Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 06
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar

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Page 723
________________ ७०६ णकारादेश: पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् (६) विभाषौषधिवनस्पतिभ्यः । ६ । प०वि० - विभाषा १ । १ ओषधि - वनस्पतिभ्य: ५ । ३ । सo - ओषधयश्च वनस्पतयश्च ते ओषधिवनस्पतयः, तेभ्यः - ओषधिवनस्पतिभ्यः (इतरेतरयोगद्वन्द्वः) । `अनु०--संहितायाम्, रषाभ्याम् नः, णः, पूर्वपदात्, वनमिति चानुवर्तते । अन्वयः - संहितायाम् ओषधिवनस्पतीनां रषाभ्यां नो विभाषा णः । अर्थ:-संहितायां विषये ओषधिवाचिनां वनस्पवाचिनां च पूर्वपदानां रेफषकाराभ्यां परस्य नकारस्य स्थाने विकल्पेन णकारादेशो भवति । उदा०-(ओषधि:) दूर्वावणम्, दूर्वावनम् । मूर्वावणम्, मूर्वावनम् । (वनस्पतिः ) शिरीषवणम्, शिरीषवनम् । बदरीवणम्, बदरीवनम् । आर्यभाषाः अर्थ- ( संहितायाम् ) सन्धि - विषय में (ओषधिवनस्पतीनाम् ) ओषधिवाची और वनस्पतिवाची ( पूर्वपदानाम् ) पूर्वपदों के (रषाभ्याम्) रेफ आर षकार से परवर्ती (नः) नकार के स्थान में (विभाषा) विकल्प से (णः) णकार आदेश होता है। उदा०- - (ओषधि) दुर्वावणम्, दूर्वावनम् । दूब नामक घास का जङ्गल । मूर्वावणम्, मूर्वावनम् । मरोड़फली नामक लताओं का वन । (वनस्पति) शिरीषवणम्, शिरीषवनम् । सिरस नामक वनस्पतियों का वन । बदरीवणम्, बदरीवनम् । बड़बेरी नामक वनस्पतियों का वन । सिद्धि-दूर्वावणम् । यहां दूर्वा और वन शब्दों का षष्ठीतत्पुरुष समास है। इस सूत्र से ओषधिवाची दूर्वा पूर्वपद के रेफ से परवर्ती तथा अट्-व्यवायी (व्-आ-व्) 'वन' के नकार को णकार आदेश होता है। विकल्प- पक्ष में णकार आदेश नहीं है- पूर्वावनम् । मूर्वा- पूर्वपद में - मूर्वावणम् । मूर्वावनम् । शिरीष- पूर्वपद में - शिरीषवणम् । यहां वनस्पतिवाची शिरीष पूर्वपद के षकार से परवर्ती तथा अट्-व्यवायी (ऊ-व्) 'वन' के नकार को णकार आदेश है। विकल्प - पक्ष में- शिरीषवनम् । बदरी-पूर्वपद में बदरीवणम्, बदरीवनम् । विशेषः फली वनस्पतिर्ज्ञेयो वृक्षा: पुष्पफलोपगाः । ओषध्यः फलपाकान्ता लतागुल्माश्च वीरुधः ।। अर्थ:- फलवाला पेड़ वनस्पति, पुष्प और फलवाले पेड़ वृक्ष कहलाते हैं। फल के पकने के पश्चात् नष्ट हो जानेवाली ओषधि कहलाती है। लता और झाड़ियों को वीरुध् कहते हैं । वनस्पति और वृक्ष में उपरिलिखित भेद है किन्तु यहां वनस्पति और अभेदभाव से ग्रहण किया जाता है। वृक्ष Jain Education International For Private & Personal Use Only दोनों का www.jainelibrary.org

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