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3. हेत्वर्थक कृदन्त
'हँसने के लिए', 'नाचने के लिए', 'जीने के लिए' आदि भावों को प्रकट करने के लिए हेत्वर्थक कृदन्त का प्रयोग किया जाता है। जैसे - वह "हँसने के लिए जीता है। संबंधक कृदन्त की ही भांति ये कृदन्त भी अव्यय होते हैं अर्थात इनके वाक्य-प्रयोग में लिंग, विभक्ति और वचन के अनुसार रूप-परिवर्तन नहीं होता है।
ये कृदन्त भी अकर्मक क्रियाओं और सकर्मक दोनों प्रकार की क्रियाओं में प्रत्यय जोड़कर बनाये जाते हैं। जब प्रत्यय सकर्मक क्रियाओं में जोड़े जाते हैं तब उनके साथ कर्म का प्रयोग अनिवार्य होता है। जैसेवह जल पीने के लिए' जाता है। इस वाक्य में पीने के लिए' सकर्मक क्रिया से बना हुआ 'हेत्वर्थक कृदन्त' है जिसके लिए 'जल' कर्म के रूप में प्रयुक्त हुआ है। आगे सकर्मक क्रियाओं से बने हुए हेत्वर्थक कृदन्त एवं उनके वाक्य-प्रयोगों को दर्शाया जा रहा है
सकर्मक क्रियाओं से बने हुए हेत्वर्थक कृदन्त क्र. कृदन्तयुक्त- क्रिया+कृदन्त- हिन्दी अर्थ सन्दर्भ सं. क्रिया 1. अणुहुंजेवि अणुहुंज + एवि उपभोग करने के 39/5/4
प्रत्यय
लिए
2. अब्मत्थेवि 3. उच्चेल्लेवि 4. उत्थरेवि 5. करेविणु 6. कहेवि 7. गणेवि 8. गमण
अब्भत्थ + एवि उच्चेल्ल + एवि उत्थर + एवि कर + एविणु कह + एवि गण + एवि गम + अण
अभ्यर्थना के लिए 46/9/7 चलने के लिए 6/2/4 आक्रमण के लिए 18/2/9 करने के लिए 67/13/2 कहने के लिए 28/9/1 गिनने के लिए 8/4/9 जाने के लिए 10/6/1
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन ]
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