Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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118. दले वि दल + एवि दलित करके 48/1/7 119. दरिसेप्पिणु दरिस + एप्पिणु देखकर 26/19/6 120. दहेवि दह + एवि जलाकर 77/12/2 121. दारेवि दार + एवि फाड़कर 41/12/घ. 122. दुहेवि दुह + एवि दुहकर 72/12/8 123. देप्पिणु दा + एप्पिणु दिखलाकर 2/2/7 124. देवि दा+ एवि देकर
'2/11/2 125. धरेवि धर + एवि पकड़कर 6/7/1 126. धाइउ धा + इउ दौड़कर 64/12/1 127. धीरेप्पिणु धीर + एप्पिणु धीरज देकर 13/2/घ. 128. धुणेवि धुण + एवि आहत करके 11/8/6 129. पईसवि पईस + अवि प्रवेश करके 14/11/घ. 130. पउंजेवि पउंज + एवि जानकर 2/14/6 131. पंगुरेवि पंगुर + एवि आच्छादन करके 76/5/घ. 132. पच्चारेवि पच्चार + एवि ललकार कर 51/7/6 133. पच्छाएवि पच्छाअ + एवि ढककर 48/8/6 134. पजम्पेवि पजम्प + एवि कहकर 87/6/7 135. पडिच्छेवि पडिच्छ + एवि स्वीकार करके 42/2/7 136. पढुक्केवि पढुक्क + एवि पहुंचकर 84/9/2 137. पणवेप्पिणु पणव + एप्पिणु प्रणाम करके 1/1/1 138. पणासेवि पणास + एवि भागकर 5/4/1 139. पभणेप्पिणु पभण + एप्पिणु कहकर 85/6/7 140. पयंचेवि पयंच + एवि पूजा करके 34/12/10 141. परअंचेवि परिअंच + एवि घुमाकर 7/14/6 20]
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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