ + एप्पिणु रचकर 194. रंजेवि रंज + एवि रंजित करके 195. रडेवि रड + एवि टर्र टर्र करके 196. रसेवि रस + एवि चिल्लाकर 197. लंघेप्पिणु लंघ + एप्पिणु लांघकर 198. लहवि लह + अवि प्राप्त करके 199. लिहेप्पिणु लिह + एप्पिणु लिखकर 200. लेवि ले + एवि लेकर 201. वंचेवि वंच + एवि बचाकर 202. वण्णेप्पिणु वण्ण + एप्पिणु वर्णन करके 203. वन्देवि वन्द + एवि वन्दना करके 204. वरिसेवि वरिस + एवि वर्षा करके 205. वहेवि वह + एवि वध करके 206. वाएवि वाअ + एवि बजाकर 207. वावरेवि वावर + एवि युद्ध करके 208. वाहेवि वाह + एवि हांककर 209. विच्छोडेवि विच्छोड + एवि अलग करके 210. विण्णवेवि विण्णव + एवि प्रणाम करके 211. विणिवाएवि विणिवाअ + एवि मारकर 212. वित्थरेवि वित्थर + एवि फैलाकर 213. विद्दारेवि विद्दार + एवि विदीर्ण करके पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन ]
25/15/3
5/6/2 17/6/9
2/5/7 42/2/2 28/3/2 24/6/घ.
2/5/7 87/1/2 30/2/2 1/10/3 13/12/9 49/9/9 2/17/1 35/1/2 17/8/2 30/4/2 12/9/8 12/1/घ. 55/3/2 5/16/2 42/4/5 59/10/1 40/16/घ.
[23
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Page #31
--------------------------------------------------------------------------
________________
214. विद्धंसेवि
215. विन्धेपि
216. वियप्पेवि
217. विरएवि
218. विरिल्लेवि
विरिल्ल + एवि
219. विवज्जेवि
विवज्ज + एवि
220. विसज्जेवि
विसज्ज + एवि
221. विसेसेवि
विसेस + एवि
222. विहुणेपिणु विहुण + एप्पिणु
223. विहुणेवि
विहुण + एवि
224. वेढेवि
वेद + एवि
225. वोलावेवि
वोलाव + एवि
226. संकेवि
संक + एवि
227. संघारेवि
संघार + एव
228. संचारेवि
संचार + एवि
229. संचूरेवि
संचूर + एवि
230. संजोते वि
संजोत + एवि
231. संथवेवि
संथव + एवि
232. संपेसेवि
संपेस + एवि
233. संभरेवि
संभर + एवि
234. संभासेवि
संभास + एवि
235. संमाणेवि
संमाण + एवि
236. संहारेवि
संहार + एवि
237. सण्णहेवि
सणह + एवि
24]
विद्वंस + एवि
विन्ध + एप्पिणु
वियप्प + एवि
विरअ + एवि
क्षत-विक्षत करके 37/7/3
बींधकर
64/12/घ.
विचार करके
2/9/5
रचना करके
16/15/1
फैलाकर
74/9/ घ.
छोड़कर
17/18/घ.
छोड़कर
38/1/8
विशेषता बताकर 17/6/घ.
हिलाकर
55/3/5
पीटकर
18/7/3
20/8/1
23/15/1
23/11/घ.
42/3/3
2/7/4
63/5/घ.
64/15/2
15/8/2
17/6/घ.
6/12/घ.
84/12/4
43/5/4
84/12/5
4/7/2
[ पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त - संकलन
घेरकर
व्यतिक्रम करके
आशंका करके
मारकर
संचार करके
चकनाचूर करके
जोतकर
स्तुति करके
भेजकर
याद करके
संभाषण करके
सम्मान करके
संहार करके
तैयार करके
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________________
238. समप्पे वि
239. समारुहेवि
240. समारे वि
241. समुत्तरेवि
242. समोड्डवि
243. सरेवि
244. सहेवि
समप्प + एवि
समारुह + एवि
समार + एवि
समुत्तर + एवि
समोड्ड + अवि
सर + एवि
सह + एवि
245. साहारेवि
साहार + एवि
246. साहेप्पिणु साह + एप्पि
247. सुणेवि
सुण + एवि
248. सुमरेवि
249. हक्कारेवि
250. हणेवि
251. हरेवि
252. हिण्डेवि
सुमर + एवि
हक्कार + एवि
हण + एवि
हर + एवि
हिण्ड + एवि
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त - संकलन ]
सौंपकर
आरूढ़ होकर
कराकर
तैरकर
स्थापित करके
याद करके
सहन करके
ढाढस बंधाकर
साधकर
सुनकर
स्मरण करके
बुलाकर
गति करके
अपहरण करके
घूमकर
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6/8/5
18/2/7
42/3/3
48/1/5
82/2/घ.
5/6/2
77/2/5
19/11/1
10/1/1
3/12/1
55/10/9
19/2/5
12/1/घ.
7/10/1
6/15/9
[25
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________________
सकर्मक क्रियाओं से बने हुए संबंधक कृदन्त के
वाक्य-प्रयोग
2.
1. णिरवसेसु खलयणु अवहत्थेवि पहिलउ मगहदेसु वण्णमि।
1/4/1 - समस्त खलजनों की उपेक्षा करके पहले मगध देश का वर्णन करता हूँ। तग्गय–मणेण जिणु पणवेप्पिणु तेण पुच्छिउ। . 1/9/8 - तल्लीन मन से जिनवर को प्रणाम करके उसके द्वारा पूछा
गया। 3. तं णिसुणेवि णराहिउ घोसइ ।
1/12/7 - उसको सुनकर नराधिप घोषणा करता है। ____ 4. जिणिन्दहो जम्मुप्पत्ति जाणेवि अमरिन्द अवरावए चडिउ ।
2/1/6 - जिनेन्द्र की जन्मुत्पत्ति जानकर इन्द्र ऐरावत पर सवार हुआ। 5. तं आएसु लहेवि सा गय तेत्तहे।
2/9/7 - इस आदेश को पाकर वह वहाँ गयी। 6. को वि फलइँ तोडेप्पिणु भक्खइ।
2/12/8 - कोई फलों को तोड़कर खाता है। 7. अण्णहुँ देसु विहंजेवि दिण्णउ ।
2/14/2 - दूसरों के लिए देश विभक्त करके दे दिया। 8. अवहि पउंजेवि सो तहिं सप्परिवारउ आउ। 2/12/6
- अवधि ज्ञान से जानकर वह वहाँ सपरिवार आया। 9. देवागमणु णिएवि परम-जिणहो वन्दण–हत्तिए सो वि गउ।
6/7/घ.
26]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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________________
- देवागमन को देखकर परम जिन की वन्दना भक्ति के लिए वह
भी गया। 10. णियय भवन्तरु संभरेवि सो देउ तहिं अवइण्णउ। 6/10/घ.
- अपने जन्मान्तर को याद करके वह देव वहाँ उपस्थित हुआ। 11. भुअंगमेण परिअंचिउ णमि।
13/6/7 - नागराज के द्वारा प्रदक्षिणा कर प्रणाम किया गया। 12. णर-गय-हय तज्जेवि रह धय भंजवि सो वूहहो मज्झे पइठु ।
7/3/घ. - नर, हय और गजों की भर्त्सना करके, रथ ध्वजों को भग्न
करके वह व्यूह के मध्य प्रविष्ट हुआ। 13. पवर-वन्दि-सयइँ गेण्हवि दसाणण णियय पुरु गउ ।
17/17/घ. - सैंकड़ों प्रवर बन्दियों को पकड़कर रावण अपने घर गया। 14. जिह जिणु महामयइँ जिणेवि अजरामरु पउ लहइ। 17/17/घ.
- जिस प्रकार परम जिन महामदों को जीतकर अजर अमर पद
प्राप्त करते हैं। 15. मन्दरहो सिहरइँ परियंचवि दसाणणु पल्लटु। 18/1/प्रा.
- सुमेरु पर्वत के शिखरों की प्रदक्षिणा करके दशानन लौटा। 16. दाहिण-देसे थत्ति करेविण सोमित्ति तुम्हहँ पासे आइउ।
____ 23/5/5 - दक्षिण देश में स्थिति बनाकर लक्ष्मण तुम्हारे पास आया। 17. तं जिणभवणु णियवि ते परितुट्ठ.।
25/7/5 - उस जिनभवन को देखकर वे संतुष्ट हो गये। 18. विमाणु विमाणे चप्पिउ वहइ।
32/12/6 - विमान विमान से टकराकर चलता है।
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
[27
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________________
19. कालें चोइउ को हक्कारइ।
48/2/2 __- काल से प्रेरित होकर कौन ललकारता है? 20. तं वयणु सुणेविणु मन्ति भणइ।
48/2/3 - उस वचन को सुनकर मन्त्री कहता है। 21. ताई सव्वाइं महु अप्पेवि सन्धि करहु ।
16/11/3 - वे सब मुझे देकर (अर्पित करके) सन्धि कर लो। 22. णं सग्ग-खण्डु वि अवयरेवि थिउ।
9/13/6 - मानो स्वर्ग-खण्ड ही उतरकर स्थित हो गया। 23. तं णिसुणेवि वे वि अवलोएवि धरणिधर थिउ । 2/15/8
- उसे सुनकर और दोनों को ही देखकर धरणेन्द्र स्थित हो गये। 24. बहु-दिवसेहिँ जणणु आउच्छेवि सो पुप्फवणु गउ। 9/1/2
- बहुत दिनों बाद पिता को पूछकर वह पुष्पवन में गया।
28]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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--------------------------------------------------------------------------
________________
3. हेत्वर्थक कृदन्त
'हँसने के लिए', 'नाचने के लिए', 'जीने के लिए' आदि भावों को प्रकट करने के लिए हेत्वर्थक कृदन्त का प्रयोग किया जाता है। जैसे - वह "हँसने के लिए जीता है। संबंधक कृदन्त की ही भांति ये कृदन्त भी अव्यय होते हैं अर्थात इनके वाक्य-प्रयोग में लिंग, विभक्ति और वचन के अनुसार रूप-परिवर्तन नहीं होता है।
ये कृदन्त भी अकर्मक क्रियाओं और सकर्मक दोनों प्रकार की क्रियाओं में प्रत्यय जोड़कर बनाये जाते हैं। जब प्रत्यय सकर्मक क्रियाओं में जोड़े जाते हैं तब उनके साथ कर्म का प्रयोग अनिवार्य होता है। जैसेवह जल पीने के लिए' जाता है। इस वाक्य में पीने के लिए' सकर्मक क्रिया से बना हुआ 'हेत्वर्थक कृदन्त' है जिसके लिए 'जल' कर्म के रूप में प्रयुक्त हुआ है। आगे सकर्मक क्रियाओं से बने हुए हेत्वर्थक कृदन्त एवं उनके वाक्य-प्रयोगों को दर्शाया जा रहा है
सकर्मक क्रियाओं से बने हुए हेत्वर्थक कृदन्त क्र. कृदन्तयुक्त- क्रिया+कृदन्त- हिन्दी अर्थ सन्दर्भ सं. क्रिया 1. अणुहुंजेवि अणुहुंज + एवि उपभोग करने के 39/5/4
प्रत्यय
लिए
2. अब्मत्थेवि 3. उच्चेल्लेवि 4. उत्थरेवि 5. करेविणु 6. कहेवि 7. गणेवि 8. गमण
अब्भत्थ + एवि उच्चेल्ल + एवि उत्थर + एवि कर + एविणु कह + एवि गण + एवि गम + अण
अभ्यर्थना के लिए 46/9/7 चलने के लिए 6/2/4 आक्रमण के लिए 18/2/9 करने के लिए 67/13/2 कहने के लिए 28/9/1 गिनने के लिए 8/4/9 जाने के लिए 10/6/1
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन ]
[29
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________________
9. गेण्हेवि गेण्ह + एवि पकड़ने के लिए 25/16/8 10. छुहेवि छुह + एवि डालने के लिए 18/2/7 11. डसेवि डस + एवि काटने के लिए 26/19/3 12. डहेवि डह + एवि जलाने के लिए 83/9/8 13. णिद्दलेवि णिद्दल + एवि नष्ट करने के लिए 18/2/6 14. तासेवि तास + एवि सन्त्रस्त करने के 15/8/घ.
लिए
15. दरमलेवि दरमल + एवि चूर चूर करने के 18/2/6
लिए 16. दलेवि दल + एवि चूर चूर करने के 35/13/2
लिए 17. देवि दा + एवि देने के लिए 12/5/5 18. धरेवि धर + एवि धारण करने के 12/9/2
लिए 19. पडिबोहणहिं पडिबोह + अणहिं प्रतिबोधित करने 89/8/3
के लिए 20. पणासेवि पणास + एवि नष्ट करने के 15/8/घ.
लिए 21. परिणणहं परिण + अणहं विवाह करने के 5/15/9
लिए पिएवि पिअ + एवि पीने के लिए 18/2/8 23. पेक्खेप्पिणु पेक्ख + एप्पिणु देखने के लिए 37/3/घ. 24. फेडेवि फेड + एवि मिटाने के लिए 81/5/10 25. बन्धण बन्ध + अण बाँधने के लिए 15/2/8 26. भमेवि भम + एवि भ्रमण करने के 85/6/3
लिए
30]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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________________
27. भिन्देवि भिन्द + एवि भेदने के लिए 10/3/5 28. मलेवि मल + एवि दलन करने के 51/4/5
लिए 29. मारेवि मार + एवि मारने के लिए 25/13/8 30. मुयवि मुय + अवि छोड़ने के लिए 15/13/5 31. रंजेवि रंज + एवि खुश करने के 50/12/8
लिए 32. लेवि ले + एवि ग्रहण करने के 18/2/5
लिए 33. वन्देप्पिणु वन्द + एप्पिणु वन्दना करने के 6/2/5
लिए 34. वहेवि वह + एवि वध करने के 40/15/6
लिए 35. वावरेवि वावर + एवि युद्ध करने के 12/9/8
लिए 36. संघारेवि संघार + एवि संहार करने के 37/3/घ.
लिए 37. समारुहेवि समारुह + एवि चढ़ने के लिए 18/2/7 38. समारेवि समार + एवि करने के लिए 37/3/घ. 39. समोडेवि समोड + एवि युद्ध करने के 48/1/1
लिए 40. सुपरिट्ठवेवि सुपरिट्ठव + एवि प्रतिष्ठापना के 19/1/4
लिए
41. सोसेवि 42. हणेवि 43. हरेवि
सोस + एवि हण + एवि हर + एवि
सुखाने के लिए 23/7/6 मारने के लिए 35/13/2 अपहरण करने 16/4/7 के लिए
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
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________________
सकर्मक क्रियाओं से बने हुए हेत्वर्थक कृदन्त के
वाक्य-प्रयोग 1. सो उच्चेलेवि णीसरिय।
6/2/4 - वह घूमने के लिए निकली। जिणालाइं वन्देप्पिणु एन्तु णियवि तेण माल घत्तिय। 6/2/5 - जिन मन्दिरों की वन्दना के लिए आते हुए देखकर उसके द्वारा
माला डाल दी गई। 3. फहरन्तइं धयइं वेणि बन्धण होसन्ति।
15/2/8 - फहराती हुई ध्वजाएं वेणि बाँधने के लिए होंगी। 4. सुकेसेण रिउ पणासेवि पयाणउ।
15/8/घ. - सुकेश के द्वारा शत्रु को नष्ट करने के लिए कूच किया गया। 5. सो पहु मुयवि पभणइ।
15/13/घ. - वह स्वामी को छोड़ने के लिए कहता है। 6. गेण्हेवि णरिन्दें णरिन्द गइन्हें गइन्द आहउ। 25/16/8
- पकड़ने के लिए राजा से राजा हाथी से हाथी आहत किये गये। 7. अण्णोण्णेण दलेवि दलवट्टिउ।
35/13/2 - एक दूसरे को चूर-चूर करने के लिए चूर चूर हुए। 8. कूवारु सुणेप्पिणु धण पेक्खेप्पिणु राएँ वलेवि पलोइयउ। 37/3/घ.
- क्रन्दन सुनकर स्त्री को देखने के लिए राजा के द्वारा मुड़कर देखा गया।
32]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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________________
9. तिहुयणु संघारेवि पलउ समारेवि कियन्तें जोइयउ। 37/3/घ.
- त्रिभुवन के संहार करने के लिए और प्रलय करने के लिए
कृतान्त के द्वारा अवलोकन किया गया। 10. मइं अणुहुंजेवि धर लब्भइ ।
39/5/4 - मेरे द्वारा उपभोग करने के लिए धरा प्राप्त की जाती है। 11. तहो बन्धु वहेवि को एत्थु वसइ।
40/15/6 - उसके भाई का वध करने के लिए कौन यहाँ रहता है ? 12. सुग्गीवें अब्मत्थेवि सो पेसिउ।
46/9/7 - सुग्रीव के द्वारा अभ्यर्थना के लिए वह भेजा गया। 13. दहमुह-माणु मलेवि हणुवन्तु आउ ।
51/4/5 - रावण का मान दलन करने के लिए हनुमान आया। 14. सा लक्खण परिरक्ख करेविणु थिउ ।
67/13/2 - वह लक्ष्मण की रक्षा करने के लिए स्थित हो गई। 15. सो तणूयरि हरेवि गउ।
16/4/7 - वह तनूदरा का हरण करने के लिए गया। 16. हउं रयणायर-जलु पिएवि सक्कमि।
18/2/6 - मैं समुद्र का जल पीने के लिए समर्थ हूँ। 17. लंकेसेण जागु पणासेवि रिउ तासेवि मगहहं पयाण किउ।
15/8/घ. - लंकेश के द्वारा यज्ञ नष्ट करने के लिए और शत्रु को सन्त्रस्त करने के लिए मगध के लिए कूच किया गया।
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
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________________
18.
19.
20. पडिबोहणहिँ सयम्पहु तहिं पयट्टु ।
21.
22.
ते अण्णोणेण हणेवि णिव्वट्टिउ ।
—
- वे एक दूसरे को मारने के लिए प्रवृत्त हुए ।
वज्जयण्णु मारेवि को सक्कइ ।
वज्रकर्ण को मारने के लिए कौन समर्थ है ?
