________________
6. चउगइ-संसारे भमन्तएण आवन्तें मरन्तएण जगे जीवें को ण रुवावियउ।
39/9/2 - चार गतिवाले संसार में घूमते हुए, आते हुए और मरते हुए
जीव के द्वारा जग में कौन नहीं रुलाया गया? 7. तइलोक्कु वि तेण असिउ असन्तएण।
39/9/7 - खाते हुए उसके द्वारा त्रिलोक खाया गया। ___8. पणमन्तें अक्खिय कुसल–वत्त हणुवन्तें।
50/1/4 - प्रणाम करते हुए हनुमान के द्वारा कुशल वार्ता कही गई। 9. पुत्तेण जुज्झन्तेण सइँ भुय–वलेण महीयलु लइउ। 3/13/घ.
- जूझते हुए पुत्र के द्वारा अपने भुज बल से धरती प्राप्त की गई। 10. एम भणन्तेण विद्धन्तेण तेण स-रहि महारहु छिण्णउ ।
15/4/घ. - इस प्रकार कहते हुए और प्रहार करते हुए उसके द्वारा सारथी
सहित महारथ छिन्न-भिन्न किया गया। चतुर्थी विभक्ति व षष्ठी विभक्ति के प्रयोग - 1. उववणु णामेण पसत्थउ णाइँ कुमारहो एन्ताहो पइसन्ताहो थिउ णव-कुसुमांजलि हत्थउ।
__29/1/घ. - प्रशस्त नामक उपवन आते हुए और प्रवेश करते हुए कुमारों के लिए हाथ में नव कुसुमांजलि लिए हुए स्थित था। पायाल-लंका मुंजन्ताहो उप्पण्णु सुमालिहे पुत्तु रयणासउ।
9/1/1 – पाताल लंका का उपभोग करते हुए सुमालि के रत्नाश्रव पुत्र
हुआ। 3. जेण खरहो सिरु खुडिउ जियन्तहो।
57/6/7 - जिसके द्वारा जीते हुए खर का सिर काट दिया गया।
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
[49
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org