Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 42
________________ 4. वर्तमान कृदन्त "हँसता हुआ', 'नाचता हुआ', 'सोता हुआ आदि भावों को प्रकट करने के लिए वर्तमान कृदन्त का प्रयोग किया जाता है। जैसे – वह 'हँसता हआ उठता है। ये कृदन्त विशेषण का कार्य करते हैं। इनके रूप विशेष्य की भांति तीनों लिंगों व दोनों वचनों में परिवर्तित होते हैं। अर्थात विशेष्य पुल्लिंग, नपुंसकलिंग, स्त्रीलिंग तथा एकवचन, बहुवचन में है उसी के अनुसार वर्तमान कृदन्त के रूपों में परिवर्तन होता है। आगे के पृष्ठों में दिखाये गये वाक्य – प्रयोगों से यह बात अच्छी तरह स्पष्ट हो जाएगी। चूंकि वर्तमान कृदन्त विशेषण की भांति कार्य करते हैं इसीलिए इनके रूप पुल्लिंग व नपुंसकलिंग में तो अकारान्त शब्दों की ही भांति प्रयुक्त हो जाते हैं किन्तु स्त्रीलिंग बनाने के लिए कृदन्त में 'आ, ई' प्रत्यय जोड़ दिये जाते हैं तब कृदन्तवाचक शब्द स्त्रीलिंग बन जाता है और उसके रूप आकारान्त, ईकारान्त शब्दों की भांति प्रयुक्त हो जाते हैं। जैसे - हसन्त, हसन्ती, हसमाणा, हसमाणी (हँसती हुई)। आगे अकर्मक क्रियाओं तथा सकर्मक क्रियाओं से बने हुए वर्तमान कृदन्त एवं उनके वाक्य-प्रयोगों को दर्शाया जा रहा है (क) अकर्मक क्रियाओं से बने हुए वर्तमान कृदन्त क्र. कृदन्तयुक्त- क्रिया+कृदन्त- हिन्दी अर्थ सन्दर्भ सं. क्रिया प्रत्यय 1. अच्छन्तें अच्छ+न्त + 3/1 रहते हुए होने से 18/10/घ. 2. अच्छन्तु अच्छ+न्त+ 1/1 होते हुए 26/2/4 3. आवट्टन्तउ. आवट्ट+न्त+ 2/1 विलीन होती हुई 17/3/4 को 4. उग्गन्तउ उग्ग+न्त+1/1 उगता हुआ 23/12/7 5. उट्ठन्तएण उट्ठ+न्त+3/1 उठते हुए के द्वारा 16/13/4 6. उड्डन्तु उड्ड+न्त+1/1 उड़ता हुआ 39/7/8 7. उत्थल्लन्तइं उत्थल्ल+न्त+ 2/2 उछलते हुओं को 17/3/5 पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन] [35 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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