34]
—
-
35/13/2
25/13/8
प्रतिबोधित करने के लिए स्वयंप्रभ देव वहाँ से चला ।
मणु रंजेवि को वि ण सक्कइ ।
मन को खुश करने के लिए कोई भी समर्थ नहीं है
1
जइ जलणु डहेवि समत्थउ तो डहउ ।
यदि आग जलाने के लिए समर्थ है तो जलावे ।
89/8/3
For Personal & Private Use Only
50/12/8
83/9/8
[ पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त - संकलन
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________________
4. वर्तमान कृदन्त "हँसता हुआ', 'नाचता हुआ', 'सोता हुआ आदि भावों को प्रकट करने के लिए वर्तमान कृदन्त का प्रयोग किया जाता है। जैसे – वह 'हँसता हआ उठता है। ये कृदन्त विशेषण का कार्य करते हैं। इनके रूप विशेष्य की भांति तीनों लिंगों व दोनों वचनों में परिवर्तित होते हैं। अर्थात विशेष्य पुल्लिंग, नपुंसकलिंग, स्त्रीलिंग तथा एकवचन, बहुवचन में है उसी के अनुसार वर्तमान कृदन्त के रूपों में परिवर्तन होता है। आगे के पृष्ठों में दिखाये गये वाक्य – प्रयोगों से यह बात अच्छी तरह स्पष्ट हो जाएगी।
चूंकि वर्तमान कृदन्त विशेषण की भांति कार्य करते हैं इसीलिए इनके रूप पुल्लिंग व नपुंसकलिंग में तो अकारान्त शब्दों की ही भांति प्रयुक्त हो जाते हैं किन्तु स्त्रीलिंग बनाने के लिए कृदन्त में 'आ, ई' प्रत्यय जोड़ दिये जाते हैं तब कृदन्तवाचक शब्द स्त्रीलिंग बन जाता है और उसके रूप आकारान्त, ईकारान्त शब्दों की भांति प्रयुक्त हो जाते हैं। जैसे - हसन्त, हसन्ती, हसमाणा, हसमाणी (हँसती हुई)। आगे अकर्मक क्रियाओं तथा सकर्मक क्रियाओं से बने हुए वर्तमान कृदन्त एवं उनके वाक्य-प्रयोगों को दर्शाया जा रहा है
(क) अकर्मक क्रियाओं से बने हुए वर्तमान कृदन्त क्र. कृदन्तयुक्त- क्रिया+कृदन्त- हिन्दी अर्थ सन्दर्भ सं. क्रिया प्रत्यय 1. अच्छन्तें अच्छ+न्त + 3/1 रहते हुए होने से 18/10/घ. 2. अच्छन्तु अच्छ+न्त+ 1/1 होते हुए 26/2/4 3. आवट्टन्तउ. आवट्ट+न्त+ 2/1 विलीन होती हुई 17/3/4
को 4. उग्गन्तउ उग्ग+न्त+1/1 उगता हुआ 23/12/7 5. उट्ठन्तएण उट्ठ+न्त+3/1 उठते हुए के द्वारा 16/13/4 6. उड्डन्तु उड्ड+न्त+1/1 उड़ता हुआ 39/7/8 7. उत्थल्लन्तइं उत्थल्ल+न्त+ 2/2 उछलते हुओं को 17/3/5
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
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8. उप्पज्जन्तु उप्पज्ज+न्त+ 1/1 उत्पन्न होता हुआ 35/14/घ. 9. उम्मीलन्तहुँ उम्मील+न्त+4/2 विकसित होते हुओं 14/5/घ.
के लिए 10. ओणल्लन्तउ ओणल्ल+न्त+ 2/1 अवनत होती हुई को 17/15/4 11. ओहट्टन्तउ ओहट्ट+न्त+2/1 नष्ट होती हुई को 17/3/4 12. कन्दन्तु कन्द+न्त+2/1 विलाप करते हुए को 9/10/7 13. कडयडन्तु कडयड+न्त+ 1/1 कड़-कड़ की आवाज 51/1/6
करते हुए 14. कम्पन्तु कम्प+न्त+ 1/1 काँपता हुआ 1/3/घ. 15. करकरयरन्तु करकरयर+न्त+ 1/1 करकराते हुए 51/1/7 16. कसमसन्त कसमस+न्त+ 1/2 कसमसाते हुए 35/10/घ. 17. कहकहन्ती कहकह+न्त+ 1/1 कहकहाती हुई 9/12/1 18. किलिकिलन्ति किलिकिल+न्त+ 1/1 किलकिलाते हुए 32/9/8 19. खलखलन्ति खलखल+न्त+ 1/1 खल-खल करती हुई 31/3/6 20. खलन्त खल+न्त+1/1 स्खलित होते हुए 17/13/3 21. खेलन्तु खेल+न्त+1/1 खेलता हुआ 9/4/1 22. गज्जन्ति गज्ज+न्त+ 1/1 गरजती हुई 15/14/घ. 23. गलन्तु गल+न्त+2/1 गलती हुई को 24/3/8 24. गुप्पन्ती गुप्प+न्त+ 1/1 व्याकुल होती हुई 23/6/7 25. गुलुगुलन्त गुलुगुल+न्त+1/1 गरजता हुआ 26/13/1 26. घवघवन्ति घवघव+न्त+ 1/1 घव-घव करती हुई 31/3/5 27. घुम्मन्तु घुम्म+न्त+ 1/1 घूमता हुआ 35/3/घ. 28. घुलन्तई
घुल+न्त+ 2/2 लड़खड़ाते हुओं को 4/8/9 29. चडन्तहो चड+न्त+ 6/1 चढ़ते हुए के 3/2/8 30. छिज्जमाणु छिज्ज+माण+ 1/1 नष्ट होता हुआ 69/13/4 31. जगडन्तउ जगड+न्त+ 1/1 झगड़ा करते हुए 10/8/4
II liinili
36]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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________________
32. जलजलन्तु जलजल+न्त+1/1 तेजी से जलता हुआ 46/7/2 33. जलन्तए जल+न्त+7/1 जलती हुई में 34. जियन्तु जिय+न्त+ 1/1 जीते हुए 11/10/2 35. जीवन्तु जीव+न्त+ 1/1 जीता हुआ 5/2/4 36. जुज्झन्तेण जुज्झ+न्त+ 3/1 जूझते हुए के द्वारा 3/13/8 37. झडझडन्तु झडझड+न्त+ 1/1 झड़-झड़ करते हुए 28/7/7 38. ठन्तउ ठा+न्त+1/1 बैठते हुए 77/9/8 39. डुहुडुहन्ति डुहुडुह+न्त+ 1/1 डुह-डुह करती हुई 31/3/3 40. डोल्लन्तु डोल्ल+न्त+ 1/1 हिलता हुआ 26/5/घ. 41. णच्चन्ती णच्च+न्त+ 1/1 नाचती हुई 14/10/7 42. णन्दन्तइँ णन्द+न्त+ 2/2 आनन्द करते हुओं 57/2/4
को 43. णासन्तु णास+न्त+2/1 भागते हुए को 7/9/4 44. णिज्झरन्तु णिज्झर+न्त+ 1/1 झरता हुआ
8/7/1 45. णिवडन्तउ णिवड+न्त 2/1 गिरते हुए को 1/5/2 46. णिवसन्तियहे णिवस+न्त+ 6/1 निवास करती हुई के 12/4/घ. 47. णीसरन्तु णीसर+न्त+ 1/1 निकलती हुई 51/12/2 48. णीससन्तु णीसस+न्त+ 1/1 निःश्वास लेते हुए 38/5/3 49. तडतडन्ति तडतड+न्त+1/1 तड़-तड़ करती हुई 31/11/7 50. तुट्टन्तेहिं तुट्ट+न्त+3/2 टूटते हुओं से 14/6/2 51. थरथरन्तु थरथर+न्त+ 1/1 थर्राता हुआ 27/9/2 52. थरहरन्त थरहर+न्त+1/1 थर्राते हुए 25/17/9 53. धगधगन्तु धगधग+न्त+ 1/1 जलती हुई 1/15/8 54. धुधुवन्ति धु व+न्त+ 1/1 धू-धू करती हुई 53/11/3 55. पक्कन्दन्ति पक्कन्द+न्त+1/1 चिल्लाती हुई 18/11/5 56. पक्खलन्ति पक्खल+न्त+ 1/1 स्खलित होती हुई 49/20/8
[37
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
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________________
57. पगुलुगुलन्ति पगुलुगुल+न्त+1/1 गुल-गुल करती हुई 56/12/5 58. पडन्त पडन्त+न्त+2/2 गिरते हुओं को 14/18/घ. 59. परिसक्कन्तियहे परिसक्क+न्त+ 6/1 फैलती हुई 31/13/10 60. पल्लट्टन्तु पल्लट्ट+न्त+ 1/1 लौटती हुई 74/14/2 61. पवसन्तें पवस+न्त+ 3/1 प्रवास करते हुए 4/4/1
के द्वारा 62. पवहन्ती पवह+न्त+ 1/1 प्रवाहित होती हुई 25/11/8 63. पसरन्तउ पसर+न्त+1/1 फैलता हुआ 74/1/1 64. पहवन्तेण पहव+न्त+ 3/1 होते हुए से 3/8/10 65. फुट्टन्तई फुट्ट+न्त+ 2/2 फूटे हुओं को 17/3/6 66. भिज्जन्त भिज्ज+न्त+ 1/2 भीगते हुए । 17/1/6 67. भिडन्तउ भिड+न्त+ 2/1 लड़ते हुए को 28/2/8 68. मन्ताहुँ मा+न्त+6/2 समाते हुओं के 9/3/5 69. मल्हन्तउ मल्ह+न्त+ 1/1 प्रसन्न होते हुए 26/12/घ. 70. मल्हन्ती मल्ह+न्त+ 1/1 लीला करते हुए 23/6/6 71. मरन्तएण मर+न्त+3/1 मरते हुए के द्वारा 39/9/2 72. मिलन्तिहे मिल+न्त+6/1 मिलती हुई का 78/5/घ. 73. रमन्तिहे रम+न्त+6/1 खेलती हुई के 18/3/6 74. रुअन्ता रुअ+न्त+ 1/1
रोते हुए
25/4/6 75. रुणुरुण्टन्तु रुणुरुण्ट+न्त+1/1 गूंजता हुआ 42/9/7 76. रुण्टन्त रुण्ट+न्त+1/1 बजते हुए 40/17/5 77. रुवन्ति रुव+न्त+ 2/1 रोती हुई को 19/2/घ. 78. रोवन्ती रोव+न्त+2/1 रोती हुई को ____8/3/1 79. ललन्त लल+न्त+1/1 लपलपाते हुए 35/12/5 80. ललन्तु लल+न्त+1/1 क्रीड़ा करता हुआ 51/1/4 81. लोट्टमाण लोट्ट+माण+ 2/1 लोटती हुई को 64/6/5
38]
.
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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________________
82. वज्जन्तई वज्ज+न्त+ 2/2 बजते हुओं को 25/4/5 83. वड्ढन्तु वड्ढ+न्त+ 1/1 बढ़ता हुआ 39/8/9 84. वद्धमाणु वद्ध+माण+ 1/1 बढ़ता हुआ 37/15/3 85. वलन्तहो वल+न्त+6/1 जलती हुई की 2/11/घ. 86. वलन्ति वल+न्त+ 1/1 मुड़ती हुई 23/4/4 87. वसन्ताइँ वस+न्त+ 2/2 रहती हुई को 57/2/घ. 88. वहन्ती वह+न्त+ 2/1 बहती हुई को 1/2/6 89. विप्फुरन्तु विप्फुर+न्त+ 1/1 चमकता हुआ 7/13/8 90. विलवन्ति विलव+न्त+ 1/1 विलाप करती हुई 45/7/5 91. विहसन्ती विहस+न्त+ 1/1 हँसती हुई 14/10/6 92. वुड्डन्ताई वुड्ड+न्त+ 1/2 डूबते हुए 14/13/6 93. वेवन्ति वेव+न्त+ 1/1 काँपती हुई 19/2/1 94. संचल्लन्तें संचल्ल+न्त+3/1 चलते हुए के द्वारा 23/6/1 95. सण्णज्झमाणु सण्णज्झ+माण+ 2/1 तैयार होता हुआ 74/10/2 96. समुत्थरन्तु समुत्थर+न्त+ 1/1 उछलता हुआ 17/4/8 97. समुव्वहन्ति समुव्वह+न्त+ 1/1 बहती हुई 31/3/2 98. सोहन्ती सोह+न्त+ 1/1 शोभती हुई
1/2/6 99. सुवन्तु सुव+न्त+ 2/1 सोते हुए को 7/9/6 100. हसन्तई हस+न्त+ 1/2 हँसते हुए 23/11/8 101. हसहसहसन्त हसहस+न्त+1/1 हस-हस करते हुए 42/5/2 102. हिंसन्तव हिंस+न्त+ 1/1 हींसती हुई 56/5/घ. 103. हिलहिलन्त हिलहिल+न्त+ 1/1हिनहिनाते हुए 12/8/5 104. हुन्तएण हु+न्त+ 3/1 होते हुए से 20/1/घ. 105. होन्तेण हो+न्त+ 3/1 होते हुए से 49/3/1 106. हुहुहुहुहन्त हुहुहुहुह+न्त+1/1 हु-हु करते हुए 42/5/3
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन ]
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(ख) सकर्मक क्रियाओं से बने हुए वर्तमान कृदन्त क्र. कृदन्तयुक्त- क्रिया+कृदन्त- हिन्दी अर्थ सन्दर्भ सं. क्रिया प्रत्यय 1. अन्दोलन्तउ अन्दोल+न्त + 1/1 झूलते हुए 14/2/8 2. अणुहरमाणी अणुहर+माण+ 1/1 अनुकरण करती 41/4/5
3. अलहन्ता अलह+न्त+ 1/2 प्राप्त न करते हुए 2/12/4 4. असन्तएण अस+न्त+ 3/1 खाते हुए के द्वारा 39/9/7 5. आउच्छन्तउ आउच्छ+न्त+ 1/1 पूछते हुए 23/5/6 6. आराहन्त आराह+न्त+ 1/2 आराधना करते 9/8/घ.
7. आरूसमाण आरूस+माण+1/1 क्रुद्ध होते हुए 37/8/8 8. आवन्तउ आव+न्त+ 1/1 आते हुए 25/2/घ. 9. उग्घोसन्ती उग्घोस+न्त+ 1/1 घोषणा करती हुई 29/4/7 10. उज्जोवन्तिय उज्जोव+न्त+ 1/1 प्रकाश करती हुई 7/3/8 11. उप्पाडन्तु उप्पाड+न्त+ 1/1 उखाड़ता हुआ 9/3/घ. 12. एन्ति ए+न्त+ 1/1 आती हुई 31/13/4 13. कड्ढन्तियए कड्ढ+न्त+ 3/1 खींचते हुए के द्वारा18/10/घ. 14. करन्तो कर+न्त+ 1/1 करता हुआ 2/7/1 15. कहन्ता कह+न्त+ 1/2 कहते हुए 3/7/9 16. कीलन्तहो कील+न्त+ 6/1 क्रीड़ा करते हुए के 2/8/1 17. कोक्कन्तई कोक्क+न्त+ 1/2 ललकारते हुए 4/7/10 18. खणन्तु खण+न्त+ 1/1 खोदते हुए 5/10/9 19. खुप्पन्तउ खुप्प+न्त+ 1/1 डूबा हुआ 20/10/5
40]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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________________
20. गन्तएहिँ
21. गणन्तु 22. गवेसन्तेहिँ
गा+न्त+ 3/2 गाते हुओं के 29/11/9
द्वारा गण+न्त+ 1/1 समझता हुआ 29/9/3 गवेस+न्त+ 3/2 खोजते हुओं के 19/17/9
द्वारा गाय+न्त+ 1/1 गाती हुई 14/10/8 गुण+न्त+ 1/1 विचार करता हुआ 72/6/2 गुप्प+न्त+ 1/1 छिपा हुआ 20/10/5 चर+न्त+ 6/1 आचरण करते हुए 3/2/8
23. गायन्ती 24. गुणन्तु 25. गुप्पन्तउ 26. चरन्तहो
19/5/घ.
27. चरन्तएहिं चर+न्त+ 3/2 चरते हुओं के
द्वारा 28. चवन्त चव+न्त+ 1/2 बात करते हए 29. चिन्तन्तहो चिन्त+न्त+ 6/1 चिन्तन करते
11/14/8
3/2/7
हुए के
30. चिन्तवन्तु
चिन्तव+न्त+ 1/1 चिन्तन करता
16/9/5
हुआ
31. चूरन्त 32. चोरन्तु 33. छिंदन्तु 34. छुहन्तु 35. जणन्तु 36. जन्तें 37. जम्पन्तई 38. जाणन्तहो
चूर+न्त+ 1/2 चूरते हुए 3/7/2 चोर+न्त+ 1/1 चोरी करता हुआ 34/5/3 छिंद+न्त+ 1/1 छेदता हुआ 52/1/8 छुह+न्त+ 1/1 छूता हुआ 9/3/घ. जण+न्त+ 1/1 उत्पन्न करते हुए 74/1/घ. जा+न्त+ 3/1 जाते हुए के द्वारा 5/1/8 जम्प+न्त+ 1/2 बोलते हुए 23/11/3 जाण+न्त+ 6/1 जानते हुए के 3/3/7
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन ]
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________________
39. जिणन्तु
40. जेमन्तहो
41. जो क्खन्तु
42. झायन्तु
43. डसन्तइं
44. डहन्तहो
45. ढुक्कमाण
46. णमन्त
47. णवन्तु
48. णासन्तहो
49. णिद्दलन्तु
50. तरन्तहुँ
51. तोडन्तइं
52. दरमलन्तु
53. दरिसन्तें
54. दलन्तु 55. दहन्तिउ
56. देन्त
57. धन्ति
58. धरन्ति
42]
जिण+न्त+ 1/1
जेम+न्त+ 6/1
जोक्ख+न्त+ 1/1
दिखाता हुआ
झाय+न्त+ 1/1
ध्यान करते हुए
डस+न्त+ 1/2
काटते हुए
डह+न्त+ 6/1
जलाते हुए के
ढुक्क+माण + 1/2 पहुँचती हुई
णम+न्त+ 1/2
णव+न्त+ 2/1
णास+न्त+ 6/1
णिद्दल+न्त+ 1/1
तर+न्त+ 4/2
जीतते हुए
12/11/8
भोजन करते हुए 48/10/6
के
10/5/1
19/14/7
23/11/5
3/2/3
10/11/5
नमन करती हुई
1/8/12
प्रणाम करते हुए 7/9/6 को
दल+न्त+ 1/1
दह+न्त+ 1/1
दा+न्त+ 1/2
धा+न्त+ 1/1
धर+न्त+ 1/1
नाश करते हुए के 3/2/10
रौंदता हुआ
27/9/4
14/5/घ.
तैरते हुओं के लिए
तोड+न्त+1/2
तोड़ते हुए
दरमल+न्त+ 1/1 दलित करता
हुआ
दरिस+न्त+ 3/1 दिखाते हुए के 28/2/घ.
द्वारा
रौंदता हुआ
जलाती हुई
देते हुए
24/13/3
25/15/4
25/15/1
17/2/3
10/3/5
दौड़ती हुई
18/11/5
धारण करती हुई 72/12/4
[ पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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59. धवलन्तउ धवल+न्त+ 1/1 धवल करते हुए 60. धावन्तउ धाव+न्त+ 1/1 दौड़ते हुए 61.धुणन्तु धुण+न्त+ 1/1 पीटता हुआ 62. पइसन्तेण पइस+न्त+ 3/1 प्रवेश करते हुए
के द्वारा 63. पच्चन्ता पच्च+न्त+ 1/2 पकते हुए 64. पडिपूरन्ति पडिपूर+न्त+ 1/1 समाप्त करती
3/3/6 25/2/घ. 27/9/4 3/9/घ.
