Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 18
________________ 10. ओरुम्मेवि ओरुम्म + एवि 11. कलहेवि कलह + एवि 12. गज्जेवि गज्ज + एवि 13. गलगज्जेवि गलगज्ज + एवि 14. गलेवि गल + एवि 15. गुलगुलेवि गुलगुल + एवि गरजकर ut l 20. 16. घुलेप्पिणु घुल + एप्पिणु 17. झुज्झेवि झुज्झ + एवि 18. णासेवि णास + एवि 19. णिउड्डे वि णिउड्ड + एवि णिवसेप्पिणु णिवस + एप्पिणु 21. णिवडे प्पिणु णिवड + एप्पिणु 22. णिलुक्केवि णिलुक्क + एवि 23. णीसरेवि णीसर +एवि 24. तुट्टेवि तुट्ट + एवि 25. तूसेवि तूस + एवि थक्केवि थक्क + एवि 27. थाएविं था + एवि 28. पडिखलवि पडिखल + अवि 29. परिअत्तेवि परिअत्त + एवि 30. फिरेवि फिर + एवि 31. फुट्टवि फुट्ट + अवि रुककर 9/9/घ. युद्ध करके 55/12/3 गरजकर 10/10/घ. 20/3/6 गलकर 14/7/7 गुलगुल की 10/10/घ. आवाज करके घूमकर 38/17/7 लड़कर 84/5/2 नष्ट होकर 2/12/5 डूबकर 14/5/1 निवास करके 26/4/10 गिरकर 2/13/8 छिपकर 84/17/7 निकलकर 6/3/3 टूटकर 13/5/7 संतुष्ट होकर 32/8/4 बैठकर 77/15/2 स्थिर होकर 2/11/3 लौटकर 74/14/प्रा. लौटकर 18/11/8 घूमकर 33/9/1 फूटकर 8/5/घ. illa पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन ] [11 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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