Book Title: Panchashak Mulam
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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श्रीज्योति- सागरोवमस्स उ एकस्स भवे परीमाणं ॥ ८२ ॥ दससागरोवमाणं पुण्णाओ होंति के डीकोडीओ । ओसप्पिणीपमाणं तं चेवुस्स-पल अधिककरंडकेप्पिणीएवि ॥ ८३ ॥ छच्चेव य कालसमा भणिया ओसप्पिणिए भरहमि । तासि नामविहति परिमाणविहिं च वोच्छामि ।। ८४ ॥ मासः ३
सुसमसुसमा य सुसमा हवई तह सुसमदुस्समा चेव । दूसमसुसमा य तहा दूसम अइदुस्समा चेव ॥८५ ॥ सुसमसुसमाएँ कालो १ तिथि ॥३४९॥
चत्तारि हवंति कोडिकोडीओ। सुसमाए तिणि भवे सुसमदुसमाए दो होंति ॥ ८६ ॥ एक्का य कोडिकोडी बायालीसं भवे सह- निष्पत्तिः४ लास्साई । वासेहिं जेहि ऊणा दुसमहदुसमाएँ सो कालो ।। ८७1 (अह दसमाए कालो वाससहस्साई इकवीसाई । तावइओ चेव भवे | कालो अइदूसमाएवि ॥१॥ एए चैव विभागा हवंति ओसप्पिणीए उ नायब्वा । पडिलामा परिवाडी नवरि विभागसु नायव्या ॥८८ ॥ एसो उ असंखेज्जो [ कालो ] एयस्स विहाणगा असंखज्जा । एत्तो होइ अणंतो कालो कालंतरगुणेणं ॥८९ ॥ एए कालविभागा पडिवज्जते जुगमि खलु सब्बे । पत्तेयं पत्तेयं जुगस्स अंते समप्पंति ॥९॥ एए कालविभागा नायव्वा होंति काल-] कुसलेणं । इति जोइसकरंडे कालमाणं नाम पाहुडं बिईयं ।
एत्तो उ अहिगमासगनिष्फत्तिं मे निसामेह ॥ ९१ ॥ चंदस्स जो विसेसो आइचस्स य हवेज्ज मासस्स । तीसइगुणिओ | संतो हवइ हु अहिमासगो एको ॥ ९२॥ सट्ठीए अइयाए हवइ हु अहिमासगो जुगद्धमि । बावीसे पव्वसए हवई विइओ जुगं| तंमि ।। ९३ ।। मासविसेसुप्पण्णा निप्फत्ती अहिगमासगस्सेसा । इति अहिगमासगपाहुडं तइयं ।
कम्म। निरंसयाए मासो ववहारको लोए ।।९४ ॥ (आइच्च कम्मचन्दानक्खत्तभिवतियाण मासाणं) सेसा उ संसयाएमा ॥२४॥ | ववहारे दुकरा चित्तुं ॥ ९५ ।। सूरस्स गमणमंडलविभागनिफाइया अहोरत्ता । चंदस्स हाणिवुड्डीकएण निष्फज्जए उ तिही
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