Book Title: Panchashak Mulam
Author(s): Haribhadrasuri, 
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 354
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir HI श्र.ज्याति-॥ ९६ ॥ चंदस्स नेव हाणी नवि वुड्डी वा अपट्टिओ चंदो । सुकिलभावस्स पुणो दीसइ बुड्डी य हाणी य ॥ ९७ ॥ किण्हं करंडके | राहुविमाणं हेट्ठा चउरंगुलं च चंदस्स । तेणोबट्टा चंदो परिवइ वावि नायव्वो ॥ ९८ ॥ तं रययकमुयसरिसप्पहस्स चंदस्स 5 निष्पत्तिः४ ॥३५॥ | राइसुभगस्स । लोए तिहित्ति निययं भण्णइ वुड्डीए हाणीए ॥ ९९ ।। सोलस भागे काऊण उडुवई हायतेऽत्थ पन्नरस । तत्तिय मेत्ते भागे पुणोवि परिवड्डई जुण्हे ॥१००।। कालेण जेण हायइ सोलसभागो उ सो तिही होइ । तह चेव य वुड्डीए होई तिहिणो | समुप्पत्ती ।। १०१ ॥ जावइए परिहायइ भागे बड्डइ य आणुपुवीए । तावइया होति तिही तेसिं नामाणि वोच्छामि ॥ १०२ ॥ पीडवग बिइय तइया य चउत्थी पंचमी य छवी या । सत्तमि अट्ठामि नवमी दसमी एकारसी चेव ॥ १०३ ॥ बारसि तेरसिर चाउद्दसी य निट्ठवणिगा य पारसी। किण्हंमि य जोण्हंमि य एसेव विही मुणेयवो ॥ १०४ ॥ अउणत्तीसं पुण्णा उ मुहुत्ता सोमतो तिही होइ । भागा य उ बत्ती बावाट्टकरण छएणं ॥१०५ ।। तिहिरासिमेव बावट्ठी भइय सेसमेगसटिगुणं । बावट्ठीठा विभत्तीए सेसे अंसा तिहिसमत्ती ॥ १०६ ।। इइ तिहिनिप्फत्तिनाम पाहुडं चउत्थं। ला एसा तिहिनिफत्ती भणिया मे वित्थर पयहिऊणं । वोच्छामि ओमरति उल्लिंगन्तो समासेणं ॥ १०७ ॥ कालस्स नेव हाणी || नवि वुड्डी वा अवडिओ कालो । जाइ य वुड्डोवुड्डी मासाणं एकमेकाउ ॥ १०८॥ चंदउमासाणं अंसा जे दिस्सए विससम्मि । ते ओमरत्तभागा भवंति मासस्स नायव्वा ॥ १०९ ॥ बावट्ठीभागमेगं दिवसे संजाइ ओमरत्तस्स । बावट्ठीए दिवसेहि आमरत्तं तओ भवह ॥ ११० ॥ एकंमि अहोरले दोवि तिही जत्थ निहणमेज्जासु । सोऽत्थ तिही परिहायइ सुहुमेण हविज्ज सो चरिमोटा ॥३५०॥ ॥१११॥ तइयंमि ओमरत्तं कायव्वं सत्तमंमि पक्खमि । वासहिमगिम्हकाले चाउम्मासे विधीयन्ते ॥ ११२ ॥ पाडिवय ओमरत्ते For Private and Personal Use Only

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