Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 16
________________ स्वयंभूरचित 'पउमचरिउ' में से लिये गये हैं। "पउमचरिउ' लोकभाषा अपभ्रंश में रचित रामकथात्मक महाकाव्य है। चूंकि पउमचरिउ एक काव्यात्मक/ पद्यात्मक ग्रन्थ है, इसलिए संकलित वाक्यों को कुछ शब्दों के परिवर्तन के साथ प्रस्तुत किया गया है। जैसाकि पूर्व में लिखा जा चुका है कि सभी प्रकार के कृदन्त अकर्मक/सकर्मक क्रियाओं में प्रत्यय जोड़कर बनाये जाते हैं, इसीलिए पउमचरिउ के विभिन्न प्रकार के कृदन्तों में प्रयुक्त अकर्मक व सकर्मक क्रियाओं की सूची परिशिष्ट में दी गई है। साहित्य को भली-भाँति समझने, पढ़ने के लिए कृदन्तों का ज्ञान अपेक्षित है। प्रस्तुत संकलन इस अपेक्षा की पूर्ति हेतु एक लघु प्रयास है। आशा है पाठक लाभान्वित होंगे। पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन] [9 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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