Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 06
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
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अष्टमाध्यायस्य चतुर्थः पादः
७१७
अन्वयः-संहितायाम् उपसर्गस्य रषाभ्यां ने नो गद० देग्धिषु च णः । अर्थ:-संहितायां विषये उपसर्गस्य रेफषकाराभ्यां परस्य नेर्नकारस्य स्थाने गदनदपतपदघुमास्यतिहन्तियातिवातिद्रातिप्सातिवपतिवहतिशाम्यतिचिनोतिदेग्धिषु परतश्च णकारादेशो भवति । उदाहरणम्
उपसर्ग: निः परत: शब्दरूपम्
नि गद
प्रणिगदत
गद
परिणिगदति
नद
प्रणिनदति
नद
परिणिनदति
पत
प्रणिपतति
पत
पद
पद
दा
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१.
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४. परि
५.
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१३. प्र १४. परि
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१९. प्र २०. परि
२१. प्र २२. परि
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स्यति
प्रणिष्यति
स्यति
परिणिष्यति
हन्ति प्रणिहन्ति हन्ति परिणिहन्ति
| याति प्रणियाति
परिणियाति
प्रणिमयते
परिणिमयते
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भाषार्थ:
बोलता है 1
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बजता है ।
12
गिरता है।
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प्राप्त होता है ।
19
देता है।
22
समर्पण करता है।
12
मांपता है ।
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प्रदान करता है ।
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अन्त करता है ।
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मारता है ।
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जाता है ।
11
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