Book Title: Panchashak Mulam
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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करंडके
INI श्रीज्योति- नरेसु रोहिणिया । तिसु नवनउइएतु भवे पुणवसूफग्गुणीओ य ॥ ३२१ ## पञ्चेव- उगुणवन्नं सयाई उगुणत्तराई छच्चेव । अमावस्याट्रिा सोज्झाणि विसाहासुं मूले सत्तेव चोयाला ॥ ३२२ ॥ अहसय उगुणवीसा सोहणगं उत्तराणऽसाढाणं । चउवीसं खलु भागा छावठी
पूर्णिमे चुण्णियाओ य ।। ३२३ ।। एयाई सोहइत्ता जं सेस तं हवेज्ज नक्ख । एत्थं करेइ उडवह सूरेण समं अमावासं ॥ ३२४ ॥ इच्छापुण्णिमगुणिओ अवहारो सोत्थ होइ कायव्यो । तं चैव य सोहणगं अभिईआई तु कायव्वं ॥ ३२५ ॥ सुद्धंमि य सोहणगे & सेसं तं हवेज्ज नक्खत्तं । तत्थ य करेइ उडुवइ पडिपुण्णं पुण्णिम विमलं ॥ ३२६ ॥ सत्तरस सए पुण्णे अट्ठढे चेव मंडले चरइ ।
चंदो जुगेण नियमा सूरो अट्ठारस उ तीसे ।। ३२७॥ तेरस य मण्डलाइं तेरस सत्तट्ठी चेव भागा य । अयणेण चरइ सोमो नक्ख| तेणऽद्धमासेणं ॥ ३२८ ॥ चोद्दस य मंडलाई बिसहिभागा य सोलस हवेज्जा । मासद्धेणं उडुवइ एतियमित्तं चरइ खत्तं ॥३२९॥ | एगं च मंडलं मंडलस्स सत्तविभाग चत्तारि । नव चेव चुण्णियाओ इगतीसकएणं छेएण ॥ ३३० ॥ इच्छापव्वेहिं गुणे अयणं रूवाहियं तु कायव्यं । सोकं च हवइ एत्तो अयणक्खेत्तं उडुवइस्स ।। ३३१ ॥ जइ अयणा सुझंती तइ पब्बजुया उरूवसंजुत्ता । नायव्वं तं अयणं नत्थि निरंसं हि रूवजयं ।। ३३२ ।। कसिणंमि होइ रू पक्खवा दो य होति भिमि । जावइअ तावइये पव्वे ! ससिमंडला होति।। ३३३ ।। ओयंमि उ गुणकारे अभितरमंडले हवइ आई । जुम्ममि य गुणकारे बाहिरगे मंडले आई ।। ३३४ ॥ चउवीससयं काऊण पमाणं सत्तसाट्टिमेव फलं । इच्छापव्वेहि गुणं काऊणं पज्जया लद्धा ॥ ३३५ ।। अट्ठारसहि सएहिं तीसेहिं सेस
गमि गणियंमि । तेरस बिउत्तरेहिं सएहिं अभिजिमि सुद्धूमि ॥ ३३६ ।। सत्तट्टि बिसट्टेणं सव्वग्गेण ततो उजं सेसं । तं रिक्खं ॥३६॥ Piनायव्वं जत्थ समत्तं हवइ पव्वं ॥ ३३७ ।। सप्प १ धणिट्ठा २ अज्जम ३ अभिड्डि ४ चित्त ५ आस ६ इंदग्गी ७ । गहिणि ८
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