Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 46
________________ 82. वज्जन्तई वज्ज+न्त+ 2/2 बजते हुओं को 25/4/5 83. वड्ढन्तु वड्ढ+न्त+ 1/1 बढ़ता हुआ 39/8/9 84. वद्धमाणु वद्ध+माण+ 1/1 बढ़ता हुआ 37/15/3 85. वलन्तहो वल+न्त+6/1 जलती हुई की 2/11/घ. 86. वलन्ति वल+न्त+ 1/1 मुड़ती हुई 23/4/4 87. वसन्ताइँ वस+न्त+ 2/2 रहती हुई को 57/2/घ. 88. वहन्ती वह+न्त+ 2/1 बहती हुई को 1/2/6 89. विप्फुरन्तु विप्फुर+न्त+ 1/1 चमकता हुआ 7/13/8 90. विलवन्ति विलव+न्त+ 1/1 विलाप करती हुई 45/7/5 91. विहसन्ती विहस+न्त+ 1/1 हँसती हुई 14/10/6 92. वुड्डन्ताई वुड्ड+न्त+ 1/2 डूबते हुए 14/13/6 93. वेवन्ति वेव+न्त+ 1/1 काँपती हुई 19/2/1 94. संचल्लन्तें संचल्ल+न्त+3/1 चलते हुए के द्वारा 23/6/1 95. सण्णज्झमाणु सण्णज्झ+माण+ 2/1 तैयार होता हुआ 74/10/2 96. समुत्थरन्तु समुत्थर+न्त+ 1/1 उछलता हुआ 17/4/8 97. समुव्वहन्ति समुव्वह+न्त+ 1/1 बहती हुई 31/3/2 98. सोहन्ती सोह+न्त+ 1/1 शोभती हुई 1/2/6 99. सुवन्तु सुव+न्त+ 2/1 सोते हुए को 7/9/6 100. हसन्तई हस+न्त+ 1/2 हँसते हुए 23/11/8 101. हसहसहसन्त हसहस+न्त+1/1 हस-हस करते हुए 42/5/2 102. हिंसन्तव हिंस+न्त+ 1/1 हींसती हुई 56/5/घ. 103. हिलहिलन्त हिलहिल+न्त+ 1/1हिनहिनाते हुए 12/8/5 104. हुन्तएण हु+न्त+ 3/1 होते हुए से 20/1/घ. 105. होन्तेण हो+न्त+ 3/1 होते हुए से 49/3/1 106. हुहुहुहुहन्त हुहुहुहुह+न्त+1/1 हु-हु करते हुए 42/5/3 पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन ] [39 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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