11/9/7 56/12/7
65. पढन्तेहिं
66. पणमन्तु 67. पणवन्तेहिं
पढ+न्त+ 3/2 पढ़ते हुओं के 26/5/3
द्वारा पणम+न्त+ 1/1 प्रणाम करते हुए 40/5/7 पणव+न्त+ 3/2 प्रणाम करते 88/1/प्रा.
हुओं के द्वारा पभण+न्त+ 1/1 बोलता हुआ 3/9/9 परिण+न्त+ 6/1 विवाह करते हुए 6/9/1
68. पभणन्तउ 69. परिणन्तहो
5/10/3
70. परिपालन्तहो परिपाल+न्त+ 6/1 परिपालन करते
हुए के 71. परिप्फुरन्तु परिप्फुर+न्त+ 1/1 चमकता हुआ 72. परिममन्तु परिभम+न्त+ 1/1 घूमता हुआ 73. परिसेसन्तहो परिसेस+न्त+ 6/1 परिशेष करते
हुए के 74. परिहरन्तु परिहर+न्त+ 1/1 छोड़ते हुए 75. पहरन्तउ पहर+न्त+ 1/1 प्रहार करते हुए 76. पालन्तहो पाल+न्त+ 6/1 पालन करते हुए
1/15/8 1/15/4 3/2/5
40/18/8 28/2/7 3/2/6
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
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77. पिक्खन्तहो पिक्ख+न्त+ 6/1 देखते हुए के 72/11/घ. 78. पियन्तु पिय+न्त+ 2/1 पीते हुए को 7/9/6 79. पेक्खन्तहं पेक्ख+न्त+ 6/2 देखते हुओं के 21/3/2 80. फुसन्तियए फुस+न्त+ 3/1 पोंछते हुए के 18/10/घ.
द्वारा
81. फेडन्तहो 82. बोल्लन्ति 83. भजन्ति 84. भज्जन्तउ 85. भणन्तु 86. भुजन्त 87. भुंजन्तहो
88. भेल्लन्तउ
फेड+न्त+ 6/1 नाश करते हुए के 3/2/3 बोल्ल+न्त+ 1/1 बोलती हुई . 24/1/9 भंज+न्त+ 1/1 भग्न करती हुई 24/9/4 भज्ज+न्त+ 1/1 भग्न करते हुए 28/2/9 भण+न्त+ 1/1 कहता हुआ 2/16/घ.
ज+न्त+ 2/1 खाते हुए को 7/9/6 भुंज+न्त+ 6/1 उपभोग करते 5/10/3
हुए के भेल्ल+न्त+ 1/1 रेल-पेल मचाते 59/1/घ.
हुए मइल+न्त+ 1/1 मैला करता हुआ 77/9/2 मग्ग+न्त+ 1/1 माँगता हुआ 5/19/घ. मण्ण+न्त+ 1/1 मानते हुए 2/16/6 माण+न्त+ 6/2 अनुभव करते 9/3/5
हुओं के मुअ+न्त+ 1/2 छोड़ते हुए 24/13/3 मुंच+न्त+ 6/1 छोड़ते हुए के 3/2/9 मेल्ल+न्त+ 6/2 छोड़ते हुओं के 14/6/1 मोह+न्त+ 1/1 मोहित करता 44/1/7
89. मइलन्तु 90. मग्गन्तउ 91. मण्णन्तउ 92. माणन्ताहुँ
93. मुअन्तइँ 94. मुंचन्तहो 95. मेल्लन्तहुं 96. मोहन्तउ
हुआ
44]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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97. रक्खन्तहो रक्ख+न्त+ 6/1 रक्षा करते 3/2/6
हुए के 98. रसन्तेहिं रस+न्त+ 3/2 आवाज करते 14/6/3
हुओं के द्वारा 99. रेल्लन्तउ रेल्ल+न्त+ 1/1 बहाता हुआ 14/9/7 100. लग्गन्तिउ लग्ग+न्त+ 1/1 लगती हुई 17/2/3 101. लवन्त लव+न्त+ 1/2 बोलते हुए 32/3/5 102. वच्चन्ति वच्च+न्त+ 1/1 छोड़ती हुई 7/3/9 103. वज्जन्तहो वज्ज+न्त+ 6/1 कहते हुए के 3/2/9 104. वण्णन्तउ वण्ण+न्त+ 1/1 देखता हुआ 45/11/15 105. वन्दन्तहो वन्द+न्त+ 6/1 वन्दना करते 78/15/6
हुए के 106. वरिसन्तु वरिस+न्त+ 1/1 बरसाता हुआ 8/10/घ. 107. वहन्तें वह+न्त+ 3/1 प्रहार करते हुए 20/7/घ,
के द्वारा 108. वहन्तउ वह+न्त+ 1/1 वध करते हुए 31/2/7 109. वायन्ती वाय+न्त+ 1/1 बजाती हुई 14/10/8 110. वारन्तहो वार+न्त+ 6/1 मना करते हुए के 33/3/घ. 111. विचिन्तमाणु विचिन्त+माण+1/1 विचार विमर्श 16/3/2
करता हुआ 112. विद्धन्तहो विद्ध+न्त+ 6/1 बींधते हुए के 11/12/1 113. विहडन्ती विहड+न्त+ 1/1 विघटित करती 23/6/6
114. विहरन्त विहर+न्त+ 1/2 विहार करते हुए 32/1/प्रा. 115. विहुणन्ति विहुण+न्त+ 1/1 पीटती हुई 18/11/5 पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन ]
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________________
116. वोहन्तु वोह+न्त+ 1/1 बोधित करता हुआ1/16/8 117. संभरन्तु संभर+न्त+ 1/1 याद करते हुए 22/5/2 118. सम्माणन्तउ सम्माण+न्त+ 1/1 सम्मान करते हुए 73/14/4 119. सरन्ताइँ सर+न्त+ 1/2 स्मरण करते हुए 32/10/9 120. सहन्तु सह+न्त+ 1/1 सहन करता हुआ 22/5/3 121. सिंचन्तउ सिंच+न्त+ 1/1 सींचता हुआ 20/10/7 122. सुणन्तु सुण+न्त+ 1/1 सुनते हुए 11/3/1 123. सुमरन्तियए सुमर+न्त+ 3/1 स्मरण करती हुई 29/5/घ.
के द्वारा 124. हक्कन्तइँ हक्क+न्त+ 1/2 हाँक देते हुए 4/7/10 125. हणन्ति हण+न्त+ 1/1 नष्ट करती हुई 18/11/5 126. हरन्तहो हर+न्त+ 6/1 हरते हुए का 3/2/4 127. हिण्डन्तहुं हिण्ड+न्त+ 6/2 घूमते हुओं का 33/14/7
___46]
46]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन For Personal & Private Use Only
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________________
1.
(ग) वर्तमान कृदन्त के सभी विभक्तियों के वाक्य-प्रयोग प्रथमा विभक्ति के प्रयोग - कम्पन्तु छणहो चन्दु महागहेण ण मुच्चइ ।
1/3/घ. - काँपता हुआ पूर्णिमा का चन्द्र महाग्रहण से नहीं बच पाता। 2. उग्गन्तउ सूर-बिम्बु सोहइ।
23/12/7 - उगता हुआ सूर्य – बिम्ब शोभता है। 3. कोक्कन्त. रणे हक्कन्त. उभय-वलइँ–अभिट्टइँ। 4/7/घ.
- दोनों सेनाएँ युद्ध में ललकारती हुई, हाँक देती हुई भिड़ गई। 4. जो जीवन्तु पुव्वण्हए पेक्खइ सो अंगार पुंजु अवरण्हए ।
5/2/4 - पूर्वार्द्ध में जो जीता हुआ दिखता है वह अपराह्न में राख का ढेर
रहता है। 5. तिणि वि चवन्ताइँ पच्छिम-पहरे विणिग्गयाइँ। 27/15/1
- बातें करते हुए तीनों ही अन्तिम प्रहर में निकले। द्वितीया विभक्ति के प्रयोग - 1. णासन्तु णवन्तु सत्तु ण हम्मइ ।
7/9/6 - भागते हुए, प्रणाम करते हुए शत्रु को नहीं मारा जाना चाहिए। रावण किण्ण णियहि णन्दन्तइँ सयण।
57/2/4 - रावण, आनन्द करते हुए स्वजनों को क्यों नहीं देखते ? 3. रणे उत्थरन्तु पवण-पुत्तु हउ।
51/14/2 – रण में उछलते हुए हनुमान को आहत कर दिया। 4. णासन्तु णिएवि णिय-साहणु थिउ अग्गए तोयदवाहणु।
52/7/घ.
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
[47
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________________
5.
2.
3.
उछलते हुए छत्रों को देखकर प्रसन्नकीर्ति सुर सेना से भिड़
गया ।
तृतीया विभक्ति के प्रयोग
1.
4.
5.
नष्ट होती हुई अपनी सेना को देखकर तोयदवाहन आगे स्थित हुआ ।
48]
—
पेक्खेवि उत्थल्लन्तइँ छत्तइँ भिडिउ पसण्णकित्ति सुर - साहणे ।
17/3/5,8
तेएं पइसन्तेण तेण सुरह मि विब्भमु लाइउ ।
3/9/घ.
-
- तेज के साथ प्रवेश करते हुए उसके द्वारा देवों को भी विभ्रम में डाल दिया गया ।
पच्छिम पहरे पहंजणेण आउच्छिय पिय पवसन्तएण ।
-
—
19/1/प्रा.
अन्तिम प्रहर में प्रवास करते हुए पवनंजय के द्वारा प्रिया से कहा
गया।
धवलिउ जलु तुट्टन्तेहिँ हारेहिँ ।
—
- टूटते हुए हारों से जल सफेद हो गया।
तहिं पइसन्तेहिँ लक्खण-रामेहिँ सीरकुडुम्बिक मणुसु पदीसिउ ।
25/15/6
-
वहाँ प्रवेश करते हुए राम लक्ष्मण के द्वारा सीरकुटुम्बक नामक मनुष्य देखा गया।
किंकरेहिं गवेसन्तेहिँ वणे लक्खिउ वेल्लहले लया-भवणे ।
14/6/2
19/17/9
खोजते हुए अनुचरों के द्वारा (उसे) बेलफलों के लतागृहों में देखा गया।
[ पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त - संकलन
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________________
6. चउगइ-संसारे भमन्तएण आवन्तें मरन्तएण जगे जीवें को ण रुवावियउ।
39/9/2 - चार गतिवाले संसार में घूमते हुए, आते हुए और मरते हुए
जीव के द्वारा जग में कौन नहीं रुलाया गया? 7. तइलोक्कु वि तेण असिउ असन्तएण।
39/9/7 - खाते हुए उसके द्वारा त्रिलोक खाया गया। ___8. पणमन्तें अक्खिय कुसल–वत्त हणुवन्तें।
50/1/4 - प्रणाम करते हुए हनुमान के द्वारा कुशल वार्ता कही गई। 9. पुत्तेण जुज्झन्तेण सइँ भुय–वलेण महीयलु लइउ। 3/13/घ.
- जूझते हुए पुत्र के द्वारा अपने भुज बल से धरती प्राप्त की गई। 10. एम भणन्तेण विद्धन्तेण तेण स-रहि महारहु छिण्णउ ।
15/4/घ. - इस प्रकार कहते हुए और प्रहार करते हुए उसके द्वारा सारथी
सहित महारथ छिन्न-भिन्न किया गया। चतुर्थी विभक्ति व षष्ठी विभक्ति के प्रयोग - 1. उववणु णामेण पसत्थउ णाइँ कुमारहो एन्ताहो पइसन्ताहो थिउ णव-कुसुमांजलि हत्थउ।
__29/1/घ. - प्रशस्त नामक उपवन आते हुए और प्रवेश करते हुए कुमारों के लिए हाथ में नव कुसुमांजलि लिए हुए स्थित था। पायाल-लंका मुंजन्ताहो उप्पण्णु सुमालिहे पुत्तु रयणासउ।
9/1/1 – पाताल लंका का उपभोग करते हुए सुमालि के रत्नाश्रव पुत्र
हुआ। 3. जेण खरहो सिरु खुडिउ जियन्तहो।
57/6/7 - जिसके द्वारा जीते हुए खर का सिर काट दिया गया।
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
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________________
4. पेक्खन्तहो तहो रावण-वलासु बन्धेवि अप्पिउ भामण्डलासु।
66/11/4 - उसके देखते हुए रावण-सेना बाँधकर भामण्डल को सौंपी गई। 5. पुरे पइसन्ताहो राहवहो दुन्दुहि ताडिय सुरेहिँ हे। 79/4/घ.
- नगर में राघव के प्रवेश करते हुए (ही) देवताओं द्वारा आकाश
में दुन्दुभि बजाई गई। 6. परिणन्तहो लंकाहिव-दुहिय तहो अंगणे तेण वि कइ लिहिय।
6/9/1 - लंका नरेश की कन्या से विवाह करते हुए उसके आँगन में
किसी के द्वारा बन्दर चिह्नित किये गये। 7. विद्धन्तहो रयणासव-तणयहो दिट्ठि-मुट्ठि-संधाणु ण णावइ ।
11/12/1 - आक्रमण करते हुए रत्नाश्रव के पुत्र की दृष्टि-मुट्ठि का संधान
ज्ञात नहीं हो रहा था। 8. सयरहो सयल पिहिमि मुंजंतहो रयण-णिहाणइँ परिपालन्तहो सट्ठि सहास हूय वर-पुत्त।
5/10/3 - समस्त धरती का उपभोग करते हुए और रत्नों और निधियों का
परिपालन करते हुए राजा सगर के साठ हजार पुत्र हुए। पंचमी विभक्ति के प्रयोग - 1. अम्हहुँ देसें देसु भमन्तहुँ कवणु पराहउ किर णासन्तहुँ।
32/2/6 - एक देश से दूसरे देश घूमते हुए, भागते हुए हमारा कैसा पराभव ? सयल-काल-हिण्डण्तहुँ हुअ वण-वासे परम्मुहिय लक्खण-रामहुँ णं थिय सिय।
44/15/घ.
2.
50]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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________________
2.
आ
- हमेशा विहार करते हुए राम लक्ष्मण से वनवास में विमुख होकर
मानो सीता स्थित हुई। सप्तमी विभक्ति के प्रयोग - 1. किं पइसरमि वलन्ते हुआसणे।
29/4/2 - क्या (मैं) जलती हुई आग में प्रवेश करूँ ? स्त्रीलिंग के प्रयोग - 1. रावणेण सरि दिट्ठ वहन्ती।
14/10/2 - रावण के द्वारा बहती हुई नदी देखी गई। आसालिय णहे गज्जन्ति पराइय।
__15/14/घ. - आशाली विद्या आकाश में गरजती हुई आ गई। 3. कन्दन्ति पइँ तिलु तिलु करवत्तेहिं कप्पइ । 41/12/9
- क्रन्दन करती हुई तुम तिल तिल करपत्रों से काटी जाओगी। अंसु फुसन्तियए वुच्चइ लीहउ कड्ढन्तियए। 18/10/घ. - आँसू पोंछते हुए और लकीर खींचते हुए उसके द्वारा कहा
जाता है। 5. हा हा माए' भणन्तिहिँ सहियहिँ कलयलु किउ । 21/8/6
- हा माँ हा माँ कहती हुई सखियों के द्वारा कोलाहल किया गया। 6. वणे णिवसन्तियहे वय-वन्तिहे सुउ उप्पण्णु विराहिउ। 12/4/घ.
- वन में निवास करती हुई व्रतवती के विराधित (नामक) पुत्र
उत्पन्न हुआ। 7. णिय-पइहे मिलन्तिहे कुलवहुहे सीलु जि होइ पसाहणउ।
78/5/घ. - निज पति से मिलती हुई कुलवधु का प्रसाधन शील होता है।
4.
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
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________________
8.
9.
10.
सइहे होन्ति वि लंछणु लाइउ ।
सती होती हुई के भी लांछन लगा दिया गया ।
दसाणण-पत्तिए वुच्चइ विहसन्तिए ।
-
- हँसती हुई दशानन की पत्नी द्वारा कहा जाता है ।
णिय - कित्तिहे मं भंजहि पाय तिहुयणे परिसक्कन्तियहे ।
—
81/10/1
42/4/घ.
