Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 97
________________ 8. जाएव्वउ (सक) जा+एव्वउ जाया जाना 47/10/6 चाहिए 9. जाणेव्वउ (सक) जाण+एव्वउ जाना जाना 54/15/8 चाहिए 10. जिणेवउ (सक) जिण+एवउ जीता जाना 38/18/9 चाहिए 11. जिवेव्वउ (अक) जिव+एव्वउ जिया जाना 54/15/5 चाहिए 12. ठवेवउ (सक) ठव+एवउ रखा जाना 62/6/4 चाहिए 13. डहेव्वउ (सक) डह+एव्वउ जलाया जाना 77/8/12 चाहिए 14. दरिसेव्वउ (सक) दरिस+एव्वउ । दिखाया जाना 54/15/5 चाहिए 15. पक्खालेवउ(सक) पक्खाल+एवउ धोया जाना 44/12/9 चाहिए 16. पहरेवउ (सक) पहर+एवउ प्रहार किया 11/13/5 जाना चाहिए 17. पाडेवउ (सक) पाड+एवउ गिराया जाना 30/9/4 चाहिए 18. पालेवउ (सक) पाल+एवउ पालन किया 38/19/4 जाना चाहिए , 19. पिंडेवउ (सक) पिंड+एवउ इकट्ठा किया 62/6/8 जाना चाहिए 20. फाडेवउ (सक) फाड+एवउ फाड़ा जाना 41/13/9 चाहिए 90] [पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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