Book Title: Panchashak Mulam
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सप्ततिकायां
संवेधः
श्रीचन्द्र- वज्जिया अहव सत्त अहियाई । पंचासीइ सयाई उदयपयाई तु मोहस्स ।। ९५२ ॥ एवं जोगुवओगा लेसाईभेयओ बहू भेया । जा पिकृतल जस्स जम्मि उ गुणे संखा सा तम्मि गुणगारो ॥ ९५३ ॥ उदयाणुवओगसुं सगसयारसया तिउत्तरा हुंति । पण्णासपयसहस्सा पञ्चसंग्रहे
संग्रतिणि सया चेव पण्णारा ।। ९५४ ॥ तिगहीणा तेवण्णा सया उ उदयाण होति लेसाणं । अडतीस सहस्साई पयाण सगदोयकर्मप्रकृती
| सगतीसा ॥ ९५५ ।। चोद्दस उ सहस्साई सयं च गुणहत्तरं उदयमाणं । सत्तरसा सत्तसया पणनउइसहस्सपयसंखा ॥ ९५६ ॥ ॥३४०॥ &ामीसदुगे कम्मइए अणउदयविवज्जियाउ मिच्छस्स । चउवीसा उण चउरो तिगुणाओ तो रिणं ताओ ॥ ९५७ ॥ वेउब्वियमी
सम्मि नपुंसवेओ न सासणे होइ। चउवीस चउक्काओ अओ तिभागो रिणं तस्स ॥ ९५८ ॥ कम्मयविउव्विमीसे इत्थीवेओ न होइ सम्मस्स । अपुमित्थिउरलमीसे तच्चउवीसाण रिणमेयं ॥९५९ ॥ आहारगमीसेसुं इत्थीवेओ न होइ उ पमत्ते । दोण्णि तिभागा उ रिणं अपमत्तजइस्स उ तिभागो ॥ ९६० ॥ उदएसुं चउवीसा धुवगाउ पदेसु जोगमाईहिं । गुणिया मिलिया चउवीस ताडिया इयरसंजुत्ता ॥ ९६१ ॥ अपमत्तसासणेसुं अड सोल पमत्त सम्मि बचीसा । मिच्छम्मि य छन्नउई ठावेज्जा सोहणनिमित्तं ॥ ९६२ ।। जोगतिगेणं मिच्छे नियनियचउवीसगाहिं सेसाणं । गुणिऊणं फेडेज्जा सेसा उदयाण परिसंखा ॥ ९६३ ।। चउवीसाएँ गुणेज्जा पयाणि अहिकिच्च मिच्छछण्णउई । सेसाणं धुवगेहिं एगीकिच्चा तओ सोहे ॥ ९६४ ॥ बन्धोदयसंताई गुणेसु कहियाई नामकम्मस्स । गइसु य अव्वगडंमी वोच्छामी इंदिएसु पुणो ।। ९६५ ॥ इगि विगले पण बंधा अडवीसूणाउ अट्ट इयरम्मि । पंच छ एक्कारुदया पण पण बारस उ संताणि ॥ ९६६ ॥ नाणंतरायदंसण बन्धोदयसंतभंग जे मिच्छे । ते तेरस ठाणेसुं सनिम्मि गुणासिया सब्वे ॥ ९६७ ।। तेरससु वेयणीयस्स आइमा हुंति भंगया चउरो। निच्चुदए तिण्णि गोए सव्वे दोण्हंपि सण्णिस्स
| ॥३४०॥
२.
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372