त्रिभुवन में फैलती हुई अपनी कीर्ति के आधार को नष्ट मत
करो ।
52]
41/10/7
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[ पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त - संकलन
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________________
5. भूतकालिक कृदन्त अपभ्रंश भाषा में भूतकाल का भाव प्रकट करने के लिए भूतकालिक कृदन्त का ही प्रयोग किया जाता है। क्रिया में भूतकालिक कृदन्त के प्रत्यय जोड़कर भूतकालिक कृदन्त बना लिये जाते हैं। ये कृदन्त भी वर्तमान कृदन्त की ही भाँति विशेषण का कार्य करते हैं। अर्थात विशेष्य पुल्लिंग/ नपुंसकलिंग/स्त्रीलिंग तथा एकवचन/बहुवचन में है उसी के अनुसार भूतकालिक कृदन्त प्रयुक्त होता है।
भूतकालिक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग अकर्मक व सकर्मक दोनों प्रकार की क्रियाओं में किया जाता है। जब अकर्मक क्रियाओं में इन प्रत्ययों को जोड़ा जाता है तो इनका प्रयोग कर्तृवाच्य व भाववाच्य में किया जाता है। जब भूतकालिक कृदन्त के प्रत्यय का प्रयोग सकर्मक क्रिया में किया जाता है तब यह कर्तृवाच्य में प्रयुक्त न होकर सिर्फ कर्मवाच्य में प्रयुक्त होता है। आगे अकर्मक क्रियाओं से बने हुए नियमित भूतकालिक कृदन्त एवं उनके वाक्य-प्रयोग तथा सकर्मक क्रियाओं से बने हुए नियमित भूतकालिक कृदन्त एवं उनके वाक्य-प्रयोगों को दर्शाया जा रहा है(क) अकर्मक क्रियाओं से बने हुए नियमित भूतकालिक कृदन्त क्र. कृदन्तयुक्त- क्रिया+कृदन्त- हिन्दी अर्थ सन्दर्भ सं. क्रिया प्रत्यय 1. अच्छिउ अच्छ + अ रहा हुआ 27/14/घ. 2. अच्छियउ अच्छ + अ बैठा हुआ 87/11/3 3. अत्थमिउ अस्थम + अ अस्त हुआ 76/3/1 4. अब्मिडिय अभिड + य । भिड़ गये . 40/7/घ. 5. आणंदिउ आणंद + अ आनंदित हुआ 5/16/1 6. उग्गमिउ उग्गम + अ उदित हुआ 45/11/5 7. उच्छलियइँ उच्छल + य उछल पड़े 52/10/7
अ
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन ]
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8. उठ्ठियाउ उट्ठ + य उठी
13/5/4 9. उत्थल्लियाइँ उत्थल्ल + य उछल पड़े 74/10/घ. 10. उत्तरिउ उत्तर + अ उतर गये 79/1/7 11. उम्मिल्लिय उम्मिल्ल + य प्रकाशित हुई 49/7/घ. 12. उल्हाविउ उल्हाव + अ शान्त हो गई 65/9/9 13. उवसमिय उवसम + य शान्त हो गई 89/10/6 14. उव्वरिया उव्वर + य बच गये .5/11/3 15. ओणल्लियउ ओणल्ल + य लटक गया 63/9/घ. 16. ओवडियइँ ओवड + य । गिरे हुए 23/11/5 17. ओसरिउ ओसर + अ हट गया 27/14/7 18. ओहट्टिउ ओहट्ट + अ हट गया 4/10/घ. 19. कम्पिय कम्प + य काँप गयी 32/2/5 20. खलिउ खल + अ स्खलित हुआ 58/11/3 21. खसिउ खस + अ गिर गया 87/14/8 22. खुहिउ . खुह + अ क्षुब्ध हुआ 15/4/6 23. गज्जिय गज्ज + य गरज उठे _2/1/2 24. गलिउ गल + अ गल गया 5/7/8 25. गलगज्जिउ गलगज्ज + अ गरजा
28/2/1 26. चिराविउ चिराव + अ देर की गई 22/1/घ. 27. जज्जरिउ जज्जर + अ जर्जर हो गया 15/4/5 28. जलिउ जल + अ जला
9/9/1 29. जीवियउ जीव + य जीवित हुआ 68/3/घ. 30. जुज्झिउ जुज्झ + अ युद्ध किया 46/9/9 31. टलिउ टल + अ टल गया 27/6/6 54]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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________________
32. टलिउ टल + अ डिगा
89/7/8 33. डरिउ डर + अ डर गया 6/13/6 34. डोल्लिय डोल्ल + य काँप गया 41/12/7 35. डोल्लियइँ डोल्ल + य हिल गये 54/1/घ. 36. णच्चियइँ णच्च + य नाचने लगे 75/13/घ. 37. णिवडिय णिवड + य गिरे हुए 1/5/घ. 38. णिवसिय णिवस + य रही
81/5/घ. 39. णीसरियइँ णीसर + य निकले 77/18/5 40. ण्हाय ण्हा + य स्नान किया 15/9/7 41. ण्हाणिय ण्हाण + य स्नान किया 77/17/9 42. तुट्टिय तुट्ट + य टूट गई 22/2/3 43. तोसिय तोस + य संतुष्ट हुआ 75/22/1 44. थम्भिउ थम्भ + अ रुक गया 13/1/1 45. थरहरिय थरहर + य हिल गयी 1/8/3 46. पकन्दियउ पकन्द + य आक्रन्दन किया 29/6/1
गया 47. पज्जलिउ पज्जल + अ जल उठा 13/11/6 48. पडिखलियउ पडिखल + य स्खलित हो गया 32/12/8 49. पडियइँ पड + य पड़े हुए 52/2/6 50. पणच्चिउ पणच्च + अ नाचा
2/7/6 51. पप्फुल्लियइँ पप्फुल्लि + य खिल गये 49/12/घ. 52. पयट्टिउ पयट्ट + अ कूच किया 53. परिवढिउ परिवड्ढ + अ बढ़ा
3/6/1 54. पल्लट्टिउ पल्लट्ट + अ लौट आया 33/2/6
21/7/1
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन ]
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________________
__ +
55. पवड्ढिउ 56. पसमिओ 57. पसरिय 58. पहसिओ 59. पायडियउ 60. पुंजिउ 61. फलिउ 62. फलियउ 63. फुरिउ 64. भिडिय 65. मइलियउ 66. माइयउ 67. मिलियइँ 68. मुच्छिय 69. रंजिओ 70. रमिउ 71. रसिउ 72. रूसिउ 73. रोसिउ 74. लज्जियउ 75. ल्हसिउ 76. वड्ढिय 77. वलिय 78. वलियर
पवड्ढ + अ पसम + अ पसर + य पहस + अ पायड + य पुंज + अ फल + अ फल + य फुर + अ भिड + य मइल + य माऊ + य मिल + य मुच्छ + य रंज + अ
रम + अ __ रस + अ
रूस + उ रोस + अ लज्ज + य ल्हस + अ वड्ढ + य वल + य
बढ़ गया 9/13/घ. शान्त हो गया 46/7/4 फैली हुई 4/11/घ. हँस पड़ा 51/5/7 प्रकट हुआ 77/13/10 इकट्ठा हुआ 77/1/11 फल रही थी '71/3/5 फलित हुआ 84/22/8 चमक गया 14/6/3 भिड़ गये . 4/11/3 मैला हुआ 66/2/5 समाया
44/7/घ. मिल गये 52/8/8 मूर्छित हुई 23/4/1 प्रसन्न हो गया 45/3/1 क्रीड़ा की गई 38/11/1 गरज उठा 27/6/5 रुष्ट हुआ 57/7/1 कुपित हुआ 10/8/7 लज्जित हुआ 6/3/8 खिसक गया 17/4/6 बढ़ी
4/7/10 लौट गये 23/14/घ. मुड़ा
8/3/5 [ पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
10/
वल + य
56]
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79. वित्थरियउ 80. विप्फुरिय 81. वियम्भियउ 82. वियलिउ 83. वियसिउ 84. विहडिय 85. विहसिउ 86. संभविउ 87. सक्किउ 88. सज्जिउ 89. समल्लियइँ 90. समावडिय 91. समुट्ठिउ 92. सल्लिओ 93. सुक्कियउ 94. सुसिउ 95. हरिसियउ 96. हल्लियउ 97. हसिउ
वित्थर + य । विप्फुर + य वियम्भ + य वियल + अ वियस + अ विहड + य विहस + अ संभव + अ सक्क + अ सज्ज + अ समल्ल + य समावड + य समुट्ठ + अ सल्ल + अ सुक्क + य सुस + अ हरिस + य हल्ल + य हस + अ
फैला हुआ 23/9/10 चमक उठी 12/7/7 फैलने लगा 9/9/6 गल गया 83/19/11 खिल उठा 45/6/7 विघटित हो गये 43/6/2 हँसा ___43/11/3 संभव हुआ 79/11/घ. सका
4/11/1 सजा
49/3/4 मिली 49/12/घ. मिल गये 36/12/6 उठा
5/8/घ. पीड़ित हुआ 40/3/1 सूखी हुई 19/6/9 सूख गया 87/14/8 हर्षित हुआ 6/13/4 हिले हुए 39/12/7 हँसा गया 8/8/8
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
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अकर्मक क्रियाओं से बने हुए नियमित भूतकालिक कृदन्त
के वाक्य-प्रयोग
1. तं णिसुणेवि तहो वयणु वलियउ।
8/3/5 - यह सुनकर उसका मुख मुडा। 2. कहि मि फुरन्तेहिँ कुण्डलेहिँ जल फुरिउ ।
14/6/3 - कहीं स्फुरित कुण्डलों से जल चमक उठा। 3. इन्द दस-सय कर करेवि पणच्चिउ। .
2/7/6 - इन्द्र एक हजार हाथ बनाकर नाचा। 4. णरिन्दहो माणु-मच्छरु गलिउ।
5/7/8 - राजा का मान-मत्सर गल गया। तं णिसुणेवि णरवइ लज्जियउ।
6/3/8 - उसको सुनकर राजा लज्जित हुआ। ____ तं पेक्खेवि तडिकेसु डरिउ ।
6/13/6 - उसको देखकर तडित्केश डर गया। 7. जग-जणेरि वसुन्धरि थरहरिय।
1/8/3 - जग को उत्पन्न करनेवाली धरती हिल गयी। 8. णव-पाउसे णव घण गज्जिय।
2/1/2 - नव वर्षा ऋतु में नव घन गरज उठे। 9. रुयन्ती अपराइय महएवि महियले पडिय।
23/3/घ. - रोती हुई अपराजिता महादेवी धरती पर गिर पड़ी। 10. णं चन्दुग्गमे उवहि पगज्जिय।
___24/8/2 - मानो चन्द्रमा के उदय पर समुद्र गरज उठा। 11. णं तारा-मण्डलु उग्गमिउ ।
45/11/5
58]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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________________
मानो तारा - मण्डल उदित हुआ ।
णं गयण-मग्गे चन्द-लेह उम्मिल्लिय ।
मानो आकाश पथ में चन्द्रलेखा प्रकाशित हुई ।
तं णिसुणेवि किक्किन्ध-णराहिउ रंजिओ ।
यह सुनकर किष्किन्धराज सुग्रीव प्रसन्न हो गया ।
अंगंगय वे वि सुहड विहडिय ।
अंग और अंगद दोनों ही वीर विघटित हो गये ।
णं सयवत्तु विहसिउ।
मानो कमल हँसा ।
16. तो एत्थन्तरे पहु आणन्दिउ ।
12.
13.
14.
15.
18.
-
19.
-
—
-
-
17. भरहेसर ओहट्टिउ ।
इसके अनन्तर राजा आनन्दित हो गया ।
भरतेश्वर हट गया ।
तं णिसुणेवि रावण उवहि जेम खुहिउ ।
उसको सुनकर रावण समुद्र की तरह क्षुब्ध हुआ ।
अम्बरे पुप्फविमाणु थम्भिउ ।
आकाश में पुष्पक विमान रुक गया ।
-
20. पुरन्दरेण हसिउ ।
-
- इन्द्र के द्वारा हँसा गया ।
21. तं णिसुणेवि सीय मणे कम्पिय ।
-
उसको सुनकर सीता मन में काँप गयी ।
22. कंचुइ पइँ काइँ चिराविउ ।
हे कंचुकी! तुम्हारे द्वारा देर क्यों की गई ?
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49/7/घ.
45/3/1
43/6/2
43/11/2
5/16/1
4/10/घ.
15/4/6
13/1/1
8/8/8
32/2/5
22/1/घ.
[59
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________________
23. किं इन्दहो इन्दत्तणु टलिउ ।
27/6/6 - क्या इन्द्र का इन्द्रत्व टल गया। 24. गइ तुट्टिय।
22/2/3 - गति टूट गयी। 25. तहिँ बालए कलुणु पकन्दियउ।
29/6/1 - वहाँ बाला के द्वारा करुण क्रन्दन किया गया। 26. महु पुण्णेहिँ तुम्ह समावडिय।
- 36/12/6 - मेरे पुण्यों से तुम मिल गये। प्रथमा विभक्ति बहुवचन के वाक्य-प्रयोग - 1. भावण-भवणेहिँ संख पवज्जिय।
2/1/2 - भवनवासी देवों के भवन में शंख बज उठे। 2. भीम-भईरहि वे उव्वरिया।
5/11/3 - भीम और भगीरथ दोनों बच गये। 3. कत्थइ सुय-पन्तिउ उद्वियाउ।
13/5/4 - कहीं तोतों की पंक्तियाँ उठीं। ___4. छत्तइँ णाइँ सयवत्तइँ महिहिँ पडियइँ।
52/2/6 - छत्र कमल की तरह धरती पर पड़े हुए थे। 5. वेण्णि वि वलइँ परोप्परु भिडिय।
52/8/8 - दोनों ही सेनाएँ आपस में टकरा गईं। 6. तहो लोयण' फुटेवि उच्छलिय।
52/10/7 - उसके नेत्र फूटकर उछल पड़े। 7. तं वयणु सुणेवि सीयहे णयणइँ डोल्लिय।
54/1/घ. - यह वचन सुनकर सीता के नेत्र हिल उठे।
60]
[ पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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________________
8.
9.
अट्ठारह जुवइ-सहासइँ सीयहे पासु समल्लियइँ। 49/12/घ.
अठारह हजार युवतियाँ सीता के पास आकर मिली।
णं सरवरे सयवत्तइँ पप्फुल्लियइँ ।
मानो सरोवर में कमल खिल गये हों ।
-
तृतीया विभक्ति का वाक्य-प्रयोग रोसिएण हणुवन्तेण सो सरेहिं ताडिउ ।
―
46/5/9
रूठे हुए हनुमान के द्वारा वह तीरों से आहत किया गया ।
49/12/घ.
षष्ठी विभक्ति का वाक्य - प्रयोग
तहिं अवसरे तासु हत्थु गणि- गण - विष्फुरियहे णिय छुरियहे उप्परि गउ । 76/2/2
उसी अवसर पर उसका हाथ मणि-गण से चमकती हुई छुरी के ऊपर गया।
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त - संकलन ]
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________________
क्र.
सं.
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
(ख) सकर्मक क्रियाओं से बने हुए नियमित भूतकालिक
कृदन्त
कृदन्तयुक्त - क्रिया + कृदन्त - हिन्दी अर्थ
क्रिया
प्रत्यय
अंचिय
अंच + य
अक्खियइँ
अक्ख + य
अच्छोडिय
अच्छोड + य
अज्जिय
अज्ज + य
8.
अप्फालिउ
अप्फाल +अ
अप्फालियइँ अप्फाल + य
अवगाहिय
अवगाह + य
अवरुण्डिउ
9.
अवलोइय
10. अवहत्थिय
11. अवहरिउ
62]
15. अहिलसिय
अवरुण्ड + अ
12. अवहरिय
अवहर + य
13. असिउ
अस + अ
14. अहिणन्दिउ अहिणन्द + अ
अवलोअ + य
अवहत्थ + य
अवहर + उ
अहिलस + य
अर्चा की गई
कहे गये
काट दिया
अर्जन किया
गया
पटका गया
बजाये गये
सन्दर्भ
44/16/2
79/13/ घ.
66/9/9
75/21/घ.
35/13/6
71/3/2
1/2/9
अवगाहन किया
गया
आलिंगन किया
गया
देखा गया
9/2/1
त्याग दिया गया 19/1/ प्रा.
33/2/8
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5/7/11
अपहरण किया
गया
छीन ली गई
7/11/8
खा लिया गया
39/9/7
अभिनंदन किया 27/15/ घ. गया
अभिलाषा की गई 42/8/4
[ पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
Page #70
--------------------------------------------------------------------------
________________
16. अहिसारियउ अहिसार + य अभिषेक किया 71/3/1
गया 17. अहिसिंचिय अहिसिंच + य छिड़काव किया 19/16/8
गया
18. अहिसिंचिउ
19. आय 20. आउच्छिय 21. आऊरियउ 22. आणिय 23. आमेल्लिय 24. आयण्णिउ 25. आयरिउ
अहिसिंच + अ अभिषेक किया 71/7/घ.
गया आ + य आ गये 16/1/1 आउच्छ + य पूछा गया 19/1/1 आऊर + य पूरा किया गया 3/2/1 आण + य लाया गया 9/2/6 आमेल्ल + य छोड़ी गई 4/10/7 आयण्ण + अ सुने गये 35/16/1 आयर + अ आचरण किया 19/1/7
गया
26. आयामिउ 27. आरम्भिय 28. आरुहिउ 29. आलिंगिय 30. आवट्टिउ
आयाम + अ लम्बा किया 88/3/1 आरम्भ + य आरम्भ किया 1/1/घ. आरुह + अ चढ़ गया 15/4/6 आलिंग + य । आलिंगन किया 10/10/1 आवट्ट + अ चक्र की तरह 66/9/5
घुमा दिया आवील + अ पीड़ित किया 35/13/7
गया इच्छ + य इच्छा की गई 58/5/1 उग्गाम + य उठा लिये गये 6/11/8
31. आवीलिउ
32. इच्छिय 33. उग्गामिय
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन ]
[63
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Page #71
--------------------------------------------------------------------------
________________
34. उग्गाहिउ
उग्गाह + अ
35. उग्गिलियइँ उग्गिल + य 36. उच्चलिय उच्चल + य 37. उच्चाइय उच्चाअ + य 38. उच्चारिउ उच्चार + अ
उद्घाटित किया 16/5/10 गया उगला गया 81/3/4 चले गये 6/13/10 उठा लिये गये 2/5/6 उच्चारण किया 28/6/1
गया
39. उज्जालिउ उज्जाल + अ
आलोकित किया 38/11/7
गया
40. उत्थरियउ
उत्थर + य
आक्रमण किया 17/17/घ.
गया
उद्दाल + अ
41. उद्दालिउ 42. उद्धरिउ उद्धर + अ 43. उप्पाइउ उप्पाअ + अ 44. उप्पाडिय उप्पाड + य 45. उपेक्खियउ उपेक्ख +य 46. उब्मियइँ उब्भ + य 47. उम्मूलिय उम्मूल + य 48. उल्हावियउ उल्हाव + य
छीन लिया गया - 38/1/5 उठा दी गई 13/7/घ. उत्पन्न किया गया 9/2/7 उखाड़ दिये गये 25/17/9 उपेक्षा की गई 36/9/8 उठा ली गई 2/4/6 उखाड़ लिये गये17/14/घ. शान्त कर दिया 17/14/घ. गया उपकार किया 69/5/2 गया शान्त किया गया 6/9/5 उपेक्षा की गई 26/2/4 मुक्त कराया गया 20/7/9
49. उवयारिउ
उवयार + अ
50. उवसमिउ 51. उवेक्खिउ 52. उव्वेढाविय
उवसम + अ उवेक्ख + अ उव्वेढ+प्रे.+य
64]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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Page #72
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________________
53. ओआरिया 54. ओवग्गिय
ओआर + य ओवग्ग + य
उतार दिया गया 19/2/घ. आक्रमण किया 4/11/3
गया
55. ओसारिउ 56. कड्ढिउ
ओसार + अ कड्ढ + अ
हटाया गया निकाल लिया गया
11/11/2 61/11/6
कप्प + अ
57. कप्पिउ 58. कप्परिउ 59. कलंकिउ
कप्पर + अ कलंक + अ
काटा गया 35/15/5 कट गया 15/4/5 कलंकित किया 23/7/6
गया
60. कहिउ कह + अ 61. कोक्किओ कोक्क + अ 62. खंचिउ खंच + अ 63. खण्डिउ खण्ड + अ
64. खविउ
खव +
अ
65. खाइय खा + य 66. खुडिउ खुड + अ 67. गरहिउ . गरह + अ 68. गहिउ गह + अ 69. गिलिया गिल + य 70. घडिय घड + य 71. घत्तिय घत्त + य 72. घल्लिय घल्ल + य पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
कही गयी 1/12/8 पुकारा गया 63/6/1 खींचा गया 75/12/5 खण्डित कर 20/7/7 दिया गया क्षय कर दिया 34/4/6 गया खाया गया 75/1/5 काटा गया 36/4/8 निंदा की गई 22/1/घ. पकड़ ली गई 37/11/4 निगल लिया गया 5/10/9 घढ़ दिया गया 75/9/घ. फेंका गया 4/11/घ. डाल दी गई 7/4/1
। [65
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________________
73. घाइयउ घा + य 74. घोट्टिय घोट्ट + य 75. घोसिय घोस + य 76. चक्खियउ चक्ख + य 77. चडिउ चड + अ 78. चप्पिउ चप्प + अ 79. चलिउ चल + अ 80. चविउ चव + अ 81. चिन्तिउ चिन्त + अ 82. चूरिउ चूर + अ 83. चोइय चोअ + य 84. छड्डियइँ छड्ड + य 85. छण्डियउ छण्ड + य 86. छलियउ छल + य 87. छाइउ छा + अ 88. छुहाविय छुह+प्रे.+य 89. छोडाविउ छोड+प्रे.+अ 90. जज्जरियउ जज्जर + य 91. जणिउ जण + अ 92. जम्पिया जम्प + य 93. जयकारिउ जयकार + अ
मारा गया 6/11/1 घोट दिया गया 49/4/6 घोषणा की गई 70/12/1 चखा गया 84/7/5 सवार हुआ 2/1/7 चाँपी गई 4/13/घ. चला गया 8/3/8 बताया गया 4/5/8 विचार किया गया2/13/घ. चूरा किया गया 21/7/6 प्रेरित किये गये .4/8/2 छोड़े गये 15/11/3 छोड़ दिया 7/5/घ. छल किया गया 38/11/घ. छा गये 2/16/10 डलवा दिये गये 35/10/8 छुड़वाया गया 11/10/4 जर्जर किया गया 41/3/8 उत्पन्न किये हुए 80/4/7 कहा गया 70/5/1 जयकार किया 45/11/घ. गया जाना गया 1/3/2 भोजन किया 2/17/घ.
