Book Title: Panchashak Mulam
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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श्रीचन्द्रर्षिकृते पञ्चसंग्रहे कर्मप्रकृतौ
॥३३४॥
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उवसंते । नव संतं अद्वेवं उइण्णसंताई चउ खीणे ॥ ८४९ ॥ खवगे सुहुमंमि चउबंधगम्मि अबंधगम्मि खीणम्मि । छस्सतं चउरुदओ पंचहवि के इच्छंति ॥ ८५० ॥ बन्धो आदुगदसगं उदओ पणचोदसं तु जा ठाणं । निच्चुच्चगोत्तकम्माण संतया होइ | सव्वे ॥ ८५१ ॥ बन्ध उइण्णयं चिय इयरं वा दौवि संत चउभंगो । नीएसु तिसु वि पढमो अबंधगे दोण्णि उच्चदए ॥ ८५२ || | तेरसमछट्ठएसुं सायासायाण बंधवुच्छेओ । संतउइण्णाई पुण सायासायाई सव्वेसु ।। ८५३ ।। बंधह उइण्णयं चिय इयरं वा दोवि संत चउभंगा | संतमुष्णमबंधे दो दोणि दुसंत इइ अट्ठ ॥ ८५४ ॥ दुगइगवीसासत्तर तेरस नवपंचचउरतिदुएगो । बंधो इगिदुचउत्थय पणडनवमेसु मोहस्स ।। ८५५ ।। हासरइअरइसोगाण बंधगा आनवं दुहा सव्वे । वेयविभज्जता पुण दुगइगवीसा छहा चहा || ८५६ ॥ मिच्छाबन्धिगवीसो सत्तरतेरो नवो कसायाणं । अरईदुगं पमत्ते ठाइ चउकं नियमि ॥ ८५७ ॥ देसूण पुव्वकोडी नवतेरे सत्तरे य तेत्तीसा । बावीसे भंगतिगं ठिति सेसेसुं मुहुत्तो ।। ८५९ ।। इगिदुगचउएगुत्तर आदसगं उदयमाहु | मोहस्स । संजलणवेयहासरह भयदुर्गुछतिकसायदिडीए ।। ८५९ ।। दुगआइ दसंतुया कसायभेया चउब्विहा ते उ । बारसहा वेयवसा अदुगा पुण जुगलओ दुगुणा ॥। ८६० ।। अणसम्मभयदुर्गुछाण गोदओ संभवेवि वा जम्हा । उदया चवीसाविय एकेक - गुणे अओ बहुहा || ८६१ || मिच्छे सगाइ चउरो सासणमीसे सगाइ तिष्णुदया। छप्पंचचउरपुव्वा चउ चउरो अविरयाईणं ।। ८६२ ।। दसगाइसु चउवीसा एक्काछेकारदससगचउकं । एक्का य नवसयाई सट्टाई एवमुदयाणं ॥ ८६३ ॥ बारस चउरो तिदुएकगाओ पंचाइ बन्धगे उदया । अब्बंन्धगेवि एक्को तेसीया नवसया एवं ॥ ८६४ ॥ चउबन्धगेऽवि बारस दुगोदया जाण तेहि छूटेहिं । बन्धगभेएणेवं पंचूणसहस्समुदयाणं ॥। ८६५ || बारस दुगोदएहिं भंगा चउरो य संपराएहिं । सेसा तेच्चिय भंगा नव
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सप्ततिकायां
संवेधः
॥३३४॥

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