Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 06
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
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अष्टमाध्यायस्य चतुर्थः पादः । अनु०-संहितायाम्, रषाभ्याम्, न:, णः, पूर्वपदात्, प्रातिपदिकान्तनुम्विभक्तिषु, उत्तरपदे इति चानुवर्तते।
अन्वय:-संहितायां पूर्वपदस्य रषाभ्यां कुमत्युत्तरपदे च प्रातिपदिकान्तनुम्विभक्तिषु नो णः ।
अर्थ:-संहितायां विषये पूर्वपदस्य रेफषकाराभ्यां परस्य, कुमति= कवर्गवत्युत्तरपदे च प्रातिपदिकान्तनुम्विभक्तिषु वर्तमानस्य नकारस्य स्थाने णकारादेशो भवति ।
उदा०-(प्रातिपदिकान्त:) वस्त्रयुगिणी, वस्त्रयुगिणः । स्वर्गकामिणौ, वृषगामिणौ। (नुम्) वस्त्रयुगाणि, खरयुगाणि (विभक्ति:) वस्त्रयुगेण, उष्ट्रयुगेण।
आर्यभाषा: अर्थ-(संहितायाम्) सन्धि-विषय में (पूर्वपदस्य) पूर्वपद के (रषाभ्याम्) रेफ और षकार से परवर्ती, (कुमति) कवर्गवान् उत्तरपदवाले समास में (प्रातिपदिकान्तनुम्विभक्तिषु) प्रातिपदिक के अन्त, नुम् और विभक्ति में विद्यमान (न:) नकार के स्थान में (ण:) णकार आदेश होता है।
उदा०-(प्रातिपदिकान्त) वस्त्रयुगिणौ। वस्त्र के जोड़ेवाले (धोती-कुर्ता) दो पुरुष। वस्त्रयुगिणः । वस्त्र के जोड़ेवाले सब पुरुष। (नुम्) वस्त्रयुगाणि। वस्त्रों के जोड़े। खरयुगाणि । गधों के जोड़े। (विभक्ति) वस्त्रयुगेण । वस्त्र के जोड़े से। उष्ट्रयुगेण । ऊंटों के जोड़े से।
सिद्धि-(१) वस्त्रयुगिणौ। यहां प्रथम वस्त्र और युग शब्दों का षष्ठीतत्पुरुष समास है। तत्पश्चात् 'वस्त्रयुग' शब्द से 'अत इनिठनौ' (५।२।११५) से मतुप अर्थ में 'इनि' प्रत्यय है। वस्त्रयुगिन्+औ, इस स्थिति में वस्त्र' पूर्वपद रेफ से परवर्ती तथा अट्
और कवर्ग-व्यवायी (अ-य्-उ-ग-इ) तथा कवर्गवान् उत्तरपद, प्रातिपदिकान्त 'युगिन्' के नकार को इस सूत्र से णकार आदेश होता है। जस्-प्रत्यय में-वस्त्रयुगिणः।
(२) वस्त्रयुगाणि। यहां वस्त्रयुग' शब्द से पूर्ववत् जस् प्रत्यय, जस् को शि आदेश, नुम् आगम और दीर्घ है। इस सूत्र से वस्त्र पूर्वपद के रेफ से परवर्ती, कवर्गवान् उत्तरपद 'युग' के नुम्' को णकार आदेश होता है। खर-पूर्वपद में-खरयुगाणि ।
(३) वस्त्रयुगेण । यहां वस्त्रयुग' शब्द से पूर्ववत् 'टा' प्रत्यय और इसके स्थान में 'इन' आदेश है। इस सूत्र से 'वस्त्र' पूर्वपद के रेफ से परवर्ती, कवर्गवान् उत्तरपद 'युग' की इन' विभक्ति के नकार को णकार आदेश होता है। उष्ट्र-पूर्वपद में-उष्ट्रयुगेण ।
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