Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 104
________________ हस + आवि + एवि - हसावेवि हस + 0 + एवि - हासेवि हस + आवि + एविणु - हसावेविणु हस + 0 + एविणु - हासेविणु हस + आवि + एप्पि - हसावेप्पि हस + 0 + एप्पि - हासेप्पि हस + आवि + एप्पिणु - हसावेप्पिणु हस + 0 + एप्पिणु - हासेप्पिणु प्रेरणार्थक वर्तमान कृदन्त - हस + आवि + न्त - हसावंत हस + आवि + माण - हसाविमाण हस + 0 + न्त - हासन्त हस + 0 + माण- हासमाण प्रेरणार्थक भूतकालिक कृदन्त - हस + आवि + अ - हसाविअ हस + आवि + य - हसाविय हस + 0 + अ - हासिअ हस + 0 + अ - हासिय प्रेरणार्थक विधि कृदन्त - हस + आवि + अव्व - हसाविअव्व हस + 0 + अव्व - हासअव्व/हासव्व हस + आवि + इएव्वउं - हसाविएव्वउं हस + 0 + इएव्वउं - हासिएव्वउं हस + आवि + एव्वउं - हसावेव्वउं हस + 0 + एव्वउं - हासेव्वउं हस + आवि + एवा - हसावेवा हस + 0 + एवा - हासेवा पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन] [97 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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