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18.
19.
20. पडिबोहणहिँ सयम्पहु तहिं पयट्टु ।
21.
22.
ते अण्णोणेण हणेवि णिव्वट्टिउ ।
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- वे एक दूसरे को मारने के लिए प्रवृत्त हुए ।
वज्जयण्णु मारेवि को सक्कइ ।
वज्रकर्ण को मारने के लिए कौन समर्थ है ?
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35/13/2
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25/13/8
प्रतिबोधित करने के लिए स्वयंप्रभ देव वहाँ से चला ।
मणु रंजेवि को वि ण सक्कइ ।
मन को खुश करने के लिए कोई भी समर्थ नहीं है
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जइ जलणु डहेवि समत्थउ तो डहउ ।
यदि आग जलाने के लिए समर्थ है तो जलावे ।
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83/9/8
[ पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त - संकलन
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