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- मेरे द्वारा लंकानगरी जाया जाना चाहिए। 12. सामिहे पेसणु करेव्वउ।
47/10/6 - स्वामी की सेवा की जानी चाहिए। 13. पई लाहवेण जिवेव्वउ ।
54/15/5 - तुम्हारे द्वारा लाघव से जिया जाना चाहिए। 14. तइं तव-चरणु चरेव्वउ ।
54/15/5 - तुम्हारे द्वारा तपश्चरण का आचरण किया जाना चाहिए। 15. तेण संजम-वउ पालेव्वउ।
____54/15/6 - उसके द्वारा संयम व्रत पाला जाना चाहिए। : 16. सच्च-वयणु वोल्लेव्वउ ।
54/15/7 - सत्य वचन बोले जाने चाहिए। 17. मणे परिचाउ करेव्वउ ।
54/15/8 - मन में परित्याग किया जाना चाहिए। 18. एहु दस-भेउ धम्मु जाणेव्वउ ।
54/15/8 _ - यह दस भेदवाला धर्म जाना जाना चाहिए। 19. जीवें रत्ति-दिणु चिन्तेव्वउ ।
54/16/3 – जीव के द्वारा रात-दिन सोचा जाना चाहिए। 20. मइँ जिह मुणालु हत्थ उप्पाडेवउ।
58/5/8 - मेरे द्वारा कमलनाल के जैसे हाथ उखाड़े जाने चाहिए। 21. पिय–विओए एक्केण रुएव्वउ ।
54/7/6 - प्रिय वियोग में अकेले रोया जाना चाहिए। 22. पइँ हउँ सम्बोहेवउ ।
85/6/7 - तुम्हारे द्वारा मुझे सम्बोधित किया जाना चाहिए।
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[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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