Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 96
________________ 7. विधि कृदन्त 'हँसा जाना चाहिए', 'खेला जाना चाहिए' आदि भावों को प्रकट करने के लिए विधि कृदन्त का प्रयोग किया जाता है। अकर्मक क्रिया से बने हुए विधि कृदन्त का प्रयोग भाववाच्य में किया जाता है। जैसे- उसके द्वारा 'हँसा जाना चाहिए' और सकर्मक क्रिया से बने हुए विधि कृदन्त का प्रयोग कर्मवाच्य में किया जाता है। जैसे- 'मेरे द्वारा पानी पिया जाना चाहिए'। कर्तृवाच्य में विधि कृदन्त का प्रयोग नहीं किया जाता। आगे अकर्मक तथा सकर्मक क्रियाओं से बने हुए विधि कृदन्त एवं उनके वाक्य-प्रयोगों को दर्शाया जा रहा है अकर्मक व सकर्मक क्रियाओं से बने हुए विधि कृदन्त क्रिया + कृदन्त - हिन्दी अर्थ सन्दर्भ प्रत्यय क्र. कृदन्तयुक्त— सं. क्रिया 1. आलिंगेवउ ( सक) आलिंग+एवउ 2. उच्चारेवउ ( सक) उच्चार+एवउ 3. उप्पाडेवउ (सक) उप्पाड+एवउ 4. करेव्वउ ( सक) कर+एव्वउ 5. घाएवउ (सक) घाअ+एवउ 6. चरेव्वउ ( सक) चर+एव्वउ 7. चिन्तेव्वउ (सक) चिन्त+एव्वउ पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त - संकलन ] Jain Education International आलिंगन किया 38/18/9 जाना चाहिए उच्चारण किया जाना चाहिए उखाड़ा जाना चाहिए किया जाना चाहिए मारा जाना चाहिए आचरण किया जाना चाहिए सोचा जाना चाहिए For Personal & Private Use Only 35/5/6 58/5/8 47/10/6 4/12/3 54/15/6 54/16/3 [89 www.jainelibrary.org

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