Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 108
________________ 44. घुल - चक्राकार घूमना 46. चिराव - देर करना 48. जगड : झगड़ा करना 50. जलजल - तेजी से जलना 52. जिव - जीना 54. जुज्झ - लड़ना 56. झुज्झ - नष्ट होना 58. ठव : रखना 60. डर : डरना 62. डोल्ल : काँपना/हिलना 43. घुम्म - घूमना 45. चड : चढ़ना 47. छिज्ज : नष्ट होना 49. जल - जलना 51. जिय - जीना 53. जीव - जीना 55. झडझड : झडझड़ करना 57. टल - डिगना 59. ठा : ठहरना 61. डुहुडुहु - डुहडुह की आवाज करना 63. णंद - प्रसन्न होना 65. णास : नष्ट होना/भागना 67. णिज्झर : झरना 69. णिवंड - गिरना 71. णीसर - निकलना 73. ण्हा : नहाना 75. तडतड - तड़तड़ की आवाज करना 77. तूस - संतुष्ट होना 79. थंभ : रुकना 81. थरथर - हिलना 83. था - स्थिर होना 85. धुधुव - धू धू करना पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन] 64. णच्च - नाचना 66. णिउड्ड : डूबना 68. णिलुक्क : छिपना 70. णिवस - रहना 72. णीसस - निःश्वास लेना 74. ण्हाण : नहाना 76. तुट्ट - टूटना 78. तोस : संतुष्ट होना 80. थक्क - बैठना 82. थरहर - हिलना 84. धगधग - जलना 86. पकन्द : आक्रन्दन करना [101 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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