Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 94
________________ सकर्मक क्रियाओं से बने हुए अनियमित भूतकालिक कृदन्त के वाक्य-प्रयोग 1. तेण चायार वि वारइँ रुद्धाइँ। 6/1/7 - उसके द्वारा चारों ही द्वार अवरुद्ध कर दिये गये। एम जक्खें सयलु वि पट्टणु विणिम्मउ । 28/5/8 __ - इस प्रकार यक्ष के द्वारा समूचा नगर बना दिया गया। 3. मइँ छक्कारय दस लयार ण सुय। 1/3/5 - मेरे द्वारा छ: कारक और दस लकार नहीं सुने गये। 4. णल–णील-सरेहिँ हत्थु पहत्थु हउ। 62/3/1 - नल और नील के शस्त्रों से हस्त और प्रहस्त मारे गये। 5. सिंहासण-संठिउ भडारउ वीर-जिणु दिठु। 1/8/घ. - सिंहासन पर विराजमान वीर जिन देखे गये। 6. महि-परमेसरेण सहोयरासु झलक्क पमुक्क। 4/10/4 - धरती के स्वामी द्वारा भाई पर धारा छोडी गई। 7. तोयदवाहणे लंकाउरिहि पइठु। 5/8/घ. - तोयदवाहन के द्वारा लंकानगरी में प्रवेश किया गया। 8. जक्खें लहु सक्केय–णयरि किय। 2/2/5 – यक्ष के द्वारा शीघ्र ही साकेत नगरी की रचना की गई। 9. गिद्ध मणुसु ण खदउ। _ 17/13/9 - गिद्ध के द्वारा मनुष्य नहीं खाया गया। 10. सुरिन्दें खीर-समुदें घित्तउ। 2/11/6 - सुरेन्द्र के द्वारा क्षीर-समुद्र में डाल दिया गया। 11. तेण तुहुँ चुक्कउ। 8/4/8 - उसके द्वारा तुम्हे छोड़ दिया गया। पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन] [87 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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