Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 109
________________ 87. पक्खल = स्खलित होना 89. पज्जल - जलना 91. पडिखल = लौटना 93. पणच्च नाचना 95. पयट्ट - कूच करना 97. परिवड्ढ = बढ़ना 99. पवड्ढ - बढ़ना 101. पवह = प्रवाहित होना 103. पसर = फैलना 105. पहस - हँसना 107. पुंज इकट्ठा होना こ 109. फुट्ट - फूटना 111. बइसर = बैठना 113. भव होना 115. भिड = भिड़ना 117. मल्ह - प्रसन्न होना 119. मर मरना 121. मिल=मिलना 123. रंज = प्रसन्न होना 125. रस - गरजना 127. रुणुरुण्टन्त 129. रुव = रोना 131. रोव = रोना 102] Jain Education International रुनरुन की ध्वनि करना S 88. पगुलगुल - गुलगुल की = आवाज करना 90. पड = गिरना 92. पडिखल = स्खलित होना 94. पप्फुल्ल = खिलना 96. परिअत्त = लौटना 98. पल्लट्ट = लौटना 100. पवस - प्रवास करना 102. पसम - शान्त होना 104. पहव होना 106. पायड = प्रकट होना 108. फल फलना 110. फुर चमकना 112. भम - भ्रमण करना 114. भिज्ज = भीगना 116. मइल = मैला होना 118. मल्ह = लीला करना S こ 120. मा समाना 122. मुच्छ = मूर्च्छित होना 124. रम = क्रीड़ा करना / खेलना 126. रुअ = रोना 128. रुण्ट - बजना / आवाज करना 130. रूस रूसना 132. रोस कुपित होना S For Personal & Private Use Only [ पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन www.jainelibrary.org

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