94. जाणियउ 95. जिमिउ
जाण +य जिम + अ
66]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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________________
96. जोइयउ जोअ + अ देखा गया 15/5/7 97. जोक्कारिउ जोक्कार + अ जयकार किया गया 5/5/8 98. झाइय झा + य ध्यान किया गया 9/7/8 99. टालिउ टाल + अ टाला गया 23/7/7 100. ठविउ ठव + अ स्थापित कर दिया 2/3/8 101. डंकियउ डंक + य डॅसा गया 78/4/9 102. ढोइयइँ ढो + य लाये गये 7/1/7 103. णडिउ णड + अ प्रवंचित किया 33/11/3
गया 104. णमिय
प्रणाम किया गया 6/9/घ. 105. णासिय णास + य नाश कर दिये 4/14/7 106. णिज्झाइय णिज्झा + य देखा गया 41/9/8 107. णिट्ठवियउ णिट्ठव + य समाप्त किया गया 89/5/3 108. णिन्दिउ णिन्द + अ निन्दा की गई 49/20/1 109. णिब्मच्छिउ णिमच्छ + अ तिरस्कार किया 4/4/8
णम + य
गया
110. णिम्मियाइँ णिम्म + य बनाये गये 90/6/1 111. णियच्छियउ णियच्छ + य देखा गया 19/9/9 112. णियत्तिउ णियत्त + अ लौटा दिया गया 23/14/1 113. णिरिक्खियउ णिरिक्ख + य देखा गया 8/8/9 114. णिवारियउ णिवार + य निवारण कर 19/5/7
दिया गया 115. णिवारियाइँ णिवार + य हटायी गई
4/9/3 116. णिसुणिउ णिसुण + अ सुने गये 1/3/7
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन ]
[67
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________________
117. णिसुम्भिउ णिसुम्भ +अ मार दिया गया 25/15/5 118. णिहालिय णिहाल + य देखे गये
36/1/3 119. णीसारिउ णीसार + अ निकाला गया 10/9/1 120. तरिय तर + य तर चुके मंगलाचरण 121. ताडिउ ताड + अ आहत कर 46/5/घ.
दिया गया 122. ताडिय ताड + य बजाये गये . 12/10/8 123. तुलिय तुल + य उठाई गई 78/19/4 124. तोडियइँ तोड + य तोड़ी गई 61/3/1 125. थविउ थव + अ रख दिया गया 2/7/5 126. दमिउ
दम + अ दमन किया गया 78/20/5 127. दरमलिउ दरमल + अ दलित किया गया 43/2/6 128. दरिसिउ दरिस + अ प्रदर्शन किया गया4/11/5 129. दलियउ दल + य चूर-चूर किया 35/13/8
गया 130. दलवट्टिय दलवट्ट + य । चकनाचूर किये 4/8/7
गये 131. दोच्छित दोच्छ + अ झिड़का गया 20/9/4 132. धरियउ धर + य धारण की गई 1/10/2 133. धरिउ धर + अ रखा गया 3/1/13 134. धाइयाइँ धा + य दौड़ी
82/4/6 135. धाहाविउ धाहाव + अ जोर से चिल्लाई 19/5/8 136. धिक्कारिउ धिक्कार + अ धिक्कारा गया 22/10/3 137. धीरिय धीर + य धीरज बँधाया गया23/5/1
68]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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________________
138. पइसरिउ 139. पउंजिय 140. पखालिय
पइसर + अ पउंज + य पखाल + य
पगास + अ
141. पगासिउ 142. पच्चारिउ 143. पजम्पिउ 144. पजोइय 145. पट्टविय 146. पडिच्छिउ 147. पडिबोहिउ
पच्चार + अ पजम्प + अ पजोअ + य पट्ठव + य पडिच्छ + अ पडिबोह + अ
प्रवेश किया गया 6/10/6 प्रारंभ किया गया 2/9/8 प्रक्षालन किया 34/12/8 गया प्रकट किया गया 11/8/1 ललकारा गया 13/3/8 बोला गया 24/7/3 देखा गया 42/18/7 भेजे गये 16/1/1 ग्रहण किया गया 13/2/3 प्रतिबोधित किया 2/10/4 गया पहुँची
19/6/9 प्रदर्शित किया 15/8/6
148. पटुक्कियउ पढुक्क + य 149. पदरिसिउ पदरिस + अ
गया
150. पपुच्छिउ पपुच्छ + अ 151. पमणिउ पभण + अ 152. पमेल्लिउ पमेल्ल + अ 153. पयासिउ पयास + अ 154. परज्जिय परज्ज + य 155. परिओसिय परिओस + य
पूछा गया 18/1/2 कहा गया 5/14/1 छोड़ा गया 35/13/4 प्रकट किया गया 2/4/घ. पराजित हो गई 4/9/9 संतुष्ट किया 20/2/घ. हुआ परीक्षा की गई 54/3/9 चिन्तन किया 4/11/घ. गया
[69
156. परिक्खियउ परिक्ख + य 157. परिचिन्तिउ परिचिन्त + अ
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
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________________
158. परिट्ठविय 159. परिणिय
परिट्ठव + य संस्थापना की गई 12/12/6 परिण + य . विवाह कर लिया 6/4/1
गया
160. परिपालिय परिपाल + य 161. परियंचिउ परियंच + अ 162. परियंचिउ परियंच + अ 163. परियरिय परियर + य 164. परिरक्खियउ परिरक्ख + य 165. परिवेढिउ परिवेढ + अ 166. परिसेसिउ परिसेस + अ 167. परिहरियउ परिहर + य 168. परिहिउ परिह + अ 169. पलोइयउ पलोअ + य 170. पवत्तिय पवत्त + य 171. पवरिसिय पवरिस + य 172. पवोल्लिउ पवोल्ल + अ 173. पव्वालिय पव्वाल + य 174. पसंसिउ पसंस + अ 175. पसारिय पसार + य 176. पहासिउ पहास + अ 177. पारम्भिउ पारम्भ + अ 178. पालिय पाल + य 179. पावियउ पाव + य
पालन किये हुए 5/12/2 प्रदक्षिणा की गई 2/7/6 स्पर्श किया गया 17/17/3 घिरी हुई .6/12/4 रक्षा की गई 33/8/7 घेरा हुआ 1/8/6 छोड़ दिया गया 43/18/3 त्याग दिया गया 24/4/8 पहन लिया गया 9/4/6 देखा गया 37/3/घ. प्रवृत्ति की गई 5/10/2 वर्षा की गई 35/1/प्रा. कहा गया 14/8/7 प्लवित किया गया 32/2/1 प्रशंसा की गई 18/6/घ. फैलाये हुए 13/5/3 कहा गया 3/9/3 प्रारम्भ किया गया 9/9/6 पालन किया गया9/10/घ. पाया गया 13/5/घ.
70]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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________________
180. पीलिउ
पील + अ
181. पुंजाविउ 182. पुच्छिउ 183. पुज्जियउ 184. पूरिय 185. पेक्खिउ 186. पेल्लिउ 187. पेल्लाविउ 188. पेसिय 189. पोमाइय 190. फाडियइँ 191. फालिउ 192. फोडिउ
पुंज+प्रे.+अ पुच्छ + अ पुज्ज + य पूर + य पेक्ख + अ पेल्ल + अ पेल्ल+प्रे.+अ पेस + य पोमाअ + य फाड + य फाल + अ फोड + अ
पीड़ित किया 35/13/7 गया इकट्ठा करवाया 35/8/1 पूछा गया 1/9/8 सम्मान किया गया 38/4/8 फूंक दिये गये 2/4/2 देखा गया 20/2/1 ढकेला गया 35/13/4 दबाया गया 35/13/6 भेजा गया 2/15/1 प्रशंसा की गई 38/2/1 फाड़े गये 80/10/1 फाड़ दिया गया 35/13/6 नष्ट कर दिया 44/1/4 गया तोड़ दिये गये 80/6/6 जाना गया 3/10/6 पार किया गया 23/7/1 बुलाया गया कहा गया 35/6/घ. घुमा दिया गया 25/15/6 भर दिया गया 10/10/5 बोली
41/18/9 भिड़ गया 15/5/2
193. फोडियइँ 194. बुज्झिय 195. बोलिय 196. बोल्लाविय 197. भणिउ 198. भमाडिउ 199. भरिउ 200. भासिय 201. भिडिय
फोड + य बुज्झ + य बोल + य बोल्ल+प्रे.+य । भण + अ भम+प्रे.+अ भर + अ भास + य भिड + य
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
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________________
202. मुंजावियउ भुज+प्रे.+य
उपभोग कराया 8/12/घ.
गया
203. भूसिउ
भूस + अ
204. मइलिउ 205. मग्गिओ 206. मण्डिउ
मइल + अ मग्ग + अ मण्ड + अ
207. मण्णिउ 208. माणिउ
मण्ण + अ माण + अ
209. मारियउ 210. मुणिउ
मार + य मुण + अ
भूषित किया 29/11/घ. गया मलिन किया हुआ 14/3/9 माँगा गया 22/8/7 मण्डित किया .26/11/4 गया माना गया मंगलाचरण अनुभव किया 83/17/6 गया मारा गया 9/11/1 विचार किया 29/10/घ. गया तहस-नहस 17/7/1 किया गया छोड़े गये 21/13/6 मोड़ दिये गये 80/6/6 रंग गयी 1/5/घ. रक्षा की गई 26/2/4 उल्लंघन किया 31/9/7 गया ले लिये गये 75/14/7 देखा गया 68/2/9 लिखवाया गया 6/9/घ.
211. मुसुमूरिय
मुसुमूर + य
212. मेल्लिउ 213. मोडिय 214. रंगिय 215. रक्खिउ 216. लंघिउ
मेल्ल + अ मोड + य रंग + य रक्ख + अ लंघ + अ
217. लइयइँ 218. लक्खियउ 219. लिहाविय
लअ + य लक्ख + य लिह+प्रे.+य
72]
_ [पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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________________
+
वंच + अ
220. लुहिउ
पोंछा गया 48/7/घ. 221. वंचिउ
बच गये 4/11/9 222. वंदिउ वंद + अ वंदना की गई 68/6/1 223. वइसारिउ वइसार + अ बैठाया गया 5/14/3 224. वज्जरिउ वज्जर + अ बोली
9/8/1 225. वरिय वर + य वरण किया गया 9/2/5 226. वहिउ वह + अ वध किया गया 37/6/2 227. वाइयइँ वा + य बजाये गये 82/4/6 228. वालिय वाल + य मोड़ दिये गये 34/12/8 229. वाहिय वाह + य हाँके गये 4/8/2 230. विक्खिरिउ विक्खिर + अ बिखेरी गई 61/13/घ. 231. विणासिय विणास + य नष्ट किया गया 11/10/5 232. विणिवाइयाइँ विणिवाअ + य मार गिराया 75/19/3 233. विण्णविउ विण्णव + अ निवेदन किया गया 1/7/घ. 234. वित्थारिय वित्थार + य फैला दिये गये 25/11/3 235. विद्धंसिउ विद्धंस + अ नाश कर दिया 43/1/घ.
गया 236. विब्माडिय विभाड + य तहस-नहस 14/1/4
किया गया 237. वियारिय वियार + य विदीर्ण किया 35/13/घ.
गया 238. विरोलिउ विरोल + अ विलोड़ित किया 49/4/3
गया 239. विवज्जिय विवज्ज + य छोड़े गये 8/11/5
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
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________________
240. विवोहिउ विवोह + अ प्रतिबोधित किया 5/2/8
गया 241. विसज्जियइँ विसज्ज + य छोड़े गये 80/13/घ. 242. विसहिय विसह + य सहन किये गये 24/4/6 243. विहंजिउ विहंज + अ विभक्त कर दिया 77/1/11
गया 244. विहावियउ विहाव + य देखा गया . 43/10/घ. 245. वीसरिउ वीसर + अ भूल गये 6/12/6 246. वेढिउ वेढ + अ . घेर लिया गया 20/6/7 247. संघारियउ संघार + य मारा गया __43/10/घ. 248. संचल्लिउ संचल्ल + अ चल पड़ी 7/13/2 249. संचालिउ संचाल + अ संचालित किया 23/7/7
गया 250. संचूरिउ संचूर + अ नष्ट की गई 3/2/1 251. संताविय संताव + य सताया गया 14/1/6 252. संथविउ संथव + अ स्तुति की गई 12/12/3 253. संपेसिउ संपेस + अ भेजा गया 19/16/1 254. संबोहिय संबोह + य कहा गया 49/13/1 255. संभरिय संभर + य स्मरण किया गया 8/7/घ. 256. समत्थिउ समत्थ + अ समर्थन किया गया5/10/8 257. सपप्पिउ समप्प + अ समर्पित की गई 4/13/9 258. समिच्छिउ समिच्छ + अ चाहा गया 81/13/2 259. सल्लिउ सल्ल + अ छेद किया गया 64/11/घ. 260. सहिउ सह + अ सहन किया गया 34/4/7
___ +
74]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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________________
261. साडि
262. साहारियउ
263. सिक्खियउ
264. सुइय
265. सुणाविय
266. सेविय
267. हक्कारिउ
268. हरिउ
269. हरियउ
साड + अ
साहार + य
सिक्ख + य
सुअ + य
सुण+प्रे+य
सेव + य
हक्कार + अ
हर + अ
हर + य
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन ]
नष्ट किया गया 11/11/8
सहारा दिया गया 9/11/1
सीखा गया
8/8/ घ.
सुनी गई
39/3/घ.
26/3/6
54/3/1
बुलाया गया
5/14/3
अपहरण किया गया5 / 6/3
हर लिया गया
35/8/1
सुनाया गया
सेवा की गई
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सकर्मक क्रियाओं से बने हुए नियमित भूतकालिक कृदन्त के वाक्य - प्रयोग
1. रविसेणायरिय-पसाएं कइराएं बुद्धिए अवगाहिय ।
1/2/9
आचार्य रविषेण के प्रसाद से कविराज के द्वारा बुद्धि से अवगाहन
किया गया।
2. मइँ वायरणु ण जाणियउ ।
—
—
3. तेण पंच-महाय-कव्वु ण णिसुणिउ ।
7.
—
4. णरवरेण महियले उत्तमंगु णाविउ ।
9.
-
5. कुम्में धरणि - वीढु धरियउ ।
-
मेरे द्वारा व्याकरण नहीं जाना गया।
उसके द्वारा पाँच महाकाव्य नहीं सुने गये।
राजा के द्वारा धरती पर शीश नवाया गया।
-
8. तेण सलिल - झलक्क आमेल्लिय |
कछुए के द्वारा धरती की पीठ धारण की गई।
6. भीम - सुभीमेहिँ पुव्व-भवन्तर हें अवरुण्डिर ।
5/7/11
- भीम सुभीम के द्वारा पूर्व जन्म के स्नेह के कारण आलिंगन किया
गया ।
भडारउ जिणु सिंहासणे ठविउ ।
आदरणीय जिन सिंहासन पर स्थापित किये गये ।
-
76]
उसके द्वारा पानी की धारा छोड़ी गई |
देवेहिँ खन्धु देवि उच्चाइउ ।
देवों के द्वारा कन्धा देकर उठा लिया गया ।
10. सूरें मेरु गिरि परियंचिउ ।
सूर्य के द्वारा मेरु पर्वत की प्रदक्षिणा की गई।
1/3/2
1/3/7
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1/8/2
1/10/2
2/3/8
4/10/7
2/11/2
2/7/6
[ पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त - संकलन
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________________
11. सव्वेहिँ णिय-णिय विण्णाणु पयासिउ।
2/4/घ. - सबके द्वारा अपना-अपना विज्ञान प्रदर्शित किया गया। 12. आइ-पुराण-महेसरेण परमेसरेण तहिँ विसय–सेण्णु संचूरिउ। 3/2/1
- आदि पुराण के परमेश्वर के द्वारा वहाँ स्थित होकर विषयरूपी सेना
नष्ट की गई। 13. दसरह-सुएहिँ मुणि व दुम सइँ भुएहिँ अहिणन्दिउ। 27/15/घ.
- दशरथ पुत्रों के द्वारा मुनि के समान वृक्ष का अपनी भुजाओं से
अभिनन्दन किया गया। 14. मन्तिहिँ सो उवसमिउ।
6/9/5 ___ - मन्त्रियों के द्वारा वह शान्त किया गया। 15. अमरेण वि अमर-गइ दरिसिंय।
6/13/1 ___- अमर के द्वारा भी अमर गति दिखाई गई। 16. तेण वि वामंगुढे चप्पिउ।
11/7/4 ___- उसके द्वारा भी बायें अंगूठे से दबा दिया गया। 17. पहिलउ कलसु अमरिन्दे लइउ ।
2/5/1 - पहला कलश देवेन्द्र द्वारा लिया गया। 18. वन्दिण-वन्देहिँ गुरु पोमाइउ।।
32/13/10 - चारण-समूहों के द्वारा गुरु की प्रशंसा की गई। 19. जें सुलोयणहो जीविउ हरिउ ।
5/6/3 ___- जिसके द्वारा सुलोचना का जीवन हरण किया गया। 20. महिन्देण वायवो मेल्लिओ।
46/7/5 ___- राजा महेन्द्र के द्वारा वायुबाण छोड़ा गया। 21. तं णिसुणेवि भरहें दोणु पुज्जियउ।
68/4/8 ___- उसे सुनकर भरत के द्वारा द्रोण का सम्मान किया गया।
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
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Page #85
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________________
22. जेहें दुच्चरिउ परियाणेवि वसुभूइहे जीविउ अवहरिउ। 33/2/8
- बड़े भाई के द्वारा दुश्चरित जानकर वसुभूति के जीवन का अपहरण
किया गया। 23. जाणइ-कन्तें पक्खि-भवन्तरु आयण्णिउ।
35/10/1 - राम के द्वारा पक्षी के भवान्तर सुने गये। 24. मइं भरहहो महि-मण्डलु समप्पिउ।
4/13/घ. ___ - मेरे द्वारा भरत के लिए धरती समर्पित कर दी गई। 25. महि रंगें रंगिय।
1/5/घ. - धरती लाल रंग से रंग गयी। 26. इन्दं पुण्णाउस णीलंजण कोक्किय ।
2/9/5 ___- इन्द्र के द्वारा पुण्य आयुवाली नीलांजना बुलाई गई। 27. कुलवहु इज्जए तज्जिय।
4/9/घ. - सास के द्वारा कुलवधु डाँट दी गई। 28. बालिं अहि-णासणिय गारुड-विज्ज विसज्जिय। 12/7/घ. ___ - बालि के द्वारा सर्यों का नाश करनेवाली गारुडविद्या भेजी गई। 29. रयणासवेण वहू अवलोइय।
9/2/1 ___ - रत्नाश्रव के द्वारा वधू देखी गई। 30. तहिं पत्थावे पुरन्दरेण लहु माहिन्द-विज्ज संभरिय। 8/7/घ.
