Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 50
________________ 59. धवलन्तउ धवल+न्त+ 1/1 धवल करते हुए 60. धावन्तउ धाव+न्त+ 1/1 दौड़ते हुए 61.धुणन्तु धुण+न्त+ 1/1 पीटता हुआ 62. पइसन्तेण पइस+न्त+ 3/1 प्रवेश करते हुए के द्वारा 63. पच्चन्ता पच्च+न्त+ 1/2 पकते हुए 64. पडिपूरन्ति पडिपूर+न्त+ 1/1 समाप्त करती 3/3/6 25/2/घ. 27/9/4 3/9/घ. 11/9/7 56/12/7 65. पढन्तेहिं 66. पणमन्तु 67. पणवन्तेहिं पढ+न्त+ 3/2 पढ़ते हुओं के 26/5/3 द्वारा पणम+न्त+ 1/1 प्रणाम करते हुए 40/5/7 पणव+न्त+ 3/2 प्रणाम करते 88/1/प्रा. हुओं के द्वारा पभण+न्त+ 1/1 बोलता हुआ 3/9/9 परिण+न्त+ 6/1 विवाह करते हुए 6/9/1 68. पभणन्तउ 69. परिणन्तहो 5/10/3 70. परिपालन्तहो परिपाल+न्त+ 6/1 परिपालन करते हुए के 71. परिप्फुरन्तु परिप्फुर+न्त+ 1/1 चमकता हुआ 72. परिममन्तु परिभम+न्त+ 1/1 घूमता हुआ 73. परिसेसन्तहो परिसेस+न्त+ 6/1 परिशेष करते हुए के 74. परिहरन्तु परिहर+न्त+ 1/1 छोड़ते हुए 75. पहरन्तउ पहर+न्त+ 1/1 प्रहार करते हुए 76. पालन्तहो पाल+न्त+ 6/1 पालन करते हुए 1/15/8 1/15/4 3/2/5 40/18/8 28/2/7 3/2/6 पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन] [43 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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