Book Title: Panchashak Mulam
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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पञ्चसंग्रहे |
श्रीचन्द्र- ॥ ८८३ ॥ उदयप्पत्ताणुदओ पएसओ अणुवसंतपगईणं । अणुभागोदय निच्चोदयाण सेसाण भइयव्वा ॥ ८८४ ॥ अथिरासु-181 सप्ततिर्षिकृते | भचउरंसं परघाइदुगं तसाइधुवबन्धी । अजसपणिदिवउब्वाहारगसुखगइसुरगइया ।। ८८५ ।। बन्धइ तित्थनिमित्तामणुउरलदुरिस
कायां भदेवजोगाओ । नो सुहुमतिगण जसं नो अजसथिरासुभाहारे ।। ८८६ ॥ अप्पज्जत्तगवन्धं दूसरपरषायसासपज्जतं । तस अप
संवेधः कर्मप्रकृतौल
सत्था खगई वेउव्वं नरयगइहेऊ ।। ८८७ ॥ हुंडोरालं धुवबन्धिणीओ अथिराइ दूसरविहूणा | गइआणुपुग्विजाई बायरपत्तेय॥३३६॥ अपजत्ते ॥ ८८८ ॥ बन्धइ सुहुमं साहारणं च थावर तसंगछेवटुं । पज्जत्ते उसथिरसुभजससासुज्जीवपरघायं ॥ ८८९ ॥
आयावं एगिदिय अपसत्थविहदूसरं च विगलेसु । पंचिदिएसु सुसराइखगइसंघयणसंठाणा ।। ८९० ॥ तेवीसा पणवीसा छब्बीसा | अट्ठवीसिगुणतीसा । तीसेगतीस एगा बन्धट्ठाणाई नामेष्ट ।। ८९१ ॥ मणुअगईए सब्वे तिरिय गईए छ आइमा बन्धा । नरएगु| तीसतीसा पण छब्बीसा य देवेसु ।। ८९२ ॥ अडवीस नरयजोग्गा अडवीसाई सुराण चत्तारि । तिगपणछव्वीसगिदियाण तिरि-1* | मणुण बन्धतिगं ।। ८९३ ॥ मिच्छमि सासणाइसु तिअट्ठवीसादिनामबन्धाओ। छत्तिण्णि दोति दोदो चउपण सेसेसु जसबन्धो | &|॥८९४ ॥ तग्गयणुपुव्विजाई थावरमाई य दूसरविहूणा । धुवबन्धि हुंडविग्गह तेवीसाऽपज्जथावरए ।। ८९५ ॥ पगईणं वच्चासो | होइ गईइंदियाई आसज्ज । सपराघाऊसासा पणवीसछवीस सायावा ।। ८९६ ॥ तग्गइयाइ दुवीसा संघयणतसंगतिरियपणुवीसा ।।
॥३३६॥ दूसरपरघाऊसास खगइगुणतीस तीसमुज्जोबा ।।८९७।। (गीतिः) तिरि बन्धा मणुआणं तित्थयरं तीसमंति इइ भेओ । संघयणणिगुण-४
तीसा अडवीसा नारए एक्का ।। ८९८ ॥ तित्थयराहारगदो तिसंजुओ बन्धु नारयसुराणं । अनियट्टीसुहुमाणं जसकित्तीए स इगPा बन्धो ॥ ८९९ ।। साहारणाइ मिच्छो सुहुमायक्थावरं सनरयदुगं । इगिविगलिंदियजाई हुंडगपज्जत्तछेवट्ठ ।। ९००॥ सासायणो|
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