Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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238. समप्पे वि
239. समारुहेवि
240. समारे वि
241. समुत्तरेवि
242. समोड्डवि
243. सरेवि
244. सहेवि
समप्प + एवि
समारुह + एवि
समार + एवि
समुत्तर + एवि
समोड्ड + अवि
सर + एवि
सह + एवि
245. साहारेवि
साहार + एवि
246. साहेप्पिणु साह + एप्पि
247. सुणेवि
सुण + एवि
248. सुमरेवि
249. हक्कारेवि
250. हणेवि
251. हरेवि
252. हिण्डेवि
सुमर + एवि
हक्कार + एवि
हण + एवि
हर + एवि
हिण्ड + एवि
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त - संकलन ]
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सौंपकर
आरूढ़ होकर
कराकर
तैरकर
स्थापित करके
याद करके
सहन करके
ढाढस बंधाकर
साधकर
सुनकर
स्मरण करके
बुलाकर
गति करके
अपहरण करके
घूमकर
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