- उसके प्रस्ताव पर इन्द्र के द्वारा शीघ्र ही माहेन्द्र विद्या स्मरण की
गई। प्रथमा विभक्ति बहुवचन के वाक्य-प्रयोग - 1. भरहेण तुरिय महन्ता पट्टविय ।
4/3/2 - भरत के द्वारा शीघ्र ही मन्त्री भेजे गये।
78]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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________________
2. भरह-बाहुबलि-रिसह काल-भुअंगें गिलिया। 5/12/घ. ___ - भरत, बाहुबलि और ऋषभ कालरूपी नाग द्वारा निगल लिये गये।
3. तेण जे गूढपुरिस पट्टविय ते तक्खणेण-पडीवा आय। 16/1/1 ___- उसके द्वारा जो गुप्तचर भेजे गये थे वे तुरन्त वापिस आ गये। 4. परिओसें तिण्णि वि उच्चलिय।
6/13/10 - परितोष के साथ तीनों ही चले। 5. अण्ण कलस अण्णेहिं उच्चाइय।
2/5/6 - अन्य कलश अन्यों के द्वारा उठा लिये गये। 6. तें दन्तिहे वे वि दन्त उप्पाडिय।
25/17/9 ___ - उसके द्वारा हाथी के दोनों ही दाँत उखाड दिये गये। 7. धवल संख पूरिय।
2/4/2 - सफेद शंख फूंक दिये गये। 8. के वावीस परीसह विसहिय ।
24/4/6 - किसके द्वारा बाईस परीषह सहन किये गये? 9. तं णिसुणेवि वे वि साहणइँ ओसरिया।
4/9/3 - यह सुनकर दोनों ही सेनाएँ हटायी गई। 10. अहमिन्दहुँ आसणाइँ चलिय।
3/4/9 ___- अहमिन्द्रों के आसन चलायमान हुए। 11. अमरेहिँ णिय-णिय जाणइँ सज्जिय।
3/5/1 ___ - देवों के द्वारा अपने-अपने यान सजाये गये। 12. जिणेण विहि मि भवान्तराइँ वज्जरियइँ।
5/7/10 - जिन के द्वारा दोनों के ही जन्मान्तर बताये गये। 13. णं अट्ठ वि कम्मइँ णिज्जिय।
32/11/7 - मानो आठों ही कर्म जीत लिये गये।
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन ]
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________________
14. वे वि विमाणइँ हरि-वलहद्दहुँ पट्टविय।
60/4/7 ___- दोनों विमान राम और लक्ष्मण के लिए भेजे गये। 15. केण धयग्गाइँ तोडिय।
61/3/1 ___ - किसी के द्वारा ध्वजा के अग्रभाग तोडे गये? 16. घरे घरे तूरइँ अप्फालियइँ।
71/3/2 ___ - घर-घर में तूर्य बजाये गये। 17. रावणेण दिव्वत्थइँ लइय।
' 75/14/7 - रावण के द्वारा दिव्य अस्त्र ले लिये गये। 18. दसरह-णन्दणेण रिउ–सिर विणिवाइयाइँ।
75/19/3 ___- दशरथ नन्दन के द्वारा शत्रुओं के सिर मार गिराये गये। 19. तहिं अवसरे वे वि पदुक्कियउ।
19/6/9 - उस अवसर पर वे दोनों पहुँची।
80]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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________________
6. अनियमित भूतकालिक कृदन्त अ/य प्रत्यय के योग से बने हुए भूतकालिक कृदन्त नियमित भूतकालिक कृदन्त' कहलाते हैं। इसमें मूलक्रिया को प्रत्यय से अलग करके समझा जा सकता है। किन्तु जब अ/य प्रत्यय जोड़े बिना ही साहित्य में भूतकालिक कृदन्त का प्रयोग पाया जाता है तो वे 'अनियमित भूतकालिक कृदन्त' कहलाते हैं। आगे अकर्मक क्रियाओं से बने हुए अनियमित भूतकालिक कृदन्त एवं उनके वाक्य-प्रयोग तथा सकर्मक क्रियाओं से बने हुए अनियमित भूतकालिक कृदन्त एवं उनके वाक्य-प्रयोगों को दर्शाया जा रहा है(क) अकर्मक क्रियाओं से बने हुए अनियमित भूतकालिक कृदन्त क्र. कृदन्तशब्द प्रत्ययरहित हिन्दी अर्थ सन्दर्भ
कृदन्त अइउ अइअ
आया हुआ 18/4/3 अवइण्णउ अवइण्ण अवतीर्ण हुआ 41/10/2 आरुद्वउ
क्रुद्ध हुआ 40/10/8 उइण्णु उइण्ण उदित हुआ 37/7/6 उच्छण्णा उच्छण्ण नष्ट हो गये 2/8/3
उप्पण्ण उत्पन्न हुए 3/3/10 चुक्कउ चुक्क
बचा हुआ 17/7/2 8. जडियइँ जडिय जड़ा हुआ 9/4/2 9. जाउ जाअ उत्पन्न हुए 1/13/1 10. ठिय ठिय स्थित हुए 3/10/2
नष्ट हो गई 22/2/4 12. णट्ठउ
भाग गया 5/6/9
PAN ...
आरुट्ठ
उप्पण्णा
11. णट्ठ
णट्ठ
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन ]
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________________
2/10/घ. 4/10/5
5/7/9 75/8/6 1/11/8 1/7/6
तुट्ट
पयट्ट
12/7/5
13. णिग्गउ
णिग्गअ 14. णियत्त णियत्त 15. णिविट्ठउ णिविट्ठ 16. तुट्ट 17. थक्कु थक्क 18. थिउ थिअ 19. पयट्ट 20. परिट्ठिउ परिट्ठिअ
परिमिउ परिमिअ 22. पल्लट्टु पल्लट्ट 23. पसण्णु पसण्ण
फुटु फुट्ट 25. भग्गु भग्ग 26. भीयउ भीय 27. मुउ 28. लुअ 29. वस्तु वइठ 30. विक्खिण्णउ विक्खिण्ण 31. विणिग्गय विणिग्गय 32. विसण्णु विसण्ण 33. समाहउ समाहय 34. सुत्त 82]
निकल गया लौट आया बैठ गया टूट गये स्थित हो गये ठहर गये चल पड़ा प्रतिष्ठित हुए घिरा हुआ वापिस आये प्रसन्न हुआ फूट गया टूटा हुआ डरा हुआ मरा हुआ कट गयी बैठ गया बिखरा हुआ बाहर निकली दुःखी हुआ आहत हुआ सोया हुआ
मुअ
4/13/7
5/8/8 ___ 21/7/1 ___3/3/4
36/9/4 4/10/घ. 8/10/2 5/6/5
4/8/3 26/9/घ. 15/4/घ. 3/11/1 57/1/2 57/1/2 28/4/4
लुअ
सुत्त
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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अकर्मक क्रियाओं से बने हुए अनियमित भूतकालिक कृदन्त
के वाक्य-प्रयोग 1. रिसहनाहु कइलासे परिटिउ।
4/13/1 - ऋषभनाथ कैलाश पर्वत पर प्रतिष्ठित हुए। 2. तहो दाहिण-भाए भरहु थक्कु।
1/11/8 - उसके दक्षिण भाग में भरत क्षेत्र स्थित है। 3. ते सव्व कप्पयरु उच्छण्णा।
2/8/3 - वे सारे कल्पवृक्ष नष्ट हो गये। 4. अट्ठ वि पाडिहेर उप्पण्णा।
3/3/10 - आठों ही प्रातिहार्य उत्पन्न हुए। 5. अण्णेत्ते भामण्डलु पसण्णु।
3/3/4 - अन्य स्थान पर भामण्डल प्रसन्न हुआ। 6. कह वि सुर-णन्दणु चुक्कउ।
17/7/2 - किसी प्रकार इन्द्र का पुत्र बच गया। 7. जासु मणि-जडियइँ णव-मुहइँ आसि।
9/4/2 - जिसके मणियों से जड़े हुए नौ मुख थे। 8. पुणु अतुल-धामु जसुम्मउ जाउ ।
1/13/1 - फिर अतुल शक्तिवाले यशस्वी उत्पन्न हुए। 9. तोयदवाहणु पाण लएविणु णट्ठा।
5/6/घ. - तोयदवाहन प्राण लेकर भाग गया। 10. वद्धमाणु विउल-महीहरे थिउ ।
1/7/6 - वर्द्धमान विपुलाचल पर स्थित हो गये। 11. सो रणमुहे कह वि ण मुउ ।
5/6/5 - वह युद्ध के बीच में किसी प्रकार नहीं मरा। 12. ताम दिव्व झुणि विणिग्गय।
3/11/1 - तभी दिव्य ध्वनि निकली। पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
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________________
26/9/घ.
41/10/2
40/10/8
37/7/6
22/2/4
26/9/4
13. रवण्णए मंचे जणद्दणु वइट्छ ।
- सुन्दर मंच पर जनार्दन बैठ गये। 14. अहिणव–णारि-रयणु अवइण्णउ ।
- अभिनव नारी रत्न अवतीर्ण हुआ। 15. तं वयणु णिसुणेवि दूसण आरुट्सउ ।
- उस वचन को सुनकर दूषण क्रुद्ध हो गया। 16. णं फग्गुणे बाल-तवणु उइण्णु।
- मानो फागुन में बाल सूर्य उदित हुआ। 17. सरीरहो छाय णट्व।
- शरीर की कान्ति नष्ट हो गई। 18. अज्जु जमहो सिरु फुटु।
- आज यम का सिर फूट गया। 19. राम-सेण्णु तहो उवरि पयट्टउ ।
- राम की सेना उस पर ठहर गई। 20. विहीसणु राणउ मणेण विसण्णु ।
- विभीषण राजा मन में दुखी हुआ। 21. णं कुल-सेलु वज्जें समाहउ।
- मानो कुलपर्वत वज्र से आहत हुआ। हयाहं पग्गह तुट्ट।
- अश्वों की लगामें टूट गई। 23. पहु पल्लटु।
- राजा दशरथ लौट पड़े। 24. जिणु पणवेप्पिणु सो पुरउ णिविउ ।
- जिन को प्रणाम करके वह सामने बैठ गया।
56/9/8
57/1/2
57/1/3
75/8/6
21/7/1
5/7/9
84]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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________________
2/0/
(ख) सकर्मक क्रियाओं से बने हुए अनियमित भूतकालिक
कृदन्त क्र. कृदन्तशब्द प्रत्ययरहित हिन्दी अर्थ
सन्दर्भ कृदन्त 1. आसण्णा आसण्ण निकट पहुँच गया 3/3/10
किय किय किया गया 2/2/5
खद्धउ खद्ध खाया गया 17/13/9 4. गय
गय गया हुआ 1/8/2 गविट्ठउ गविट्ठ खोजा गया 3/11/घ. घित्तउ चित्त फेंक दिया गया 2/11/6
चुक्कउ चुक्क छोड़ दिया गया 8/4/8 8. छिण्णउ
छिन्न-भिन्न किया 15/4/घ.
गया 9. छुधु छुद्ध डाल दिया गया 27/1/2 10. जिउ जिअ जीत लिया गया 15/4/8 11. ढुक्कउ ढुक्क पहुँच गयी 1/14/3
णिबद्धउ णिबद्ध बाँध दिये गये 26/7/3
णीय णीय ले जायी गयी 12/3/3 14. दड्दु दड्ढ जला दिया गया 31/12/1 15. दिट्टु दिट्ठ देखा गया 1/8/घ. 16. दिण्णउ
दिया गया 2/14/2 17. दुम्मिय
दुम्मिय
कष्ट पहुँचाया गया 23/3/8 18. पइतु पइट्ठ
प्रवेश किया गया 5/8/घ.
छिण्ण
दिण्ण
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
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________________
___ पत्त
पमुक्क पराइअ परिबद्ध
19. पत्त 20. पमुक्क
पराइउ
परिबद्ध 23. पवण्णु 24. भग्गी 25. भुत्ती 26. मुक्कु 27. रुद्धाइँ
पवण्ण
भग्ग
भुत्त
मुक्क रुद्ध
पहुँच गये 4/3/4 छोड़ी गई 4/10/4 पहुँच गये 2/11/2 बाँधा गया 83/2/1 पाया गया 10/7/4 भाग गयी 21/8/1 भोग की गई 11/13/4 छोड़ा गया 8/9/9 अवरुद्ध कर दिये 6/1/7 गये पाया गया 13/8/घ. आरूढ़ हुआ 75/3/9 बना दिया गया 28/5/8 कहा गया 22/2/1 पहुँच गये 2/16/6 पहुँच गये 3/1/प्रा. पूर्ण किया हुआ 2/2/2 सुने गये
1/3/5 मारा गया 62/3/1
लद्ध वलग्ग विणिम्म
कुत्त
28. लद्ध 29. वलग्गो 30. विणिम्मउ 31. वुत्तु 32. संपत्तउ 33. संपाइउ 34. संपुण्णउ 35. सुय 36. हउ
संपत्त
संपाइअ संपुण्ण सुय
हअ
86]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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________________
सकर्मक क्रियाओं से बने हुए अनियमित भूतकालिक कृदन्त
के वाक्य-प्रयोग 1. तेण चायार वि वारइँ रुद्धाइँ।
6/1/7 - उसके द्वारा चारों ही द्वार अवरुद्ध कर दिये गये। एम जक्खें सयलु वि पट्टणु विणिम्मउ ।
28/5/8 __ - इस प्रकार यक्ष के द्वारा समूचा नगर बना दिया गया। 3. मइँ छक्कारय दस लयार ण सुय।
1/3/5 - मेरे द्वारा छ: कारक और दस लकार नहीं सुने गये। 4. णल–णील-सरेहिँ हत्थु पहत्थु हउ।
62/3/1 - नल और नील के शस्त्रों से हस्त और प्रहस्त मारे गये। 5. सिंहासण-संठिउ भडारउ वीर-जिणु दिठु। 1/8/घ.
- सिंहासन पर विराजमान वीर जिन देखे गये। 6. महि-परमेसरेण सहोयरासु झलक्क पमुक्क। 4/10/4
- धरती के स्वामी द्वारा भाई पर धारा छोडी गई। 7. तोयदवाहणे लंकाउरिहि पइठु।
5/8/घ. - तोयदवाहन के द्वारा लंकानगरी में प्रवेश किया गया। 8. जक्खें लहु सक्केय–णयरि किय।
2/2/5 – यक्ष के द्वारा शीघ्र ही साकेत नगरी की रचना की गई। 9. गिद्ध मणुसु ण खदउ।
_ 17/13/9 - गिद्ध के द्वारा मनुष्य नहीं खाया गया। 10. सुरिन्दें खीर-समुदें घित्तउ।
2/11/6 - सुरेन्द्र के द्वारा क्षीर-समुद्र में डाल दिया गया। 11. तेण तुहुँ चुक्कउ।
8/4/8 - उसके द्वारा तुम्हे छोड़ दिया गया।
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
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Page #95
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________________
12. एम तेण स-रहि महारहु छिण्णउ । ___15/4/घ.
- इस प्रकार उसके द्वारा सारथी सहित महारथ छिन्न-भिन्न
किया गया। 13. ता कुल-भूसणेहिं चन्दणहि हरेवि णीय । 12/3/3
- तब कुलभूषण के द्वारा चन्द्रनखा हरण करके ले जाई गई। 14. अण्णहुँ देसु विहंजेवि दिण्णउ।
2/14/2 - दूसरों के लिए देश विभक्त करके दिया गया। . 15. तेण पणवेप्पिणु एम वुत्तु।
22/2/1 - उसके द्वारा प्रणाम करके इस प्रकार कहा गया। देव पइँ परम-फलु लद्भु।
13/8/घ. - हे देव! तुम्हारे द्वारा परम फल पाया गया। 17. केण हउं जिउ।
15/4/8 - किसके द्वारा मैं जीत लिया गया। सहसक्खें उठेवि चक्कु मुक्कु।
8/9/9 - सहस्राक्ष के द्वारा उठकर चक्र छोडा गया। 19. णं पुण्ण-पुंज आसण्णा ।
3/3/10 - मानो पुण्य का समूह निकट पहुँच गया। देविउ सप्परिवारउ तेत्तहे ढुक्कउ ।
1/14/3 - देवियाँ सपरिवार वहाँ पहुँच गईं। 21. णिवसिद्ध पोयण–णयरु पत्त।
4/3/4 - आधे निमिष में पोदनपुर नगर में पहुँच गये। 22. तिहुअण–णाह हत्थिणयरु पट्टणु संपत्तउ। 2/16/6
- त्रिभुवन नाथ हस्तिनापुर नगर पहुँच गये। 23. बब्बर–साह-वरुहिणी भग्गी।
21/8/1 - बर्बरों और शबरों की सेना भाग गयी। 88]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
20.
देवि
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________________
7. विधि कृदन्त
'हँसा जाना चाहिए', 'खेला जाना चाहिए' आदि भावों को प्रकट करने के लिए विधि कृदन्त का प्रयोग किया जाता है। अकर्मक क्रिया से बने हुए विधि कृदन्त का प्रयोग भाववाच्य में किया जाता है। जैसे- उसके द्वारा 'हँसा जाना चाहिए' और सकर्मक क्रिया से बने हुए विधि कृदन्त का प्रयोग कर्मवाच्य में किया जाता है। जैसे- 'मेरे द्वारा पानी पिया जाना चाहिए'। कर्तृवाच्य में विधि कृदन्त का प्रयोग नहीं किया जाता। आगे अकर्मक तथा सकर्मक क्रियाओं से बने हुए विधि कृदन्त एवं उनके वाक्य-प्रयोगों को दर्शाया जा रहा है
अकर्मक व सकर्मक क्रियाओं से बने हुए विधि कृदन्त क्रिया + कृदन्त - हिन्दी अर्थ
सन्दर्भ
प्रत्यय
क्र.
कृदन्तयुक्त— सं. क्रिया
1. आलिंगेवउ ( सक) आलिंग+एवउ
2. उच्चारेवउ ( सक) उच्चार+एवउ
3.
