Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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एप्पि हस + एप्पि हसेप्पि हँसने के लिए एप्पिणु
हस + एप्पिणु हसेप्पिणु हँसने के लिए एवि हस + एवि हसेवि हँसने के लिए एविणु हस + एविणु हसेविणु हँसने के लिए
3. वर्तमान कृदन्त 'हँसता हुआ', 'नाचता हुआ', 'सोता हुआ' आदि भावों को प्रकट करने के लिए वर्तमान कृदन्त का प्रयोग किया जाता है। जैसे - वह 'हँसता हुआ' उठता है। ये कृदन्त विशेषण का कार्य करते हैं। इनके रूप विशेष्य की भांति तीनों लिंगों व दोनों वचनों में परिवर्तित होते हैं। अर्थात विशेष्य पुल्लिंग/नपुंसकलिंग/स्त्रीलिंग तथा एकवचन/बहुवचन में है उसी के अनुसार वर्तमान कृदन्त के रूपों में परिवर्तन होता है। आगे के पृष्ठों में दिखाये गये वाक्य – प्रयोगों से यह बात अच्छी तरह स्पष्ट हो जाएगी।
अपभ्रंश भाषा में क्रिया में निम्नलिखित प्रत्यय जोड़कर वर्तमान कृदन्त बनाये जाते हैं - वर्तमान कृदन्त क्रिया + प्रत्यय कृदन्तवाचक शब्द हिन्दी अर्थ के प्रत्यय न्त हस + न्त
हँसता हुआ माण
हस + माण हसमाण हँसता हुआ चूंकि वर्तमान कृदन्त विशेषण की भांति कार्य करते हैं इसीलिए इनके रूप पुल्लिंग व नपुंसकलिंग में तो अकारान्त शब्दों की ही भाँति प्रयुक्त हो जाते हैं किन्तु स्त्रीलिंग बनाने के लिए कृदन्त में 'आ/ई' प्रत्यय जोड़ दिये जाते हैं तब कृदन्तवाचक शब्द स्त्रीलिंग बन जाता है और उसके रूप आकारान्त, ईकारान्त शब्दों की भांति प्रयुक्त हो जाते हैं। जैसेहसन्ता, हसन्ती, हसमाणा, हसमाणी (हँसती हुई)।
हसन्त
[पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन
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