________________
- देवागमन को देखकर परम जिन की वन्दना भक्ति के लिए वह
भी गया। 10. णियय भवन्तरु संभरेवि सो देउ तहिं अवइण्णउ। 6/10/घ.
- अपने जन्मान्तर को याद करके वह देव वहाँ उपस्थित हुआ। 11. भुअंगमेण परिअंचिउ णमि।
13/6/7 - नागराज के द्वारा प्रदक्षिणा कर प्रणाम किया गया। 12. णर-गय-हय तज्जेवि रह धय भंजवि सो वूहहो मज्झे पइठु ।
7/3/घ. - नर, हय और गजों की भर्त्सना करके, रथ ध्वजों को भग्न
करके वह व्यूह के मध्य प्रविष्ट हुआ। 13. पवर-वन्दि-सयइँ गेण्हवि दसाणण णियय पुरु गउ ।
17/17/घ. - सैंकड़ों प्रवर बन्दियों को पकड़कर रावण अपने घर गया। 14. जिह जिणु महामयइँ जिणेवि अजरामरु पउ लहइ। 17/17/घ.
- जिस प्रकार परम जिन महामदों को जीतकर अजर अमर पद
प्राप्त करते हैं। 15. मन्दरहो सिहरइँ परियंचवि दसाणणु पल्लटु। 18/1/प्रा.
- सुमेरु पर्वत के शिखरों की प्रदक्षिणा करके दशानन लौटा। 16. दाहिण-देसे थत्ति करेविण सोमित्ति तुम्हहँ पासे आइउ।
____ 23/5/5 - दक्षिण देश में स्थिति बनाकर लक्ष्मण तुम्हारे पास आया। 17. तं जिणभवणु णियवि ते परितुट्ठ.।
25/7/5 - उस जिनभवन को देखकर वे संतुष्ट हो गये। 18. विमाणु विमाणे चप्पिउ वहइ।
32/12/6 - विमान विमान से टकराकर चलता है।
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन]
[27
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org