उप्पाडेवउ (सक) उप्पाड+एवउ
4. करेव्वउ ( सक) कर+एव्वउ
5. घाएवउ (सक) घाअ+एवउ
6. चरेव्वउ ( सक) चर+एव्वउ
7. चिन्तेव्वउ (सक) चिन्त+एव्वउ
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त - संकलन ]
आलिंगन किया 38/18/9
जाना चाहिए
उच्चारण किया
जाना चाहिए
उखाड़ा जाना
चाहिए
किया जाना
चाहिए
मारा जाना
चाहिए
आचरण किया
जाना चाहिए
सोचा जाना
चाहिए
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35/5/6
58/5/8
47/10/6
4/12/3
54/15/6
54/16/3
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________________
8. जाएव्वउ (सक) जा+एव्वउ जाया जाना 47/10/6
चाहिए 9. जाणेव्वउ (सक) जाण+एव्वउ जाना जाना 54/15/8
चाहिए 10. जिणेवउ (सक) जिण+एवउ जीता जाना 38/18/9
चाहिए 11. जिवेव्वउ (अक) जिव+एव्वउ जिया जाना 54/15/5
चाहिए 12. ठवेवउ (सक) ठव+एवउ रखा जाना 62/6/4
चाहिए 13. डहेव्वउ (सक) डह+एव्वउ जलाया जाना 77/8/12
चाहिए 14. दरिसेव्वउ (सक) दरिस+एव्वउ । दिखाया जाना 54/15/5
चाहिए 15. पक्खालेवउ(सक) पक्खाल+एवउ धोया जाना 44/12/9
चाहिए 16. पहरेवउ (सक) पहर+एवउ प्रहार किया 11/13/5
जाना चाहिए 17. पाडेवउ (सक) पाड+एवउ गिराया जाना 30/9/4
चाहिए 18. पालेवउ (सक) पाल+एवउ पालन किया 38/19/4
जाना चाहिए , 19. पिंडेवउ (सक) पिंड+एवउ इकट्ठा किया 62/6/8
जाना चाहिए 20. फाडेवउ (सक) फाड+एवउ फाड़ा जाना 41/13/9
चाहिए
90]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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________________
21. बुज्झेव्वउ ( सक) बुज्झ+एव्वउ
22. बोल्लेव्वउ ( सक) बोल्ल+एव्वउ
23. भणेव्वउ ( सक) भण+एव्वउ
24. भुंजेवउ (सक) भुंज+एवउ
25. मंडेवउ (सक) मंड+एवउ
26. मग्गेव्वउ ( सक) मग्ग+एव्वउ
27. मरिएवउं ( अक) मर+एवउं
28. मारेवउ ( सक)
मार+एवउ
29. रक्खेव्वउ ( सक) रक्ख+एव्वउ
30. रमेवउ ( अक)
रम+एवउ
31. रुएव्वउ (अक)
32. रूसेव्वउ ( अक) रूस+एव्वउ
रुअ+एव्वउ
33. लएव्वउ ( सक) लअ+एव्वउ
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त - संकलन ]
समझा जाना
चाहिए
बोला जाना चाहिए
कहा जाना
चाहिए
माँगा जाना चाहिए
भोजन किया 16/13/9
जाना चाहिए
मरा जाना
चाहिए
सजाया जाना 62/6/4 चाहिए
मारा जाना
चाहिए
रक्षा की जानी चाहिए
रमा जाना
चाहिए
रोया जाना
चाहिए
रूसा जाना
चाहिए
54/15/3
ग्रहण किया
जाना चाहिए
54/15/7
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48/15/ घ.
54/15/6
37/10/4
44/12/7
54/15/7
62/6/3
54/7/6
82/5/3
38/19/4
[91
Page #99
--------------------------------------------------------------------------
________________
34. वसेवउ (अक)
वस+एवउ
35. संबोहेवउ (सक) संबोह+एवउ ।
36. सहेवउ (सक)
सह+एवउ
रहा जाना 23/5/4 चाहिए संबोधित किया 85/6/7 जाना चाहिए सहन किया 28/12/6 जाना चाहिए सिद्ध किया । 28/12/6 जाना चाहिए हरा जाना 21/10/7 चाहिए हुआ जाना 54/15/3 चाहिए
37. साहेवउ (सक)
साह+एवउ
38. हरेवउ (सक)
हर+एवउ
39. होएवउ (अक)
हो+एवउ
92]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
For Personal & Private Use Only
Page #100
--------------------------------------------------------------------------
________________
अकर्मक व सकर्मक क्रियाओं से बने हुए विधि कृदन्त के
वाक्य-प्रयोग
1. भाएरु वप्पु पुत्त घाएवउ।
4/12/3 - भाई, पिता, पुत्र मारा जाना चाहिए। 2. विदेहा-दइउ हरेवउ ।
21/10/7 - विदेह का स्वामी हरा जाना चाहिए। 3. मइ अप्पणउ कज्जु साहेवउ।
22/10/2 - मेरे द्वारा अपना काम सिद्ध किया जाना चाहिए। तें कज्जें वण-वासे वसेवउ।
23/5/4 - उसी कारण से वनवास में रहा जाना चाहिए। 5. खण-सदु ण उच्चारेवउ।
35/5/6 - क्षण शब्द का उच्चारण नहीं किया जाना चाहिए। 6. जहिं ण अस्थि तहिं णत्थि भणेवउ।
35/7/2 - जहाँ अस्ति नहीं है, वहाँ नास्ति कहा जाना चाहिए। 7. जाएं जीवें मरिएवउं।
27/10/4 - उत्पन्न हुए जीव के द्वारा मरा जाना चाहिए। 8. मइं जिण-वउ पालेव्वउ।
38/19/4 - मेरे द्वारा जिनव्रत पाला जाना चाहिए। 9. पर-कलत्तु ण लएव्वउ ।
38/19/4 - पर स्त्री को नहीं ग्रहण किया जाना चाहिए। 10. मइ वइरि मारेवउ ।
44/12/7 - मेरे द्वारा शत्रु मारा जाना चाहिए। 11. मई लंकाउरि जाएव्वउ ।
47/10/6
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
[93
For Personal & Private Use Only
Page #101
--------------------------------------------------------------------------
________________
- मेरे द्वारा लंकानगरी जाया जाना चाहिए। 12. सामिहे पेसणु करेव्वउ।
47/10/6 - स्वामी की सेवा की जानी चाहिए। 13. पई लाहवेण जिवेव्वउ ।
54/15/5 - तुम्हारे द्वारा लाघव से जिया जाना चाहिए। 14. तइं तव-चरणु चरेव्वउ ।
54/15/5 - तुम्हारे द्वारा तपश्चरण का आचरण किया जाना चाहिए। 15. तेण संजम-वउ पालेव्वउ।
____54/15/6 - उसके द्वारा संयम व्रत पाला जाना चाहिए। : 16. सच्च-वयणु वोल्लेव्वउ ।
54/15/7 - सत्य वचन बोले जाने चाहिए। 17. मणे परिचाउ करेव्वउ ।
54/15/8 - मन में परित्याग किया जाना चाहिए। 18. एहु दस-भेउ धम्मु जाणेव्वउ ।
54/15/8 _ - यह दस भेदवाला धर्म जाना जाना चाहिए। 19. जीवें रत्ति-दिणु चिन्तेव्वउ ।
54/16/3 – जीव के द्वारा रात-दिन सोचा जाना चाहिए। 20. मइँ जिह मुणालु हत्थ उप्पाडेवउ।
58/5/8 - मेरे द्वारा कमलनाल के जैसे हाथ उखाड़े जाने चाहिए। 21. पिय–विओए एक्केण रुएव्वउ ।
54/7/6 - प्रिय वियोग में अकेले रोया जाना चाहिए। 22. पइँ हउँ सम्बोहेवउ ।
85/6/7 - तुम्हारे द्वारा मुझे सम्बोधित किया जाना चाहिए।
94]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
For Personal & Private Use Only
Page #102
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________________
23. पइँ समाणु हुअवहे अप्पाणु डहेव्वउ ।
77/8/12 - तुम्हारे द्वारा आग में स्वयं जलाया जाना चाहिए। 24. अम्हारिसाहँ णउ रूसेवउ।
82/5/3 - हम जैसों से नाराज नहीं हुआ जाना चाहिए। 25. काल-वसेण कालु वि सहेवउ ।
___ 28/12/6 - काल के अधीन काल को भी सहन किया जाना चाहिए। 26. किम्पि णाहिँ मग्गेव्वउ ।
54/15/6 - कुछ भी नहीं माँगा जाना चाहिए।
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
[95
For Personal & Private Use Only
Page #103
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________________
8. विभिन्न कृदन्तों के प्रेरणार्थक प्रयोग
जब कर्ता स्वयं काम न करके अन्य से करवाता है या प्रेरणा देता है वह क्रिया प्रेरणार्थक कहलाती है और उसमें जोड़ेजानेवाले प्रत्यय प्रेरणार्थक प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे - हँसना सामान्य क्रिया है इसका प्रेरणार्थक होगा 'हँसाना' । अपभ्रंश में कृदन्त में जोड़ेजानेवाले प्रेरणार्थक प्रत्यय हैं - 'आवि, 0' | कृदन्त का प्रेरणार्थक रूप बनाने के लिए क्रिया में प्रेरणार्थक प्रत्यय जोड़कर कृदन्त के प्रत्यय जोड़े जाते हैं। शून्य प्रत्यय क्रिया में जुड़ने पर क्रिया के अन्त्य 'अ' का आ हो जाता है।
जैसे - हस + शून्य - हास। प्रेरणार्थक सम्बन्धक कृदन्त - हस + आवि + इ हसाविइ
हस + 0 + इ : हासि हस + आवि + इउ - हसाविउ हस + 0 + इउ - हासिउ हस + आवि + इवि - हसाविवि हस + 0 + इवि - हासिवि हस + आवि + अवि - हसाववि हस + 0 + अवि - हासवि हस + आवि + एवि - हसावेवि हस + 0 + एवि - हासेवि हस + आवि + एविणु - हसावेविणु हस + 0 + एविणु - हासेविणु हस + आवि + एप्पि - हसावेप्पि हस + 0 + एप्पि - हासेप्पि हस + आवि + एप्पिणु - हसावेप्पिणु हस + 0 + एप्पिणु - हासेप्पिणु
प्रेरणार्थक हेत्वर्थक कृदन्त - हस + आवि + एवं : हसावेवं हस + 0 + एवं - हासेवं हस + आवि + अण : हसावण हस + 0 + अण - हासण हस + आवि + अणहं - हसावणहं हस + 0 + अणहं - हासणहं हस + आवि + अणहिं - हसावणहिं हस + 0 + अणहिं - हासणहिं 96]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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Page #104
--------------------------------------------------------------------------
________________
हस + आवि + एवि - हसावेवि हस + 0 + एवि - हासेवि हस + आवि + एविणु - हसावेविणु हस + 0 + एविणु - हासेविणु हस + आवि + एप्पि - हसावेप्पि हस + 0 + एप्पि - हासेप्पि हस + आवि + एप्पिणु - हसावेप्पिणु हस + 0 + एप्पिणु - हासेप्पिणु
प्रेरणार्थक वर्तमान कृदन्त - हस + आवि + न्त - हसावंत हस + आवि + माण - हसाविमाण
हस + 0 + न्त - हासन्त
हस + 0 + माण- हासमाण
प्रेरणार्थक भूतकालिक कृदन्त - हस + आवि + अ - हसाविअ हस + आवि + य - हसाविय
हस + 0 + अ - हासिअ हस + 0 + अ - हासिय
प्रेरणार्थक विधि कृदन्त - हस + आवि + अव्व - हसाविअव्व हस + 0 + अव्व - हासअव्व/हासव्व हस + आवि + इएव्वउं - हसाविएव्वउं हस + 0 + इएव्वउं - हासिएव्वउं हस + आवि + एव्वउं - हसावेव्वउं हस + 0 + एव्वउं - हासेव्वउं हस + आवि + एवा - हसावेवा
हस + 0 + एवा - हासेवा
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
[97
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Page #105
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________________
प्रेरणार्थक सम्बन्धक कृदन्त के वाक्य-प्रयोग - 1. विविह–विताण-णिवहु वन्धावेवि दसाणण थिउ । 14/9/2
- विविध वितानों का समूह बन्धवाकर दशानन स्थित हुआ। 2. कोक्कावेवि णरवइ पवर णर भेरि पयाणउ। 18/8/5
– राजा ने श्रेष्ठ लोगों को बुलवाकर भेरि बजवा दी। सा कडउ घडावेवि करे छुहइ। - 19/2/2
- वह कड़े घड़वाकर हाथ में पहनती है। 4. गउ वे वि चडावेवि सो णवर तहिं। । 19/2/9
- दोनों को चढाकर वह केवल वहाँ गया। 5. एत्तहे वि खर-दूसण मेल्लावेप्पिणु सो णिय–णयरु पईसइ ।
19/12/1 - यहाँ पर भी खर दूषण को मुक्त करवाकर वह अपने नगर में प्रवेश करता है। कोक्कावेप्पिणु वरुणु दसासें पुज्जिउ । 20/11/3 - दशानन के द्वारा वरुण को बुलवाकर सम्मान किया गया। गयण-मग्गे पुणु भुअहिँ भमाडेवि।
25/15/8 - फिर बाहुओं के द्वारा घुमाकर आकाशमार्ग में छोड़ दिया गया। 8. अंजणाए जणणेण गय विमुक्क भामेप्पिणु। 46/8/1
- अंजना के पिता के द्वारा घुमाकर गदा मारी गई। प्रेरणार्थक वर्तमान कृदन्त के प्रयोग - 9. दस कामावत्थउ दक्खवन्तु भामण्डलु थिउ। 22/5/3
- दस कामावस्थाओं को दिखाता हुआ भामण्डल स्थित हुआ। 10. पडिउ जडाइ रणे जाणइ-हरि-वलहुँ तिण्हि मि चित्तइँ पाडन्तउ।
38/13/घ. - जटायु रण में जानकी, लक्ष्मण और राम तीनों के चित्त को
गिराता हुआ गिर पड़ा। 98]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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Page #106
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________________
11. आलण-खम्भेण भामन्तें पुहइ भमाडिय तेण। 25/15/घ.
- आलान स्तम्भ को घुमाते हुए उसके द्वारा धरती घुमायी गई। प्रेरणार्थक भूतकालिक कृदन्त के प्रयोग12. देवाविउ लहु आणन्द-भेरि।।
1/8/3 - शीघ्र ही आनन्द भेरि बजवा दी गई। 13. तेण खोणि खणन्तु भमाडिउ ।
5/10/घ. - उसके द्वारा धरती खोदते हुए घुमा दिया गया। 14. मन्तिहिँ जाणाविउ पच्छण्ण-पउत्तिहिँ।
5/12/4 - मन्त्रियों के द्वारा प्रच्छन्न उक्तियों से बताया गया। 15. कोक्काविउ सयलु वि बन्धुजणु।
9/2/8 - सारे ही बन्धुजन बुलवाये गये। 16. मामएण लंकाहिउ बुज्झाविउ मएण।
13/11/8 - ससुर मय के द्वारा लंकेश्वर समझाया गया। 17. आयए लच्छिए वहु जुज्झाविय ।
5/13/8 - इस लक्ष्मी के द्वारा बहुतों को लडवाया गया। 18. मण्डलु एक्केक्कउ पवरु सइं मुंजाविउ। 9/12/घ.
- एक से एक प्रवर मंडलों का स्वयं उपभोग कराया गया। 19. जणय-कणय रणे उव्वेढाविय ।
21/7/4 __ - युद्ध में जनक और कनक मुक्त करवाये गये। 20. तं णिसुणेवि महिहर-सुअए णच्चाविउ णिय-मणु। 29/7/घ.
