Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 100
________________ अकर्मक व सकर्मक क्रियाओं से बने हुए विधि कृदन्त के वाक्य-प्रयोग 1. भाएरु वप्पु पुत्त घाएवउ। 4/12/3 - भाई, पिता, पुत्र मारा जाना चाहिए। 2. विदेहा-दइउ हरेवउ । 21/10/7 - विदेह का स्वामी हरा जाना चाहिए। 3. मइ अप्पणउ कज्जु साहेवउ। 22/10/2 - मेरे द्वारा अपना काम सिद्ध किया जाना चाहिए। तें कज्जें वण-वासे वसेवउ। 23/5/4 - उसी कारण से वनवास में रहा जाना चाहिए। 5. खण-सदु ण उच्चारेवउ। 35/5/6 - क्षण शब्द का उच्चारण नहीं किया जाना चाहिए। 6. जहिं ण अस्थि तहिं णत्थि भणेवउ। 35/7/2 - जहाँ अस्ति नहीं है, वहाँ नास्ति कहा जाना चाहिए। 7. जाएं जीवें मरिएवउं। 27/10/4 - उत्पन्न हुए जीव के द्वारा मरा जाना चाहिए। 8. मइं जिण-वउ पालेव्वउ। 38/19/4 - मेरे द्वारा जिनव्रत पाला जाना चाहिए। 9. पर-कलत्तु ण लएव्वउ । 38/19/4 - पर स्त्री को नहीं ग्रहण किया जाना चाहिए। 10. मइ वइरि मारेवउ । 44/12/7 - मेरे द्वारा शत्रु मारा जाना चाहिए। 11. मई लंकाउरि जाएव्वउ । 47/10/6 पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन] [93 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org


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