Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
View full book text
________________
4. भूतकालिक कृदन्त
अपभ्रंश भाषा में भूतकाल का भाव प्रकट करने के लिए भूतकालिक कृदन्त का ही प्रयोग किया जाता है। क्रिया में भूतकालिक कृदन्त के प्रत्यय जोड़कर भूतकालिक कृदन्त बना लिये जाते हैं। ये कृदन्त भी वर्तमान कृदन्त की ही भाँति विशेषण का कार्य करते हैं । अर्थात विशेष्य पुल्लिंग / नपुंसकलिंग / स्त्रीलिंग तथा एकवचन / बहुवचन में है उसी के अनुसार भूतकालिक कृदन्त प्रयुक्त होता है ।
अपभ्रंश भाषा में क्रिया में निम्नलिखित प्रत्यय जोड़कर भूतकालिक कृदन्त बनाये जाते हैं
भूतकालिक कृदन्त क्रिया + प्रत्यय
के प्रत्यय
हस + अ / य हसिअ / हसिय' हँसा
अ / य 1. अ/य प्रत्यय लगने पर अन्त्य 'अ' का 'इ' हो जाता है ।
भूतकालिक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग अकर्मक व सकर्मक दोनों प्रकार की क्रियाओं में किया जाता है। जब अकर्मक क्रियाओं में इन प्रत्ययों को जोड़ा जाता है तो इनका प्रयोग कर्तृवाच्य व भाववाच्य में किया जाता है । और सकर्मक क्रियाओं में जब इन प्रत्ययों को जोड़ा जाता है तब इनका प्रयोग केवल कर्मवाच्य में किया जाता है ।
1
कृदन्तवाचक शब्द हिन्दी अर्थ
जब भूतकालिक कृदन्त का प्रयोग कर्तृवाच्य में किया जाता है तब इसके रूप कर्ता के अनुसार चलेंगे। जैसे
S
सो हसिओ वह हँसा (अकारान्त पुल्लिंग की तरह प्रयुक्त) साहसिआ = वह हँसी (आकारान्त स्त्रीलिंग की तरह प्रयुक्त)
जब भूतकालिक कृदन्त के प्रत्यय का प्रयोग भाववाच्य में किया जाता है तब कर्ता में तृतीया (एकवचन अथवा बहुवचन) तथा कृदन्त में सदैव 'नपुंसकलिंग प्रथमा एकवचन' ही रहेगा। जैसे
पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त - संकलन ]
नरिंदेण हसिउ = राजा के द्वारा हँसा गया नरिंदेहिं हसिउ = राजाओं के द्वारा हँसा गया
Jain Education International
-
For Personal & Private Use Only
[5
www.jainelibrary.org