- उसको सुनकर महीधर की कन्या के द्वारा अपना मन नचाया गया।
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
[99
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Page #107
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________________
9. परिशिष्ट (क) कृदन्तों में प्रयुक्त अकर्मक क्रियाएँ 1. अच्छ - रहना/होना 2. अच्छ : बैठना 3. अत्थम - अस्त होना 4. अमिड : भिड़ना 5. आणंद : आनंदित होना 6. आवट्ट - विलीन होना 7. उग्गम - उदित होना
8. उच्छल - उछलना 9. उट्ठ - उठना
10. उड्ड - उड़ना 11. उत्तर ः उतरना
12. उत्थर - उछलना 13. उत्थल्ल - उछलना 14. उप्पज्ज : उत्पन्न होना 15. उम्मिल्ल - प्रकाशित होना 16. उम्मील : विकसित होना 17. ओणल्ल - लटकना 18. ओयर - उतरना . 19. ओराल : गरजना
20. ओरुम्म : रुकना 21. ओवड : गिरना
22. ओसर : हटना 23. ओहट्ट - हटना
24. ओहट्ट : नष्ट होना 25. कंद - विलाप करना
26. कंप : काँपना 27. कलह - युद्ध करना
28. करकरयर : करकराना 29. कसमस : कसमसाना 31. किलकिल - किलकिलाना 32. खल : स्खलित होना 33. खलखल - खलखल की 34. खस - गिरना
आवाज करना 35. खुह - क्षुब्ध होना
36. खेल - खेलना 37. गज्ज - गरजना
38. गल : गलना 39. गलगज्ज : गरजना 40. गुप्प - व्याकुल होना 41. गुलगुल - गुलगुल की 42. घवघव : घवघव की आवाज करना
आवाज करना 100]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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Page #108
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________________
44. घुल - चक्राकार घूमना 46. चिराव - देर करना 48. जगड : झगड़ा करना 50. जलजल - तेजी से जलना 52. जिव - जीना 54. जुज्झ - लड़ना 56. झुज्झ - नष्ट होना 58. ठव : रखना 60. डर : डरना 62. डोल्ल : काँपना/हिलना
43. घुम्म - घूमना 45. चड : चढ़ना 47. छिज्ज : नष्ट होना 49. जल - जलना 51. जिय - जीना 53. जीव - जीना 55. झडझड : झडझड़ करना 57. टल - डिगना 59. ठा : ठहरना 61. डुहुडुहु - डुहडुह की
आवाज करना 63. णंद - प्रसन्न होना 65. णास : नष्ट होना/भागना 67. णिज्झर : झरना 69. णिवंड - गिरना 71. णीसर - निकलना 73. ण्हा : नहाना 75. तडतड - तड़तड़ की
आवाज करना 77. तूस - संतुष्ट होना 79. थंभ : रुकना 81. थरथर - हिलना 83. था - स्थिर होना 85. धुधुव - धू धू करना पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
64. णच्च - नाचना 66. णिउड्ड : डूबना 68. णिलुक्क : छिपना 70. णिवस - रहना 72. णीसस - निःश्वास लेना 74. ण्हाण : नहाना 76. तुट्ट - टूटना
78. तोस : संतुष्ट होना 80. थक्क - बैठना 82. थरहर - हिलना 84. धगधग - जलना 86. पकन्द : आक्रन्दन करना
[101
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________________
87. पक्खल = स्खलित होना
89. पज्जल - जलना
91. पडिखल = लौटना
93. पणच्च
नाचना
95. पयट्ट - कूच करना
97. परिवड्ढ = बढ़ना
99. पवड्ढ - बढ़ना
101. पवह = प्रवाहित होना
103. पसर = फैलना
105. पहस - हँसना
107. पुंज इकट्ठा होना
こ
109. फुट्ट - फूटना
111. बइसर = बैठना
113. भव होना
115. भिड =
भिड़ना
117. मल्ह - प्रसन्न होना
119. मर मरना
121. मिल=मिलना
123. रंज = प्रसन्न होना
125. रस - गरजना
127. रुणुरुण्टन्त
129. रुव = रोना
131. रोव = रोना
102]
रुनरुन की
ध्वनि करना
S
88. पगुलगुल - गुलगुल की
=
आवाज करना
90. पड = गिरना
92. पडिखल = स्खलित होना
94. पप्फुल्ल = खिलना
96. परिअत्त = लौटना
98. पल्लट्ट = लौटना
100. पवस - प्रवास करना
102. पसम - शान्त होना
104. पहव होना
106. पायड = प्रकट होना
108. फल फलना
110. फुर चमकना
112. भम - भ्रमण करना
114. भिज्ज = भीगना
116. मइल = मैला होना
118. मल्ह = लीला करना
S
こ
120. मा समाना
122. मुच्छ = मूर्च्छित होना
124. रम = क्रीड़ा करना / खेलना
126. रुअ = रोना
128. रुण्ट - बजना / आवाज करना
130. रूस रूसना
132. रोस कुपित होना
S
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[ पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
Page #110
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________________
133. लज्ज - शरमाना 135. लल - क्रीड़ा करना 137. वज्ज : बजना 139. वद्ध : बढ़ना 141. वल : जलना 143. वस - रहना 145. वित्थर : फैलना 147. वियंभ : फैलना 149. वियस - खिलना 151. विहड - विघटित होना 153. वुड्ड - डूबना 156. संभव : संभव होना 158. सज्ज - सजना 160. समल्ल : मिलना 162. समुट्ठ : उठना 164. समुव्वह : बहना 166. सुअ - सोना 168. सुव - सोना 170. हरिस - हर्षित होना 172. हस : हँसना 174. हिलहिल - हिनहिनाना 176. हुहुहुहुह : हु हु की आवाज
करना
134. लल - लपलपाना 136. ल्हस - खिसकना 138. वड्ढ : बढ़ना 140. वल - लौटना/मुड़ना 142. वह - बहना 144. विणिग्ग - निकलना 146. विप्फुर : चमकना 148. वियल - गलना 150. विलव : विलाप करना 152. विहस - हँसना 154. वेव - काँपना 157. सक्क : सकना 159. सण्णज्झ - तैयार होना 161. समावड - मिलना 163. समुत्थर : उछलना 165. सल्ल - पीड़ित होना 167. सुक्क : सूखना 169. सोह : शोभना 171. हल्ल : हिलना 173. हिंस : घोड़े का हिनहिनाना 175. हु - होना 17. हो - होना
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
[103
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(ख) कृदन्तों में प्रयुक्त सकर्मक क्रियाएँ
2. अंदोल
1. अंच = अर्चना करना
3. अइकम = अतिक्रमण करना
5. अच्छोड = काटना
7. अणुहर - अनुकरण करना
9. अणुहुंज = उपभोग करना
11. अप्फाल - बजाना
13. अलह प्राप्त न करना
15. अवगाह - अवगाहन करना
17. अवयर - अवतरण करना
19. अवलोअ = देखना
21. अवहर छोड़ना
23. अवहार = परित्याग करना
25. असह - सहन न करना
27. अहिलस - अभिलाषा करना
29. अहिसिंच - अभिषेक करना
31. आउच्छ - पूछना
33. आण लाना
35. आमेल्ल - छोड़ना
37. आयर - आचरण करना
39. आरंभ = आरंभ करना
41. आरूस = क्रोध करना
104]
= झूलना
4. अक्ख - कहना
6. अज्ज = अर्जन करना
8. अणुहव - अनुभव करना 10. अप्प = अर्पण करना 12. अब्मत्थ = अभ्यर्थना करना
14. अवगण्ण = अवहेलना करना
16. अवतंभ = सहारा लेना
18. अवरुण्ड = आलिंगन करना 20. अवहत्थ - छोड़ना
22. अवहर अपहरण करना
24. अस - खाना
26. अहिणंद = अभिनंदन करना
28. अहिसार - अभिषेक करना
30. आआना
32. आऊर पूरा करना
S
34. आपेक्ख = देखना
こ
36. आयण्ण - सुनना
38. आयाम - लंबा करना, बल लगाना
40. आराह - आराधना करना
42. आरुह こ चढ़ना
[ पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त - संकलन
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Page #112
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________________
43. आलिंग : आलिंगन करना 44. आव - आना 45. आवज्ज : प्राप्त करना 46. आवट्ट - चक्र की तरह घुमाना 47. आवील - पीड़ित करना 48. आसंक : आशंका करना 49. आहण : मारना
50. हिण्ड - भ्रमण करना 51. इच्छ - चाहना
52. उग्गाम - उठाना 53. उग्गाह : उद्घाटित करना 54.उग्गिल - उगलना 55. उग्घोस - घोषणा करना 56. उच्चल - चलना 57. उच्चाअ - उठाना
58. उच्चार : उच्चारण करना 59. उच्छिंद - छिन्न-भिन्न करना 60. उज्जाल : आलोकित करना 61. उज्जोव : प्रकाश करना 62. उज्झ - छोड़ना 63. उत्थर : आक्रमण करना 64. उदाल : छीनना,उखाड़ना 65. उद्धर - उठाना
66. उपेक्ख : उपेक्षा करना 67. उप्पाय - उत्पन्न करना 68. उप्पाड - उखाड़ना 69. उब्भ - उठाना
70. उम्मूल : उखाड़ना 71. उल्हाव : शांत करना 72. उवसम - शांत करना 73. उवयार : उपकार करना 74. उवेक्ख : उपेक्षा करना 75. उव्वेढ - मुक्त करना 76. ओआर - उतारना 77. ओवग्ग : आक्रमण करना 78. ओसार - दूर हटाना 79. कड्ढ : खींचना
80. कप्प : काटना 81. कप्पर : काटना
82. कम - लांघना 83. कर - करना
84. कलंक - कलंकित करना 85. कह - कहना
86. कील - क्रीड़ा करना 87. कोक्क : बुलाना
88. खंच : खींचना 89. खंड - टुकड़े करना 90. खण - खोदना पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
[105
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________________
91. खव - क्षय करना
93. खील = अवरुद्ध करना
95. खुड काटना
97. गण = गिनना
99. गम = बिताना
101. गवेस = खोज करना
103. गा / गाय गाना
105. गुण = विचार करना
107. गेण्ह - ग्रहण करना
109. घत्त = फैंकना
111. घा मारना
113. घोट्ट = घोटना
115. चक्ख चखना
117. चप्प - चाँपना
119. चर - आचरण करना
121. चव कहना
123. चिंतन = चिंतन करना
125. चोअ = प्रेरित करना
127. छड्ड 3
छोड़ना
129. छाय - छाया करना
131. छुह - डालना
133. जंप = बोलना
135 जण उत्पन्न करना
137. जा जाना
106]
S
92. खा खाना
94. खुंट = काटना
96. गण - समझना
98. गम - जाना
100. गरह =
102. गह पकड़ना
104. गिल = निगलना'
106. गुप्प = छिपाना
108. घड = मिलाना, गढ़ना
110. घल्ल - डालना
112. घिव = फैंकना
114. घोस घोषणा करना
116. चड = सवार होना
118. चर चरना
120. चल / चल्ल - चलना
122. चिंत = चिंतन करना
निंदा करना
こ
124. चूर चूरा करना
S
126. छंड =
छोड़ना
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128. छल छल करना
130. छिंद = छेदना
132. छोड छोड़ना
134. जज्जर - जर्जर करना
136. जयकार - जयकार करना
138. जाण = जानना
[ पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त - संकलन
3
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________________
139. जिण : जीतना
140. जिम - भोजन करना 141. जुज्ज : जोड़ना
142. जेम : भोजन करना 143. जोअ - देखना
144. जोक्कार : जयकार करना 145. जोक्ख - देखना
146. जोत्त : जोतना 147. झाअ : ध्यान करना 148. टाल : टालना,हटाना 149. ठव - प्रतिष्ठित करना 150. डंक : डॅसना 151. डस - काटना
152. डह : जलाना 153. ढंक = ढकना
154. दुक्क - पहुँचना 155. ढोअ : लाना
156. णड - प्रवंचित करना 157. णम : नमन करना
158. णमंस : नमस्कार करना 159. णव : प्रणाम करना
160. णास : नाश करना 161. णिंद - निंदा करना 162. णिक्खण : खोदना 163. णिज्जिण : जीतना 164. णिज्झाअ - देखना 165. णिट्ठव समाप्त करना 166. णिद्दल : नष्ट करना 167. णिद्दार : चीरना
168. णिब्मच्छ : तिरस्कार करना 169. णिम्म - बनाना
170. णिय : देखना 171. णियच्छ : देखना 172. णियत्त - लौटना 173. णिरिक्ख : देखना
174. णिरुंभ : अवरुद्ध करना 175. णिवार : निवारण करना,हटाना 176. णिव्वण्ण : देखना 177. णिव्वाड - चुनना 178. णिसुंभ : मारना 179. णिसुण - सुनना 180. णिहाल - देखना 181. णी - ले जाना
182. णीसार : निकालना 183. तज्ज : डाँटना,भर्त्सना करना 184. तर : पार करना 185. तव - तप करना
186. ताड : ताड़न करना,बजाना पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन ]
[107
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________________
187. तास : सन्त्रस्त करना 188. तुल - तौलना,उठाना 189. तोड : तोड़ना
190. थंभ - रोकना 191. थव : रोकना,स्थापना करना 192. दक्खव - दिखाना 193. दम : दमन करना
194. दरमल : चूर-चूर करना 195. दरिस - देखना,प्रदर्शन करना 196. दरिसाव - दिखाना 197. दल : दलन करना 198. दलवट्ट - चूर-चूर करना 199. दह : जलाना
200. दा - देना 201. दाअ - दिखलाना
202. दार : फाड़ना 203. दुह : दुहना
204. दोच्छ - तिरस्कृत करना 205. धर : धारण करना,पकड़ना, 206. धवल - धवल करना
रखना 207. धा : दौड़ना
208. धाव : दौड़ना 209. धाहाव - चिल्लाना 210. धिक्कार : धिक्कारना 211. धीर : धीरज देना
212. धुण - पीटना,आहत करना 213. पइस - प्रवेश करना 214. पइसर - प्रवेश करना 215. पउंज : प्रवृत्त करना, 216. पंगुर : आच्छादन करना
व्यवहार करना 217. पक्खाल : धोना
218. पखाल : प्रक्षालन करना 219. पगास - प्रकट करना 220. पच - पकाना 221. पच्चार : ललकारना 222. पच्छाअ : ढकना 223. पजंप - बोलना
224. पजोअ = देखना 225. पट्ठव - भेजना
226. पडिच्छ : स्वीकार करना,
ग्रहण करना 227. पडिपूर - समाप्त करना 228. पडिबोह - प्रतिबोधित करना 108]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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________________
229. पढ : पढ़ना 231. पणम - प्रणाम करना 233. पणास : भागना 235. पपुच्छ : पूछना 237. पमण - कहना 239. पयंच - पूजा करना 241. परज्ज - पराजित करना 243. परियंच - घुमाना 245. परिक्ख : परीक्षा करना 247. परिट्ठव - संस्थापना करना 249. परिपाल - पालन करना 251. परिब्मम : भटकना 253. परिमण्ण : मानना
230. पदुक्क : पहुँचना 232. पणव : प्रणाम करना 234. पदरिस - प्रदर्शन करना 236. पबोल्ल - बोलना 238. पमेल्ल - छोड़ना 240. पयास : प्रकट करना 242. परिअत्त : लौटना 244. परिओस : संतुष्ट करना 246. परिचिंत - चिंतन करना 248. परिण - विवाह करना 250. परिप्फुर : चमकना 252. परिभम : परिभ्रमण करना 254. परियंच : प्रदक्षिणा करना,
स्पर्श करना 256. परियप्प : कल्पना करना 258. परियाण : जानना 260. परिवेढ : घेरना 262. परिह : पहनना 264. पलोअ - देखना 266. पवरिस - वर्षा करना 268. पव्वज्ज : प्रव्रज्या लेना 270. पसंस : प्रशंसा करना 272. पसाह : सजाना 274. पहर : प्रहार करना
[109
255. परियच्छ : समझना 257. परियर : घेरना 259. परिरक्ख : रक्षा करना 261. परिसेस : समाप्त करना 263. परिहर - त्यागना 265. पवत्त - प्रवृत्त करना 267. पवोल - अतिक्रमण करना 269. पव्वाल - प्लवित करना 271. पसार : फैलाना 273. पहण - पीटना पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन ]
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________________
275. पहास - कहना 277. पारंभ - प्रारंभ करना 279. पाव : प्राप्त करना 281. पिअ - पीना 283. पील : पीड़ित करना 285. पुच्छ : पूछना 287. पूर - फूंक मारना 289. पेल्ल - ठेलना 291. पोमाअ - प्रशंसा करना 293. फुस : पोंछना 295. फोड : तोड़ना 297. बुज्झ - जानना, समझना 299. बोल्ल - बोलना 301. भंज : नष्ट करना 303. भण : कहना 305. भर : भरना 307. भास - बोलना 309. भुंज : भोजन करना,
उपभोग करना 311. भेल्ल - भेदना 313. मंत : मंत्रणा करना 315. मग्ग - माँगना 317. मण्ण : मानना 319. माण - अनुभव करना 110]
276. पाड : गिराना 278. पाल : पालन करना 280. पिंड - इकट्ठा करना 282. पिक्ख - देखना 284. पुंज - इकट्ठा करना 286. पुज्ज - सम्मान करना 288. पेक्ख - देखना 290. पेस - भेजना 292. फाड - फाड़ना 294. फेड : हटाना, नष्ट करना 296. बंध : बाँधना . 298. बोल : पार करना 300. बोह : बोध कराना 302. भज्ज : भग्न करना 304. भम : भ्रमण करना 306. भाव - चिंतन करना 308. भिंद - भेदना 310. भूस - विभूषित करन
312. मंड : सजाना, रचना करना 314. मइल - मैला करना 316. मण - समझना 318. मल : दलन करना 320. मार : मारना [पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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________________
321. मुंच = छोड़ना
323. मुअ / मुय = छोड़ना
325. मुसुमूर कुचलना
327. मेल्ल = छोड़ना
329. मोह = मोहित करना
S
331. रंज खुश करना
こ
333. रक्ख - रक्षा करना
335. लंघ - लांघना, अतिक्रमण
करना
337. लक्ख = देखना
339. लव - बोलना
341. लिह = लिखना
343. ले लेना
345. वंद्र - वंदना करना
347. वक्खाण व्याख्यान करना 349. वज्जर = बोलना
351. वर वरण करना
353. वह वध करना, प्रहार करना
355. वार = रोकना, मना करना
-
=
357. वावर युद्ध करना
359. विंध = बींधना
361. विचिंत = विचारना
363. विणास - नष्ट करना
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त - संकलन ]
322. मुंड = मूँडना
324. मुण समझना, विचार करना
326. मेलव - इकट्ठी करना
328. मोड =
मोड़ना
330. रंग = रँगना
332. रअ / रयबनाना, निर्माण करना
334. रेल्ल = बहाना
336. लअ = लेना
338. लग्ग - लगना
340. लह प्राप्त करना
342. लुह = पोंछना
344. वंच = वंचित करना, छोड़ना
346. वइसार बैठाना
348. वज्ज = वर्णन करना
350. वण्ण = वर्णन करना, देखना
352. वरिस = वर्षा करना
354. वाअ - बजाना
356. वाल = मोड़ना
358. वाह = हाँकना
360. विक्खिर = बिखेरना
362. विच्छोड = अलग करना
364. विणिवाअ = मारना,
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________________
366. वित्थार - फैलाना
365. विण्णव - प्रणाम करना,
निवेदन करना 367. विद्दार : विदीर्ण करना
369. विद्ध - बींधना 371. वियप्प - विचार करना 373. विरअ - रचना करना 375. विरोल - विलोड़ना 377. विसज्ज - छोड़ना 379. विसह - सहन करना 381. विहंज - विभक्त करना 383. विहर : विहार करना 385. विहुण - पीटना 387. वेढ : घेरना 389. संक : शंका करना 391. संचल्ल - चलना 393. संचाल : संचालन करना 395. संजोत - संयुक्त करना 397. संथव - स्तुति करना 399. संबोह - संबोधित करना 401. संभास - संभाषण करना 403. सण्णह - तैयार करना 405. समप्प - समर्पित करना 407. समारुह : आरूढ़ होना 112]
368. विद्धंस : विनाश करना,
__क्षत-विक्षत करना 370. विब्माड - नाश करना 372. वियार - विदीर्ण करना 374. विरिल्ल - फैलाना 376. विवज्ज - छोड़ना 378. विवोह - प्रतिबोधित करना 380. विसेस - विशेषता बताना 382. विहड - विघटित करना 384. विहाव - देखना 386. वीसर : भुलाना 388. वोलाव - व्यतिक्रम करना 390. संघार - मारना 392. संचार - संचार करना 394. संचूर - नष्ट करना 396. संताव : संताप करना 398. संपेस - भेजना 400. संभर : याद करना 402. संहार : संहार करना 404. समत्थ - समर्थन करना 406. समार - करना
408. समिच्छ : चाहना [पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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________________
409. समुत्तर : पार करना
410. समोड्ड - युद्ध करना,
स्थापित करना
412. सर : स्मरण करना
411. सम्माण - सम्मान करना 413. सल्ल - दुख देना 415. साड - नष्ट करना 417. साहार : सहारा देना 419. सिक्ख : सीखना 421. सुण - सुनना 423. सुमर - स्मरण करना 425. सोस : सुखाना 427. हक्कार - बुलाना 429. हर : हरण करना
414. सह : सहन करना 416. साह - सिद्ध करना 418. सिंच - सींचना 420. सुअ - सुनना 422. सुपरिट्ठव - प्रतिष्ठापना करना 424. सेव - सेवा करना 426. हक्क - बुलाना 428. हण : नष्ट करना 430. हिंड - घूमना
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
[113
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________________
सहायक पुस्तकें एवं कोश 1. पउमचरिउ भाग 1-5 : सं. डॉ. एच. सी भायाणी
अनु. डॉ. देवेन्द्र कुमार जैन
(भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, नई दिल्ली) 2. स्वयंभू शब्दकोश : डॉ. संकटाप्रसाद उपाध्याय
डॉ. उमा भट्ट (जैनविद्या संस्थान, दिगम्बर जैन अतिशय
क्षेत्र श्रीमहावीरजी, राजस्थान) 3. अपभ्रंश-हिन्दी कोश : डॉ. नरेशकुमार
(इण्डो-विजन प्रा. लि., 220, नेहरु नगर,
गाजियाबाद) 4. अपभ्रंश रचना सौरभ : डॉ. कमलचन्द सोगाणी
(जैनविद्या संस्थान, दिगम्बर जैन अतिशय
क्षेत्र श्रीमहावीरजी, राजस्थान) 5. हेमचन्द्र प्राकृत व्याकरण : व्याख्याता-श्री प्यारचन्दजी महाराज
(श्री जैन दिवाकर-दिव्य ज्योति कार्यालय,
मेवाड़ी बाजार, ब्यावर) 6. पाइअ-सद्द महण्णवो : पं. हरगोविन्ददास त्रिकमचन्द सेठ
(प्राकृत ग्रन्थ परिषद्, वाराणसी)
114]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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________________ bo vietu