Book Title: Panchashak Mulam
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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श्रीज्योतिष्करंडके
॥३५९॥
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बिसट्ठि (तीय ) भागा छच्चेव य चुनिया भागा ।। २४१ ।। आवट्टिएहिं एगूणियाहिं गुणितं हवेज्ज ध्रुवरासी । एयं मुहुत्तगणियं एतो वोच्छामि सोहणगं ।। २४२ ।। अभिहस्स नव मुहुत्ता बिसट्टिभागा य हुति चउवीसं । छावट्ठी य समग्गा भागा सत्तविछेयकया || २४३ ॥ उगुणङ्कं पोडवया तिसु चैव नवेोत्तरेसु रोहिणिया । तिसु नवनउईसु भवे पुणव्वम् उत्तराफग्गू || २४४ ॥ पंचेच अउणपन्नासयाई उगुणत्तराई छच्चेव । सोज्झाणि विसाहाणं मूले सत्तेव चोयाला ।। २४५ ।। अट्ठसय उगुणवीसा सोहणगं उत्तराअसाढाणं । चउवसिं खलु भागा छावट्टी चुण्णियाभाया ॥ २४६ ॥ एयाई सोहइत्ता जं सेसं तं हविज्ज नक्खत्तं । चंदेण समाउत्तं आउट्टीए उ बोद्धव्वं ॥ २४७ ॥ अतिराहि नितो आइच्चो पुस्सजोगमुवगम्म । सव्वा आउट्टीओ करेइ सो सावणे मासे || २४८ || बाहिरओ पविसतो आइच्चों अहिइजोगमुवगम्म । सव्वा आउट्टीओ करेइ सो माघमासम्मि ।। २४९ । अट्ठारस य मुहुत्ते चत्तारि य केवले अहोरत्ते । पूसस्स विसयमहगतो बहिया अभिनिक्खमइ सूरो ।। २५० ॥ वसिं च अहोरत्ते जोइता उत्तराअसाढाओ । तिष्णि मुहुत्ते पविसर ताहे अभंतरे सूरो ।। २५१ ।। चंदस्सवि नायव्वा आउट्टीओ जुगम्मि जा दिट्ठा। अभिईए पुस्सेण य निययं नक्खत्तसेसेणं ॥ २५२ ॥ दस य मुहुत्ते सगले मुहुत्तभागे य वसई चैव । पुस्सस्स विसयमभिगतो हियाऽभिनिक्खमः चंदो || २५३ ।। एया आउट्टीओ भणिया मे वित्थरं पमोत्तूर्णं । इइ आउट्टि पडिवाययं बारसं पाहुडं ॥ १२ ॥
नक्खत्तरससिणो गईउ सुण मंडलेसुं तु ॥ २५४ ॥ एगूणसविरूवा सत्तहि अहिगा उ तिण्णि अंससया । तिष्णवं सत्तट्ठा छेओ पुण तेसि बोद्धव्वो ।। २५५ ।। एएण उ भइयव्वो मंडलरासी हविज्ज जं लद्धं । सा होइ मुहुत्तगई रिक्खाणं मंडले नियये ।। २५६ ।। मंडलपरिरयरासी सट्ठीए भाइयंमि जं लद्धं । सा सूरमुहुत्तगई तहिं तहिं मंडले नियया ॥ २५७॥ बावट्ठी पुण रूवा तेवीसं
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पडिवाययं बारसं (पाहुडे १२ ॥
॥३५९॥

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