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________________ 5. 2. 3. उछलते हुए छत्रों को देखकर प्रसन्नकीर्ति सुर सेना से भिड़ गया । तृतीया विभक्ति के प्रयोग 1. 4. 5. नष्ट होती हुई अपनी सेना को देखकर तोयदवाहन आगे स्थित हुआ । 48] — पेक्खेवि उत्थल्लन्तइँ छत्तइँ भिडिउ पसण्णकित्ति सुर - साहणे । 17/3/5,8 तेएं पइसन्तेण तेण सुरह मि विब्भमु लाइउ । 3/9/घ. - - तेज के साथ प्रवेश करते हुए उसके द्वारा देवों को भी विभ्रम में डाल दिया गया । पच्छिम पहरे पहंजणेण आउच्छिय पिय पवसन्तएण । - — 19/1/प्रा. अन्तिम प्रहर में प्रवास करते हुए पवनंजय के द्वारा प्रिया से कहा गया। धवलिउ जलु तुट्टन्तेहिँ हारेहिँ । — - टूटते हुए हारों से जल सफेद हो गया। तहिं पइसन्तेहिँ लक्खण-रामेहिँ सीरकुडुम्बिक मणुसु पदीसिउ । 25/15/6 - वहाँ प्रवेश करते हुए राम लक्ष्मण के द्वारा सीरकुटुम्बक नामक मनुष्य देखा गया। किंकरेहिं गवेसन्तेहिँ वणे लक्खिउ वेल्लहले लया-भवणे । Jain Education International 14/6/2 19/17/9 खोजते हुए अनुचरों के द्वारा (उसे) बेलफलों के लतागृहों में देखा गया। [ पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त - संकलन www.jainelibrary.org For Personal & Private Use Only
SR No.004047
Book TitlePaumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Seema Dhingara
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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