Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 106
________________ 11. आलण-खम्भेण भामन्तें पुहइ भमाडिय तेण। 25/15/घ. - आलान स्तम्भ को घुमाते हुए उसके द्वारा धरती घुमायी गई। प्रेरणार्थक भूतकालिक कृदन्त के प्रयोग12. देवाविउ लहु आणन्द-भेरि।। 1/8/3 - शीघ्र ही आनन्द भेरि बजवा दी गई। 13. तेण खोणि खणन्तु भमाडिउ । 5/10/घ. - उसके द्वारा धरती खोदते हुए घुमा दिया गया। 14. मन्तिहिँ जाणाविउ पच्छण्ण-पउत्तिहिँ। 5/12/4 - मन्त्रियों के द्वारा प्रच्छन्न उक्तियों से बताया गया। 15. कोक्काविउ सयलु वि बन्धुजणु। 9/2/8 - सारे ही बन्धुजन बुलवाये गये। 16. मामएण लंकाहिउ बुज्झाविउ मएण। 13/11/8 - ससुर मय के द्वारा लंकेश्वर समझाया गया। 17. आयए लच्छिए वहु जुज्झाविय । 5/13/8 - इस लक्ष्मी के द्वारा बहुतों को लडवाया गया। 18. मण्डलु एक्केक्कउ पवरु सइं मुंजाविउ। 9/12/घ. - एक से एक प्रवर मंडलों का स्वयं उपभोग कराया गया। 19. जणय-कणय रणे उव्वेढाविय । 21/7/4 __ - युद्ध में जनक और कनक मुक्त करवाये गये। 20. तं णिसुणेवि महिहर-सुअए णच्चाविउ णिय-मणु। 29/7/घ. - उसको सुनकर महीधर की कन्या के द्वारा अपना मन नचाया गया। पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन] [99 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122