Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
View full book text
________________
39. जिणन्तु
40. जेमन्तहो
41. जो क्खन्तु
42. झायन्तु
43. डसन्तइं
44. डहन्तहो
45. ढुक्कमाण
46. णमन्त
47. णवन्तु
48. णासन्तहो
49. णिद्दलन्तु
50. तरन्तहुँ
51. तोडन्तइं
52. दरमलन्तु
53. दरिसन्तें
54. दलन्तु 55. दहन्तिउ
56. देन्त
57. धन्ति
58. धरन्ति
42]
Jain Education International
जिण+न्त+ 1/1
जेम+न्त+ 6/1
जोक्ख+न्त+ 1/1
दिखाता हुआ
झाय+न्त+ 1/1
ध्यान करते हुए
डस+न्त+ 1/2
काटते हुए
डह+न्त+ 6/1
जलाते हुए के
ढुक्क+माण + 1/2 पहुँचती हुई
णम+न्त+ 1/2
णव+न्त+ 2/1
णास+न्त+ 6/1
णिद्दल+न्त+ 1/1
तर+न्त+ 4/2
जीतते हुए
12/11/8
भोजन करते हुए 48/10/6
के
10/5/1
19/14/7
23/11/5
3/2/3
10/11/5
नमन करती हुई
1/8/12
प्रणाम करते हुए 7/9/6 को
दल+न्त+ 1/1
दह+न्त+ 1/1
दा+न्त+ 1/2
धा+न्त+ 1/1
धर+न्त+ 1/1
नाश करते हुए के 3/2/10
रौंदता हुआ
27/9/4
14/5/घ.
तैरते हुओं के लिए
तोड+न्त+1/2
तोड़ते हुए
दरमल+न्त+ 1/1 दलित करता
हुआ
दरिस+न्त+ 3/1 दिखाते हुए के 28/2/घ.
द्वारा
रौंदता हुआ
जलाती हुई
देते हुए
24/13/3
25/15/4
25/15/1
17/2/3
10/3/5
दौड़ती हुई
18/11/5
धारण करती हुई 72/12/4
[ पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org