Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 37
________________ 9. गेण्हेवि गेण्ह + एवि पकड़ने के लिए 25/16/8 10. छुहेवि छुह + एवि डालने के लिए 18/2/7 11. डसेवि डस + एवि काटने के लिए 26/19/3 12. डहेवि डह + एवि जलाने के लिए 83/9/8 13. णिद्दलेवि णिद्दल + एवि नष्ट करने के लिए 18/2/6 14. तासेवि तास + एवि सन्त्रस्त करने के 15/8/घ. लिए 15. दरमलेवि दरमल + एवि चूर चूर करने के 18/2/6 लिए 16. दलेवि दल + एवि चूर चूर करने के 35/13/2 लिए 17. देवि दा + एवि देने के लिए 12/5/5 18. धरेवि धर + एवि धारण करने के 12/9/2 लिए 19. पडिबोहणहिं पडिबोह + अणहिं प्रतिबोधित करने 89/8/3 के लिए 20. पणासेवि पणास + एवि नष्ट करने के 15/8/घ. लिए 21. परिणणहं परिण + अणहं विवाह करने के 5/15/9 लिए पिएवि पिअ + एवि पीने के लिए 18/2/8 23. पेक्खेप्पिणु पेक्ख + एप्पिणु देखने के लिए 37/3/घ. 24. फेडेवि फेड + एवि मिटाने के लिए 81/5/10 25. बन्धण बन्ध + अण बाँधने के लिए 15/2/8 26. भमेवि भम + एवि भ्रमण करने के 85/6/3 लिए 30] [पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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