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अकर्मक क्रियाओं से बने हुए नियमित भूतकालिक कृदन्त
के वाक्य-प्रयोग
1. तं णिसुणेवि तहो वयणु वलियउ।
8/3/5 - यह सुनकर उसका मुख मुडा। 2. कहि मि फुरन्तेहिँ कुण्डलेहिँ जल फुरिउ ।
14/6/3 - कहीं स्फुरित कुण्डलों से जल चमक उठा। 3. इन्द दस-सय कर करेवि पणच्चिउ। .
2/7/6 - इन्द्र एक हजार हाथ बनाकर नाचा। 4. णरिन्दहो माणु-मच्छरु गलिउ।
5/7/8 - राजा का मान-मत्सर गल गया। तं णिसुणेवि णरवइ लज्जियउ।
6/3/8 - उसको सुनकर राजा लज्जित हुआ। ____ तं पेक्खेवि तडिकेसु डरिउ ।
6/13/6 - उसको देखकर तडित्केश डर गया। 7. जग-जणेरि वसुन्धरि थरहरिय।
1/8/3 - जग को उत्पन्न करनेवाली धरती हिल गयी। 8. णव-पाउसे णव घण गज्जिय।
2/1/2 - नव वर्षा ऋतु में नव घन गरज उठे। 9. रुयन्ती अपराइय महएवि महियले पडिय।
23/3/घ. - रोती हुई अपराजिता महादेवी धरती पर गिर पड़ी। 10. णं चन्दुग्गमे उवहि पगज्जिय।
___24/8/2 - मानो चन्द्रमा के उदय पर समुद्र गरज उठा। 11. णं तारा-मण्डलु उग्गमिउ ।
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[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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