Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 48
________________ 20. गन्तएहिँ 21. गणन्तु 22. गवेसन्तेहिँ गा+न्त+ 3/2 गाते हुओं के 29/11/9 द्वारा गण+न्त+ 1/1 समझता हुआ 29/9/3 गवेस+न्त+ 3/2 खोजते हुओं के 19/17/9 द्वारा गाय+न्त+ 1/1 गाती हुई 14/10/8 गुण+न्त+ 1/1 विचार करता हुआ 72/6/2 गुप्प+न्त+ 1/1 छिपा हुआ 20/10/5 चर+न्त+ 6/1 आचरण करते हुए 3/2/8 23. गायन्ती 24. गुणन्तु 25. गुप्पन्तउ 26. चरन्तहो 19/5/घ. 27. चरन्तएहिं चर+न्त+ 3/2 चरते हुओं के द्वारा 28. चवन्त चव+न्त+ 1/2 बात करते हए 29. चिन्तन्तहो चिन्त+न्त+ 6/1 चिन्तन करते 11/14/8 3/2/7 हुए के 30. चिन्तवन्तु चिन्तव+न्त+ 1/1 चिन्तन करता 16/9/5 हुआ 31. चूरन्त 32. चोरन्तु 33. छिंदन्तु 34. छुहन्तु 35. जणन्तु 36. जन्तें 37. जम्पन्तई 38. जाणन्तहो चूर+न्त+ 1/2 चूरते हुए 3/7/2 चोर+न्त+ 1/1 चोरी करता हुआ 34/5/3 छिंद+न्त+ 1/1 छेदता हुआ 52/1/8 छुह+न्त+ 1/1 छूता हुआ 9/3/घ. जण+न्त+ 1/1 उत्पन्न करते हुए 74/1/घ. जा+न्त+ 3/1 जाते हुए के द्वारा 5/1/8 जम्प+न्त+ 1/2 बोलते हुए 23/11/3 जाण+न्त+ 6/1 जानते हुए के 3/3/7 पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन ] [41 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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