Book Title: Panchashak Mulam
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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करंडके
॥३५५॥
8 मवंतो निसढो तह नीलवंत रुप्पी य । सिहरी य नाम सेलो छब्बासहरा भवतेए ॥ १७६ ॥ वासा वासहराविय हवंति पुवावरा
मंडल यता सव्वे । भरहं दक्षिणपासे उत्तरतो होइ एरवयं ॥१७७ ॥ भरहेरवयप्पभिई दुगुणाद्गुणो उ होइ विक्खंभो । वासाबासहराणं 12
विभागं १० जावइ (य) वासं विदेहित्ति ॥ १७८ ।। पंचव जोयणसया छब्बीसा होति भरहविक्खंभा । छच्चेव य होति कला एगुणवीसेण
छेएण ॥ १७९ ॥ ओगाहणं विक्खंभमो उ उग्गाहसंगुणं कुजा । चउहिं गुणियस्स मूलं मंडलखेत्तस्स अवगाहो ॥१८॥ पाउसुवग्गं छग्गुणियं जीवावग्गमि पक्खिवित्ताणं । जं तस्स वग्गमूलं तं धणुपटुं वियाणाहि ॥ १८१ ॥ धणुवग्गाओ नियमा जीवालावग्गं विसोहइत्ताणं । सेसस्स य छब्भागे जं मूलं तं उसू होइ॥ १८२ ।। छग्गुणमुसुस्स वग्गं धणुबग्गाओ विसोहइत्ताणं । सेसस्सद विग्गमूलं तं खलु जीवं वियाणाहि ॥ १८३ ।। महयो घणुपट्ठातो डहरागं सोहिही धणुह पढे । जं इत्थ हवइ सेस तस्सद्ध
निहिसे बाहं ।। १८४ विक्खंभवग्गदहगुणकरणी वट्टस्स परिरओ होइ । विक्खभपायगुणिओ परिरओ तस्स गणियपयं ।। १८५ ।। है! जंबुद्दीवे परिरओ तिनि य सोलाणि सयसहस्साणि । वे य सया पडिपुण्णा सत्तावीसा समहिया य ॥१८६॥ तिणि य कोसा,
य तहा अट्ठावीसं च धणुसयं एकं । तेरस य अंगुलाई अद्धंगुलयं च सविसेसं ॥ १८७ ॥ (सत्तेव य कोडिसया नउया छप्पन सयसहस्साई । चउणउई उ सहस्सा सर्य दिवटुं च साहीयं । १। इयं गाथा क्वचिदधिका) जंबुद्दीवस्स भवे बहुमज्झे सव्वरयणधातु-द्र! चितो । मेरू नाम नगवरो सुकीलो देवराईणं ।। १८८|| नवनउई च सहस्सा उव्विद्धो अह सहस्समोगाढो । धरणियले वित्थिण्णो ॥३५५।। जोयणाणं दससहस्सा ॥१८९॥ जस्थिच्छसि विक्खंभं मंदरसिहराउ ओवइत्ताणं । इक्कारसहियलद्धो सहस्ससहिओ उ विक्खंभो॥१९०॥5 मूलग्गविसेसंमि उ उस्सयभइयंमि जं भवे लद्धं । सा हरनदीनगाणं पएसबुड्डी उ सा उभओ ॥ १९१ ॥ चंदा मूरा तारागणा याद
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