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अवि
एप्पि
एप्पिणु
एवि
एविणु
हस + अवि
हस + एप्पि
हस + एप्पिणु
हस + एवि
हस + एविणु
2. हेत्वर्थक कृदन्त
'हँसने के लिए', 'नाचने के लिए', 'जीने के लिए' आदि भावों को प्रकट करने के लिए हेत्वर्थक कृदन्त का प्रयोग किया जाता है। जैसे वह 'हँसने के लिए' जीता है। संबंधक कृदन्त की ही भांति ये कृदन्त भी अव्यय होते हैं अर्थात इनके वाक्य-प्रयोग में लिंग, विभक्ति और वचन के अनुसार रूप - परिवर्तन नहीं होता है।
ये कृदन्त भी अकर्मक क्रियाओं और सकर्मक दोनों प्रकार की क्रियाओं में प्रत्यय जोड़कर बनाये जाते हैं। जब प्रत्यय सकर्मक क्रियाओं में जोड़े जाते हैं तब उनके साथ कर्म का प्रयोग अनिवार्य होता है। जैसेवह जल पीने के लिए' जाता है। इस वाक्य में 'पीने के लिए' सकर्मक क्रिया से बना हुआ 'हेत्वर्थक कृदन्त' है जिसके लिए 'जल' कर्म के रूप में प्रयुक्त हुआ है।
अण
अणहं
अणहिं
हसवि
हसेप्पि
हसेप्पणु
हसेवि
हसे विणु
अपभ्रंश भाषा में क्रिया में निम्नलिखित प्रत्यय जोड़कर हेत्वर्थक कृदन्त बनाये जाते हैं
हेत्वर्थक कृदन्त क्रिया + प्रत्यय कृदन्तवाचक शब्द हिन्दी अर्थ के प्रत्यय
एवं
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हस + एवं
हस + अण
हस + अणहं
हस + अणहिं
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त - संकलन ]
हँसकर
हँसकर
हँसकर
हँसकर
हँसकर
हसे वं
हसण
हसणहं
हसणहिं
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हँसने के लिए
हँसने के लिए
हँसने के लिए
हँसने के लिए
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