________________
8.
9.
10.
सइहे होन्ति वि लंछणु लाइउ ।
सती होती हुई के भी लांछन लगा दिया गया ।
दसाणण-पत्तिए वुच्चइ विहसन्तिए ।
-
- हँसती हुई दशानन की पत्नी द्वारा कहा जाता है ।
णिय - कित्तिहे मं भंजहि पाय तिहुयणे परिसक्कन्तियहे ।
—
81/10/1
42/4/घ.
त्रिभुवन में फैलती हुई अपनी कीर्ति के आधार को नष्ट मत
करो ।
52]
Jain Education International
41/10/7
For Personal & Private Use Only
[ पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त - संकलन
www.jainelibrary.org