Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 06
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
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पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् पर एकारादेश होता है। खट्वा' शब्द में 'अजाद्यतष्टाप् (४।१।४) से स्त्रीलिङ्ग में 'टाप्' प्रत्यय है। ऐसे ही 'माला' शब्द से-मालया। बहुराजा' शब्द से-बहुराजया। यहां 'बहुराजन्' शब्द से 'डाबुभाभ्यामन्यतरस्याम्' (४।१।१३) से स्त्रीलिङ्ग में 'डाप्' प्रत्यय है। कारीषगन्ध्या' शब्द से-कारीषगन्ध्यया। यहां 'यङश्चाप्' (४।१।७४) से 'कारीषगन्ध्य' शब्द से स्त्रीलिङ्ग में चाप्' प्रत्यय है। ओस् प्रत्यय में-खट्वयोः, मालयोः, बहुराजयोः, कारीषगन्ध्ययोः । एत्-आदेशः
(६) सम्बुद्धौ च।१०६ । प०वि०-सम्बुद्धौ ७१ च अव्ययपदम् । अनु०-अङ्गस्य, एत्, आप इति चानुवर्तते। अन्वय:-आपोऽङ्गस्य सम्बुद्धौ च एत्। अर्थ:-आबन्तस्याऽङ्गस्य सम्बुद्धौ परतश्च एकारादेशो भवति । उदा०-हे खट्वे । हे बहुराजे। हे कारीषगन्ध्ये।
आर्यभाषा: अर्थ-(आप:) आप् प्रत्यय जिसके अन्त में है उस (अङ्गस्य) अङ्ग को (सम्बुद्धौ) सम्बुद्धि-संज्ञक {प्रथमा-एकवचन} प्रत्यय परे होने पर (च) भी (एत्) एकारादेश होता है।
उदा०-हे खट्वे । हे खाट । हे बहुराजे । हे बहुराजा नारी। हे कारीषगन्ध्ये । हे कारीषगन्ध्या नारी।
सिद्धि-खट्वे । यहां खट्वा शब्द से सम्बृद्धि अर्थ में 'स्वौजसः' (४।१।२) से 'सु' प्रत्यय है। इस सूत्र से खट्वा' शब्द के आकार को सम्बुद्धिवाची 'सु' प्रत्यय परे होने पर एकारादेश होता है। तत्पश्चात् 'एङ्हस्वात् सम्बुद्धेः' (६।१६८) से सम्बुद्धिवाची सु' प्रत्यय का लोप हो जाता है। 'एकवचनं सम्बुद्धि:' (२।३।४९) से 'सु' प्रत्यय की सम्बुद्धि संज्ञा है। ऐसे ही 'बहुराजा' शब्द से-हे बहुराजे। कारीषगन्ध्या' शब्द से-हे कारीषगन्ध्ये। हस्वादेश:
(७) अम्बार्थनद्योर्हस्वः ।१०७। प०वि०-अम्बार्थ-नद्यो: ६।२ ह्रस्व: १।१।
स०-अम्बाऽर्थो यस्य स:-अम्बार्थः। अम्बार्थश्च नदी च ते अम्बार्थनद्यौ, तयो:-अम्बार्थनद्यो: (इतरेतरयोगद्वन्द्वः)।
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