Book Title: Panchashak Mulam
Author(s): Haribhadrasuri, 
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 358
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीज्योति- सत्तवीसा य । सोझा दिवड्डोतंत भहवाई असाढता ॥ १५९ ॥ एयाणि सोहइत्ता जं सेसं तं हविज्ज नक्खत्तं । सोज्झा तीसगु-18 मंडल करंडके Mणाओ सत्तट्ठिहिते मुहुत्ताओ ।। १६० ॥ अभिई छच्च मुहुत्ते चत्तारि य केवल अहोरत्ते । सूरेण समं वच्चइ एत्तो सेसाण वाच्छामि १.प्रा. ॥३५४॥ ॥१६१ ॥ जे रिक्ख जावइए बच्चइ चंदण भाग सत्तट्ठी । तं पणभागे राइंदियस्स सूरेण तावइए ॥ १६२ ॥ सयभिसया । भरणीए अद्दा अस्सस साइ जेट्ठा य । वच्चति मुहुत्ते एक्कर्वास छच्चेवऽहोरत्ते ॥ १६३ ॥ तिन्नेव उत्तराई पुणव्वसू रोहिणी विसहा य । वच्चंति मुहुत्ते तिण्णि चेव वीसं अहोरत्ते ॥ १६४ ॥ अवसेसा नक्खत्ता पनरसवि सूरसहगया जात । बारस चेव मुहुचे तेरस य समे अहोरत्ते ॥ १६५ ।। पव्वं पारसगुणं तिाहसहियं ओमरत्तपरिहीणं । तीहिं छावडेहिं सहिए सेसमि सोहणगं ॥ १६६ ॥ चउर्वासं च मुहुत्ता अद्वेव य केवला अहोरत्ता । एए पुस्से सेसा एत्तो सेसाण वोच्छामि ॥ १६७ ॥ राइंदिया || बिसट्ठी य, मुहुत्ता बारसुत्तरा । सोलस सयं विसाहा, वीसदेवा य तेसीयं ॥१६८ ॥ दो चउपना छच्चेव मुहुत्ता उत्तरा उ पोटुवया । IN तिण्णव एकर्वासा छच्च मुहुत्ता उ रोहिणिया ।। १६९ ॥ [जोगो तिबेगट्ठा वारस य मुहुत्ता सोहणं पुणब्वसुणो । जे सोहणं न गच्छइ तं नक्खत्तं तु सूरगयं ॥ १७० ॥ नक्खत्तचंदजोगे नियमा सत्तट्ठिए पडुप्पन्ने । पण्णेण सएण भए लद्धं सूरस्स सो जोगो ॥ १७१॥ नक्खत्तमूरजोगो मुहुत्तरासीकओ उ पंचगुणो । सत्तट्ठीऍ विभत्तो लद्धो चंदस्स सो जोगो ॥ १७२ ॥ नखत्ताणं जोगा चंदाइच्चेसु करणसंजुत्ता । भणिया । इइ नम्वत्तजोगनाम नवमं पाहुडं ॥ . & सुणाहि एत्तो पविभाग मंडलाण तु ।। १७३ ।। इणमो उ समुहिट्ठो जंबुद्दीवो रहंगसंठाणो । विक्खंभ सयसहस्सं जोयणाणं ४ भवे एकं ॥ १७४ ॥ भरहं तह हेमवयं हरिवासं तह विदेहवासं च । रम्मग हेरण्णवतं एरवयं सत्तमं वासं ॥ १७५ ॥ चुल्लमहाहि For Private and Personal Use Only

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