Book Title: Panchashak Mulam
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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कर्मप्रकृती
रिशा
15555
.. संक्रमकरणं दुगूणओ तत्तो ॥ १३६ ॥ जोगतियाण अंतोमुहुत्तिो सेसियाण पल्लस्स । भागो असंखियतमो जट्ठिइगो आलिगाइ सह ॥१३७॥ मूलठिई अजहन्नो सत्तण्ह तिहा चउब्बिहो मोहे । सेस विगप्पा तेसिं दुविगप्पा संकमे होति ॥ १३८ ॥ धुवसंतकम्मिगाणं तिहा| चउद्धा चरित्तमोहाणं । अजहन्नो सेसेसु य दुहेतरासिं च सव्वत्थ ॥ १३९ ।। बन्धाओ उक्कोसो जासिं गंतूण आलिंग परओ।।४॥ उकोससामिओ संकमेण जासिं दुगं तासि ।। १४० ॥ तस्संतकम्मिगो बंधिऊण उक्कोसगं मुहुर्ततो । सम्मत्तमीसगाणं आवलिया है सुद्धदिट्ठी उ ।। १४१ ।। दंसणचउकविग्यावरणं समयाहिगालिगा छउमो । निदाणावलिगद्गे आवलियअसंखतमसेसे ।। १४२ ॥ समयाहिगालिगाए सेसाए वेअगस्स कयकरणो । सक्खवगचरमखंडगसंछुभणादिडिमोहाणं ॥ १४३ ॥ समउत्तरालिगाए लोभे सेसाइ सुहुमरागस्स । पढमकसायाण विसंजोयणसंछोभणाए उ ॥ १४४ ॥ चरिमसजोगे जा अस्थि तासि सो चेव सेसगाणं तु । खवगकमेण अनियट्टिबायरो वेयगो वेए ॥ १४५ ॥ मूलुत्तरपगइगतो अणुभागे संकमो जहा बंधे । फड्डगनिदेसो सिं सव्वेयरघायघाईणं ॥१४६।। सब्बेसु देसघाइसु सम्मतं तदुवरि तु वा मिस्सं । दारुसमाणस्साणंतमोत्ति मिच्छत्तमुप्पिमओ ।।१४७।। तत्थट्ठपयं उव्वट्टिया व ओवट्टिया व अविभागा । अणुभागसंकमो एस अन्नपगई निया वावि ॥ १४८ ॥ दुविहपमाणे जेट्ठो सम्मत्तदेसघाइ दुट्ठाणा । नरतिरियाऊआयवमिस्सेऽविय सव्वघाइम्मि ॥ १४९ ॥ सेसासु चउट्ठाणे मंदो संमत्तपुरिससंजलणे । एगट्ठाणे सेसासु | सब्बघाइम्मि दुट्टाणे ॥ १५० ।। अजहण्णो तिण्ह तिहा मोहस्स चउबिहो अहाउस्स । एवमणुकोसी सेसिगाण तिविहो अणुकोसो ॥ १५१ ॥ सेसा मूलपगइसु दुविहा अह उत्तरासु अजहन्नो । सत्तरसह चउद्धा तिविकप्पो सोलसण्हं तु ॥ १५२ ॥ तिविहो
॥२६३॥ छत्तीसाए णुक्कोसो ह नवगस्स य चउद्धा । एयासि सेसा सेसगाण सव्वे य दुविगप्पा ॥ १५३ ॥ उक्कोसगं पबंधिय आवलिय
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