Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 63
________________ __ + 55. पवड्ढिउ 56. पसमिओ 57. पसरिय 58. पहसिओ 59. पायडियउ 60. पुंजिउ 61. फलिउ 62. फलियउ 63. फुरिउ 64. भिडिय 65. मइलियउ 66. माइयउ 67. मिलियइँ 68. मुच्छिय 69. रंजिओ 70. रमिउ 71. रसिउ 72. रूसिउ 73. रोसिउ 74. लज्जियउ 75. ल्हसिउ 76. वड्ढिय 77. वलिय 78. वलियर पवड्ढ + अ पसम + अ पसर + य पहस + अ पायड + य पुंज + अ फल + अ फल + य फुर + अ भिड + य मइल + य माऊ + य मिल + य मुच्छ + य रंज + अ रम + अ __ रस + अ रूस + उ रोस + अ लज्ज + य ल्हस + अ वड्ढ + य वल + य बढ़ गया 9/13/घ. शान्त हो गया 46/7/4 फैली हुई 4/11/घ. हँस पड़ा 51/5/7 प्रकट हुआ 77/13/10 इकट्ठा हुआ 77/1/11 फल रही थी '71/3/5 फलित हुआ 84/22/8 चमक गया 14/6/3 भिड़ गये . 4/11/3 मैला हुआ 66/2/5 समाया 44/7/घ. मिल गये 52/8/8 मूर्छित हुई 23/4/1 प्रसन्न हो गया 45/3/1 क्रीड़ा की गई 38/11/1 गरज उठा 27/6/5 रुष्ट हुआ 57/7/1 कुपित हुआ 10/8/7 लज्जित हुआ 6/3/8 खिसक गया 17/4/6 बढ़ी 4/7/10 लौट गये 23/14/घ. मुड़ा 8/3/5 [ पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन 10/ वल + य 56] Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122