Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 95
________________ 12. एम तेण स-रहि महारहु छिण्णउ । ___15/4/घ. - इस प्रकार उसके द्वारा सारथी सहित महारथ छिन्न-भिन्न किया गया। 13. ता कुल-भूसणेहिं चन्दणहि हरेवि णीय । 12/3/3 - तब कुलभूषण के द्वारा चन्द्रनखा हरण करके ले जाई गई। 14. अण्णहुँ देसु विहंजेवि दिण्णउ। 2/14/2 - दूसरों के लिए देश विभक्त करके दिया गया। . 15. तेण पणवेप्पिणु एम वुत्तु। 22/2/1 - उसके द्वारा प्रणाम करके इस प्रकार कहा गया। देव पइँ परम-फलु लद्भु। 13/8/घ. - हे देव! तुम्हारे द्वारा परम फल पाया गया। 17. केण हउं जिउ। 15/4/8 - किसके द्वारा मैं जीत लिया गया। सहसक्खें उठेवि चक्कु मुक्कु। 8/9/9 - सहस्राक्ष के द्वारा उठकर चक्र छोडा गया। 19. णं पुण्ण-पुंज आसण्णा । 3/3/10 - मानो पुण्य का समूह निकट पहुँच गया। देविउ सप्परिवारउ तेत्तहे ढुक्कउ । 1/14/3 - देवियाँ सपरिवार वहाँ पहुँच गईं। 21. णिवसिद्ध पोयण–णयरु पत्त। 4/3/4 - आधे निमिष में पोदनपुर नगर में पहुँच गये। 22. तिहुअण–णाह हत्थिणयरु पट्टणु संपत्तउ। 2/16/6 - त्रिभुवन नाथ हस्तिनापुर नगर पहुँच गये। 23. बब्बर–साह-वरुहिणी भग्गी। 21/8/1 - बर्बरों और शबरों की सेना भाग गयी। 88] [पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन 20. देवि Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122