Book Title: Panchashak Mulam
Author(s): Haribhadrasuri, 
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

View full book text
Previous | Next

Page 357
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * श्रीज्योति- एत्तो परं तु वोच्छ विक्खभ चंदसूराणं ॥ १४३॥ एगविभाग छेत्तूण जोयणं तस्स होति जे भागा । ते चंदा छप्पन्नं नक्षत्र चन्द्र करंडके अडयालीसं भवे सूरा ।। १४४ ।। एवं चदिमसूराण पमाणं वणियं समासेणं । हह चंदसरपरिमाणं सत्तमं पाहडं ॥ याग९प्रा. ॥३५३॥ नक्खत्तचंदसूराण गई च वोच्छं समासेणं ॥ १४५ ॥ चंदेहिं सिग्घयरा सूरा सूरेहिं होंति नक्खत्ता । अणिययगइपथाणा : हवंति सेसा गहा सव्वे ।। १४६ ।। अट्ठारस भागसए पणतीसे गच्छई मुहुत्तेणं । नक्खत्तं चंदो पुण सत्तरस सए उ अट्ठढे ॥१४७॥ काअट्ठारस भागसए तीसे गच्छइ रखी मुहुत्तेण । नक्खत्तसीमछेदो सो चव इहपि नायब्बो ॥ १४८ ॥ जायणगणणारहिया एस दगई वण्णिया अहाथूरा । इइ नक्खत्तचंदसूरगइनामं अट्ठमं पाहुडं ॥ . नक्खत्तचंदजोगे एत्तो वोच्छ समासेणं ॥ १४९ ॥ अभिइस्स चंदजोगो सत्तट्ठीखंडिओ अहोरत्तो । भागा य एकवीसं ते पुण 8. अहिमा नव मुहुत्ता ॥ १५० ॥ सयभिसय भरणि अद्दा अस्सेसा साइ तह य जेट्ठा य । एते छनक्खत्ता पन्नरसमुहुत्तसंजोगा ॥१५१ । तिनव उत्तराओ पुणब्वम् रोहिणी बिसाहा य । एते छनक्खत्ता पणयालमुहुत्तसंजोगा ॥ १५२ ॥ अवसेसा नक्खत्ता | पणरसवि होंति तीसइमुहुत्ता । चंदमि एस जोगो नक्खत्ताणं समक्खातो ॥ १५३ ।। एएसिं रिक्खाणं आयाणविसग्गजाणणा करणं । चंदमि य सूरंमि य वोच्छामि अहाणुब्बीए ॥ १५४ ॥ पव्वं पन्नरसगुणं तिहिसहियं ओमरत्तपरिहीणं । बासीइए विभत्ते Iलद्धे असे वियाणाहि ॥ १५५ ॥ जे हवह भागलद्रं कायव्वं तं चउग्गुण नियमा । अभिहस्स एकवीसा भागे सोहेहि लद्धमि ।। १५६ ।। सेसाणं रासीणं सत्तावीस तु मंडला: सोज्झा । अमिइस्स सोहणासंभवे उ इणमो विही होइ ॥ १५७ ॥ सेसाओ ॥३५३।। हिरासीओ रूवं घेत्तूण सत्तसट्टिकका । पक्लिव लद्धेसु पुणो अभिजि सोहेउ पुवकमा ॥ १५८ ॥ पंच दस तेरसट्ठारसव बाबीस For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372